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निजी संस्थानों में यौन उत्पीड़न को लेकर सख्त हुई मोदी सरकार, अब लागू होंगे ये प्रावधान
जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 05 Jan 2021 06:25 PM IST
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सार
नए नियमों में शिकायत समिति को हर साल ऐसे मामलों की रिपोर्ट सरकार को भेजनी होगी। किसी संस्थान में ऐसे कितने केस आए हैं, उनकी वजह क्या रही, जांच रिपोर्ट का नतीजा और कितने दिन में कार्रवाई हुई, ये सभी बातें रिपोर्ट में शामिल रहेंगी...

Workplace
- फोटो : Amar Ujala (File)
विस्तार
केंद्र सरकार, निजी संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर सख्त प्रावधान लागू करने जा रही है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक, सेवा क्षेत्र के लिए आदर्श स्थायी आदेश 2020 में कई तरह के नए प्रावधान शामिल किए गए हैं। ये प्रावधान उन संगठनों पर लागू होंगे, जहां कर्मियों की संख्या 300 या इससे ज्यादा है।
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31 जनवरी तक लोगों से सुझाव भी मांगे गए हैं। उसके बाद ये प्रावधान सभी संस्थानों पर लागू हो जाएंगे। नए प्रावधानों में यौन उत्पीड़न के मामलों का निपटारा 90 दिन के भीतर किया जाएगा। दो सदस्यों वाली शिकायत कमेटी, जिसकी अध्यक्ष महिला होगी, का गठन होगा।
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नए नियमों में शिकायत समिति को हर साल ऐसे मामलों की रिपोर्ट सरकार को भेजनी होगी। किसी संस्थान में ऐसे कितने केस आए हैं, उनकी वजह क्या रही, जांच रिपोर्ट का नतीजा और कितने दिन में कार्रवाई हुई, ये सभी बातें रिपोर्ट में शामिल रहेंगी। साथ ही, नियोक्ता की तरफ से प्रत्येक वर्ष अलग से सरकार को रिपोर्ट देनी होगी।
इसमें भी यह बताया जाएगा कि हमारे संस्थान में यौन उत्पीड़न से जुड़े केसों की स्थिति क्या है। यदि जांच रिपोर्ट से नियोक्ता संतुष्ट है तो वह आरोपी कर्मी को लिखित आदेश द्वारा निलंबित कर सकता है। नियोक्ता सुनिश्चित करेगा कि जांच में कर्मचारी पूर्ण सहयोग दे। वह जांच कार्य में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहे या ट्रेड यूनियन का कोई प्रतिनिधि उसका पक्ष रखने के लिए वहां मौजूद रहना चाहिए।
जांच की कार्रवाई हिंदी, अंग्रेजी या उस क्षेत्र की भाषा में हो, जहां वह प्रतिष्ठान स्थित है। निलंबन की तारीख से 90 दिन के भीतर जांच की कार्रवाई समाप्त होगी। जांच के निष्कर्ष के बाद यदि कर्मचारी पर लगे आरोप साबित होते हैं तो नियोक्ता एक आदेश पारित करेगा। इसमें लिखा होगा कि संबंधित कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है या निलंबन प्रक्रिया में रख गया है। यदि उस पर आर्थिक जुर्माना किया गया है तो वह भी बताना होगा। इस कार्रवाई का मकसद जांच को न्याय के शीर्ष तक पहुंचाना रहेगा।
कार्रवाई के दौरान जब कर्मचारी को निलंबित किया जाएगा तो उसे निलंबन की अवधि के दौरान ड्यूटी से अनुपस्थित माना जाएगा। इस अवधि के लिए वह कर्मी किसी भी तरह के पारिश्रमिक का हकदार नहीं होगा। यहां खास बात है कि इससे पहले कर्मचारी को जो भी भुगतान किया गया है, उसकी रिकवरी नहीं की जाएगी।
यदि जांच के समापन पर कर्मी के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं और वह दोषी करार नहीं होता तो उसे निलंबन की अवधि के दौरान वही वेतन दिया जाएगा, जो उसे निलंबन से पहले मिलता रहा है।
कर्मी को 21 दिन के भीतर अपील करने का अधिकार दिया जाएगा। यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए जो कमेटी बनाई जाएगी, उसमें एक अध्यक्ष महिला रहेगी। दूसरी महिला किसी गैर-सरकारी संगठन से हो या वह किसी अन्य निकाय का प्रतिनिधित्व करती हो।
समिति का दूसरा सदस्य यौन उत्पीड़न के मामलों से परिचित होना चाहिए। वह राज्य या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग द्वारा नामित कोई ऐसा सदस्य हो सकता है, जिसे यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच और कार्रवाई आदि की जानकारी हो।