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MEA: भारत-यूके व्यापार समझौते से लेकर खालिस्तान के मुद्दे तक, पीएम की विदेश यात्रा पर सरकार ने क्या-क्या कहा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Tue, 22 Jul 2025 03:23 PM IST
सार

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23-24 जुलाई को ब्रिटेन के आधिकारिक दौरे पर रहेंगे। यह प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन की चौथी आधिकारिक यात्रा होगी। ब्रिटेन के बाद पीएम मोदी मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे, जो 25-26 जुलाई, 2025 तक होगी। इसे लेकर विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी। 

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MEA: From India-UK trade agreement to Khalistan issue, what did the government say on PM's foreign trip?
पीएम मोदी और विदेश सचिव विक्रम मिस्री। - फोटो : ANI
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विस्तार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी 23-26 जुलाई को होने वाली विदेश यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय ने सारे सवालों के जवाब दिए। विदेश मंत्रालय ने भारत-ब्रिटेन के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते से लेकर खालिस्तानियों के मुद्दे तक हर सवाल का सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते और अन्य मुद्दों पर बातचीत पूरी कर ली है। 
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पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री 23 जुलाई को यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ चर्चा के लिए यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। वह किंग चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात करेंगे। भारत और यूके दोनों के व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत की भी योजना है। पदभार ग्रहण करने के बाद से यह प्रधानमंत्री की यूके की चौथी यात्रा होगी।
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उन्होंने कहा कि भारत-यूके साझेदारी को 2021 में एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदला गया था और तब से नियमित रूप से उच्च स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान हुए हैं। दोनों पक्ष इस साझेदारी को और भी उच्च स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विदेश मंत्री और उनके समकक्ष ब्रिटिश विदेश सचिव के स्तर पर नियमित रूप से बैठकें होती हैं। इसमें रणनीतिक मुद्दों, वित्तीय, आर्थिक, ऊर्जा-संबंधी मुद्दों के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी से निपटने के लिए मंत्री स्तर पर कई अन्य संस्थागत तंत्र हैं।

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विदेश सचिव ने कहा कि हमारा द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 55 अरब डॉलर को पार कर गया। ब्रिटेन भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशक भी है। इसका निवेश 36 अरब डॉलर है और दिलचस्प बात यह है कि भारत स्वयं ब्रिटेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत है। हमारा वहां निवेश लगभग 20 अरब डॉलर है। रक्षा क्षेत्र में सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं के बीच नियमित बातचीत और अभ्यास होते हैं।

छह मई को हुई थी पीएम मोदी और स्टार्मर के बीच बात
ब्रिटेन-भारत मुक्त व्यापार समझौते पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि छह मई को प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के बीच बातचीत हुई थी। इसमें घोषणा की गई थी कि दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते और अन्य मुद्दों पर बातचीत पूरी कर ली है। तब से दोनों पक्ष एक-दूसरे के बहुत निकट संपर्क में हैं। हम आपको उचित समय पर इससे संबंधित अंतिम विवरण से अवगत कराएंगे।

खालिस्तानी उग्रवाद पर कही ये बात
ब्रिटेन में खालिस्तानी उग्रवाद पर विदेश सचिव ने कहा कि खालिस्तानी उग्रवादियों और उनके करीबी लोगों की मौजूदगी का मुद्दा एक बार फिर ऐसा है जिसे हमने यूके में अपने सहयोगियों के ध्यान में लाया है। हम ऐसा करते रहेंगे। यह न केवल हमारे लिए चिंता का विषय है, बल्कि हमारे सहयोगियों के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए, क्योंकि इससे अन्य देशों में भी सामाजिक सामंजस्य और सामाजिक व्यवस्था प्रभावित होती है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि ब्रिटेन में भारतीय कानून और न्याय से भगोड़ों से संबंधित कुछ प्रश्न हैं। ये दोनों पक्षों के बीच चर्चा का विषय रहे हैं और हम इन भगोड़ों को भारत को सौंपने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। जाहिर है ऐसे अनुरोधों और ऐसे मुद्दों पर दूसरे देश में एक कानूनी प्रक्रिया होती है और हम इन मामलों पर ब्रिटेन में अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। 

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मालदीव यात्रा के बारे में दी जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री 25 और 26 जुलाई को मालदीव की यात्रा करेंगे। वह मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। यह प्रधानमंत्री की मालदीव की तीसरी यात्रा होगी और नवंबर 2023 में पदभार ग्रहण करने के बाद से राष्ट्रपति मुइज्ज़ू द्वारा आयोजित किसी शासनाध्यक्ष की पहली राजकीय यात्रा होगी।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि हम इस बात पर बहुत स्पष्ट रहे हैं कि जहां तक ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है, भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता भारत के लोगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना है। इस संबंध में हमें जो भी करना होगा, हम करेंगे। ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर जैसा कि हमने पहले कहा है, दोहरे मापदंड न अपनाना और व्यापक ऊर्जा बाजार के संदर्भ में वैश्विक स्थिति के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना जरूरी है। हम समझते हैं कि यूरोप एक महत्वपूर्ण और गंभीर सुरक्षा समस्या का सामना कर रहा है, लेकिन बाकी दुनिया भी इससे जूझ रही है। यह उन मुद्दों से भी निपट रहा है जो बाकी दुनिया के लिए अस्तित्व से जुड़े हैं, और मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बात करते समय संतुलन और दृष्टिकोण बनाए रखना जरूरी है।

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