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Maharashtra: पुणे कॉलेज ने जातिगत पक्षपात के दावे को किया खारिज, पूर्व छात्र ने कहा- जाति के कारण चली गई नौकरी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 19 Oct 2025 03:57 PM IST
सार
पुणे के मॉडर्न कॉलेज पर पूर्व छात्र प्रेम बिरहाड़े ने जातीय भेदभाव का आरोप लगाया है, दावा किया कि कॉलेज ने उनके नौकरी सत्यापन पत्र में देरी की जिससे उन्हें लंदन की नौकरी गंवानी पड़ी। कॉलेज ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वेरिफिकेशन 14 अक्तूबर को भेजा गया था और छात्र की नौकरी सुरक्षित है।
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पुणे कॉलेज पर लगा जातिगत पक्षपात का आरोप।
- फोटो : AI
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विस्तार
पुणे के मॉडर्न कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स पर जातीय भेदभाव के आरोपों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व छात्र प्रेम बिरहाड़े ने आरोप लगाया है कि कॉलेज ने जाति के आधार पर उनके नौकरी सत्यापन पत्र (वेरिफिकेशन) को रोका, जिसके चलते उन्हें लंदन की एक कंपनी में नौकरी का अवसर गंवाना पड़ा। वहीं, कॉलेज प्रशासन ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है कि न तो किसी प्रकार का भेदभाव हुआ और न ही छात्र की नौकरी गई है।
दरअसल, बिरहाड़े, जो मॉडर्न कॉलेज में बीबीए के छात्र रह चुके हैं, ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि जब उन्होंने कॉलेज से नौकरी वेरिफिकेशन लेटर भेजने की मांग की, तो अधिकारियों ने उनसे उनकी जाति पूछी। उन्होंने कहा कि मैंने 2020 से 2023 तक कॉलेज में पढ़ाई की। मुझे लंदन की एक कंपनी में नौकरी मिली थी। कंपनी ने कॉलेज से वेरिफिकेशन मांगा, लेकिन कॉलेज ने जानबूझकर इसे रोका, क्योंकि मैं अनुसूचित जाति से हूं और बौद्ध धर्म का अनुयायी हूं।
छात्र का दावा और सियासी प्रतिक्रिया
बिरहाड़े के इस आरोप ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया। एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता और विधायक रोहित पवार ने कॉलेज प्रशासन पर “मनुवादी मानसिकता” का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना ने संस्थान की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि अगर सत्यापन में देरी के कारण एक युवा की नौकरी चली गई, तो यह अन्याय है। कॉलेज को छात्र से माफी मांगनी चाहिए और ऐसी गलती दोबारा नहीं होनी चाहिए।
ये भी पढ़ें- पहले चरण में लालू-नीतीश की पार्टी की सबसे अधिक सीटें दांव पर, जानिए मैदान में किसके-कितने प्रत्याशी
कॉलेज प्रशासन का स्पष्टीकरण
कॉलेज के उपप्राचार्य श्यामकांत देशमुख ने कहा कि बिरहाड़े के आरोप निराधार हैं। उन्होंने बताया कि प्रेम बिरहाड़े को पहले ही पढ़ाई पूरी करने के बाद सिफारिश पत्र दिया जा चुका था। लंदन की कंपनी ने 30 सितंबर को ईमेल भेजकर वेरिफिकेशन मांगा था, जिसमें कोई समयसीमा तय नहीं थी।
कॉलेज ने 14 अक्तूबर को विधिवत प्रमाणपत्र और आवश्यक जानकारी भेज दी। देशमुख ने यह भी कहा कि कॉलेज में 50 हजार से अधिक छात्र विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमियों से पढ़ते हैं, और यहां कभी भेदभाव की शिकायत नहीं हुई।
ये भी पढ़ें- गिरिराज सिंह के बयान से गरमाई राजनीति, मुसलमानों और बुर्का को लेकर की विवादित टिप्पणी
तकनीकी देरी और प्रक्रिया
कॉलेज का कहना है कि ईमेल में मांगी गई जानकारी नौकरी प्रोफाइल से जुड़ी विशेष श्रेणी एविएशन सेक्टर से संबंधित थी, इसलिए डेटा तैयार करने में थोड़ा समय लगा। देशमुख ने कहा कि चूंकि यह पहली बार था जब हमें किसी विदेशी नियोक्ता से ऐसी वेरिफिकेशन रिक्वेस्ट मिली थी, इसलिए सावधानी बरतनी पड़ी। सटीक जानकारी जुटाने के बाद ही जवाब भेजा गया।
इस बीच, कॉलेज प्रशासन ने दावा किया है कि बिरहाड़े की नौकरी नहीं गई है, बल्कि उनकी नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। वहीं, रोहित पवार ने कॉलेज प्रशासन से आग्रह किया है कि छात्र को न्याय मिले और संस्था ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया विकसित करे। मामला अब सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर चर्चा में है।
दरअसल, बिरहाड़े, जो मॉडर्न कॉलेज में बीबीए के छात्र रह चुके हैं, ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि जब उन्होंने कॉलेज से नौकरी वेरिफिकेशन लेटर भेजने की मांग की, तो अधिकारियों ने उनसे उनकी जाति पूछी। उन्होंने कहा कि मैंने 2020 से 2023 तक कॉलेज में पढ़ाई की। मुझे लंदन की एक कंपनी में नौकरी मिली थी। कंपनी ने कॉलेज से वेरिफिकेशन मांगा, लेकिन कॉलेज ने जानबूझकर इसे रोका, क्योंकि मैं अनुसूचित जाति से हूं और बौद्ध धर्म का अनुयायी हूं।
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छात्र का दावा और सियासी प्रतिक्रिया
बिरहाड़े के इस आरोप ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया। एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता और विधायक रोहित पवार ने कॉलेज प्रशासन पर “मनुवादी मानसिकता” का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना ने संस्थान की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि अगर सत्यापन में देरी के कारण एक युवा की नौकरी चली गई, तो यह अन्याय है। कॉलेज को छात्र से माफी मांगनी चाहिए और ऐसी गलती दोबारा नहीं होनी चाहिए।
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कॉलेज प्रशासन का स्पष्टीकरण
कॉलेज के उपप्राचार्य श्यामकांत देशमुख ने कहा कि बिरहाड़े के आरोप निराधार हैं। उन्होंने बताया कि प्रेम बिरहाड़े को पहले ही पढ़ाई पूरी करने के बाद सिफारिश पत्र दिया जा चुका था। लंदन की कंपनी ने 30 सितंबर को ईमेल भेजकर वेरिफिकेशन मांगा था, जिसमें कोई समयसीमा तय नहीं थी।
कॉलेज ने 14 अक्तूबर को विधिवत प्रमाणपत्र और आवश्यक जानकारी भेज दी। देशमुख ने यह भी कहा कि कॉलेज में 50 हजार से अधिक छात्र विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमियों से पढ़ते हैं, और यहां कभी भेदभाव की शिकायत नहीं हुई।
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तकनीकी देरी और प्रक्रिया
कॉलेज का कहना है कि ईमेल में मांगी गई जानकारी नौकरी प्रोफाइल से जुड़ी विशेष श्रेणी एविएशन सेक्टर से संबंधित थी, इसलिए डेटा तैयार करने में थोड़ा समय लगा। देशमुख ने कहा कि चूंकि यह पहली बार था जब हमें किसी विदेशी नियोक्ता से ऐसी वेरिफिकेशन रिक्वेस्ट मिली थी, इसलिए सावधानी बरतनी पड़ी। सटीक जानकारी जुटाने के बाद ही जवाब भेजा गया।
इस बीच, कॉलेज प्रशासन ने दावा किया है कि बिरहाड़े की नौकरी नहीं गई है, बल्कि उनकी नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। वहीं, रोहित पवार ने कॉलेज प्रशासन से आग्रह किया है कि छात्र को न्याय मिले और संस्था ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया विकसित करे। मामला अब सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर चर्चा में है।