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Manipur: 'मणिपुर में हिंसा का कारण अवैध प्रवासन और नशे की समस्या', पूर्व सीएम बीरेन सिंह ने किया बड़ा खुलासा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंफाल
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 31 Mar 2025 06:45 PM IST
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सार
मणिपुर के पूर्व सीएम ने राज्य में हिंसा के लिए मुख्य कारण अवैध प्रवासन, नशे की समस्या और जंगलों का विनाश बताया है। बता दें कि, नवंबर 2023 में कॉनराड संगमा की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने मणिपुर में बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार राज्य में शांति बहाल करने में असफल रही है।

एन बीरेन सिंह
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में जारी हिंसा का मुख्य कारण अवैध प्रवासन, नशे की समस्या और जंगलों का विनाश है। उन्होंने यह बयान सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दिया। इस दौरान उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा पर भी निशाना साधते हुए पूछा कि क्या उन्हें मणिपुर में अवैध गांवों की बढ़ती संख्या की जानकारी है?
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मणिपुर हिंसा में 250 से ज्यादा की मौत
मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस बीच, राज्य में बीजेपी नेतृत्व में बदलाव की मांग के कारण नौ फरवरी को एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
'राजनीतिक नहीं, कई समस्याओं का नतीजा'
पूर्व सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा, 'यह संकट पूरी तरह राजनीतिक नहीं है। यह नशे की लत, अवैध प्रवासन, जंगलों के विनाश और कुछ गुटों की तरफ से सत्ता हासिल करने की साजिश का नतीजा है।' उन्होंने दावा किया कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा ने कभी पूर्वोत्तर को जातीय आधार पर छोटे राज्यों में बांटने की वकालत की थी, जो देश की एकता के लिए खतरा था।
'मणिपुर की शांति को न बिगाड़ें'
पूर्व सीएम ने कहा, 'मणिपुर में जो संकट चल रहा है, उसमें बाहरी हस्तक्षेप नहीं हुआ था। लेकिन अब कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए हमारे राज्य की आंतरिक समस्याओं में दखल दे रहे हैं।' उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के कई समुदाय अब सीमा सुरक्षा और अवैध प्रवासन पर गंभीरता से ध्यान देने लगे हैं। 'मणिपुर के हालात से सबक लेना चाहिए, न कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहिए।'
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अवैध प्रवासन को समर्थन न दें- बीरेन सिंह
उन्होंने कहा कि मणिपुर में 32 स्वदेशी जनजातियां रहती हैं, जिनकी पहचान, संस्कृति और जीवनशैली की रक्षा जरूरी है। 'कृपया अवैध प्रवासियों का समर्थन न करें और मणिपुर की नाजुक सामाजिक संरचना से छेड़छाड़ न करें। मणिपुर के लोगों ने बहुत कुछ सहा है। हमें शांति से जीने दें।'
आईएलपी लागू करने से हिंसा भड़की?
बीरेन सिंह ने कहा कि इनर लाइन परमिट लागू होने से मणिपुर में सकारात्मक बदलाव आ रहा था, लेकिन कुछ लोगों को यह रास नहीं आया और उन्होंने हिंसा भड़काई। उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा को संबोधित करते हुए कहा, 'श्री संगमा को समझना चाहिए कि यह हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं थी, बल्कि इसे उन लोगों ने भड़काया जो बदलाव से डर गए थे।'

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The late Shri P.A. Sangma once advocated for dividing the Northeast into smaller states along ethnic lines, a dangerous idea that threatened the unity of our Nation. Today, we are seeing similar attempts to interfere in Manipur’s internal affairs to destabilise the state.… pic.twitter.com/NMX6zhVrbe
— N. Biren Singh (@NBirenSingh) March 31, 2025
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मणिपुर हिंसा में 250 से ज्यादा की मौत
मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस बीच, राज्य में बीजेपी नेतृत्व में बदलाव की मांग के कारण नौ फरवरी को एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
'राजनीतिक नहीं, कई समस्याओं का नतीजा'
पूर्व सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा, 'यह संकट पूरी तरह राजनीतिक नहीं है। यह नशे की लत, अवैध प्रवासन, जंगलों के विनाश और कुछ गुटों की तरफ से सत्ता हासिल करने की साजिश का नतीजा है।' उन्होंने दावा किया कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा ने कभी पूर्वोत्तर को जातीय आधार पर छोटे राज्यों में बांटने की वकालत की थी, जो देश की एकता के लिए खतरा था।
'मणिपुर की शांति को न बिगाड़ें'
पूर्व सीएम ने कहा, 'मणिपुर में जो संकट चल रहा है, उसमें बाहरी हस्तक्षेप नहीं हुआ था। लेकिन अब कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए हमारे राज्य की आंतरिक समस्याओं में दखल दे रहे हैं।' उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के कई समुदाय अब सीमा सुरक्षा और अवैध प्रवासन पर गंभीरता से ध्यान देने लगे हैं। 'मणिपुर के हालात से सबक लेना चाहिए, न कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहिए।'
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अवैध प्रवासन को समर्थन न दें- बीरेन सिंह
उन्होंने कहा कि मणिपुर में 32 स्वदेशी जनजातियां रहती हैं, जिनकी पहचान, संस्कृति और जीवनशैली की रक्षा जरूरी है। 'कृपया अवैध प्रवासियों का समर्थन न करें और मणिपुर की नाजुक सामाजिक संरचना से छेड़छाड़ न करें। मणिपुर के लोगों ने बहुत कुछ सहा है। हमें शांति से जीने दें।'
आईएलपी लागू करने से हिंसा भड़की?
बीरेन सिंह ने कहा कि इनर लाइन परमिट लागू होने से मणिपुर में सकारात्मक बदलाव आ रहा था, लेकिन कुछ लोगों को यह रास नहीं आया और उन्होंने हिंसा भड़काई। उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा को संबोधित करते हुए कहा, 'श्री संगमा को समझना चाहिए कि यह हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं थी, बल्कि इसे उन लोगों ने भड़काया जो बदलाव से डर गए थे।'