MEA: 'भारत की ताकत बढ़ाने के लिए बजट में इजाफा करे विदेश मंत्रालय', संसदीय समिति ने उठाई मांग
संसदीय समिति के अध्यक्ष और सांसद शशि थरूर ने कहा कि कई सांसदों का मानना है कि विदेश मंत्रालय की ताकत में इजाफा किया जाना चाहिए। यह काम विशेष रूप से विदेश सेवा स्तर के कैडर में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित सांसदों ने इस पर सहमति जताई है।
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विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति ने गुरुवार को अन्य देशों में भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने और मानव संसाधन में इजाफा करने के लिए बजट में वृद्धि करने का मुद्दा उठाया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विदेश मंत्रालय की मांग अनुदान संबंधी बैठक में विभाग की संसदीय समिति में शामिल सांसदों ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के सामने यह मांग रखी।
संसदीय समिति के अध्यक्ष और सांसद शशि थरूर ने कहा कि कई सांसदों का मानना है कि विदेश मंत्रालय की ताकत में इजाफा किया जाना चाहिए। यह काम विशेष रूप से विदेश सेवा स्तर के कैडर में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित सांसदों ने इस पर सहमति जताई है। मंत्रालय की ओर से दी धनराशि में कुछ संसाधन संबंधी बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक समिति अपनी रिपोर्ट को स्वीकार नहीं कर लिया जाता, तब तक मैं कुछ भी विवरण देने के लिए स्वतंत्र नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि सांसदों ने मंत्रालय में मानव संसाधनों की आवश्यकता पर काफी जोर दिया। समिति ने मंत्रालय के बजट दस्तावेजों को देखने और विदेश में भारत की आवाज को आगे बढ़ाने को लेकर कई सवाल पूछे। समिति के सदस्यों ने विकास सहायता बजट, नए दूतावास खोलने, विदेश सेवा अधिकारियों के प्रशिक्षण, नालंदा विवि और दक्षिण एशियाई विवि से जुड़े सवाल पूछे। समिति की राय है कि भारत को अपने संपर्क बढ़ाने के लिए अधिक धन खर्च करने की जरूरत है। क्योंकि वैश्विक स्तर पर इसकी बड़ी भूमिका है। वहीं विदेश सचिव मिस्री ने समिति को बताया कि भारत 2028 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में निर्वाचित सीट के लिए चुनाव लड़ेगा।
जयशंकर बोले- भारत-अफ्रीका के संबंध मजबूत
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने टोक्यो में जापान-भारत-अफ्रीका बिजनेस फोरम में कहा कि भारत और जापान, अपनी विशेषताओं को मिलाकर, अफ्रीका के विकास में टिकाऊ और समावेशी योगदान दे सकते हैं। इस दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत का अफ्रीका के प्रति रुख हमेशा से दीर्घकालिक और लाभकारी साझेदारी पर आधारित रहा है, न कि सिर्फ संसाधन निकालने पर। उन्होंने यह बयान ऐसे समय में दिया जब चीन अफ्रीका में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
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