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RSS: 'हिंदू समाज की एकता से शक्तिशाली और धर्मनिष्ठ बनेगा भारत', आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 25 May 2025 03:47 PM IST
सार

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। 'अगर हिंदू समाज मजबूत होगा, तो भारत भी गौरवशाली बनेगा। जो लोग खुद को हिंदू नहीं मानते, वे भी कभी हिंदू थे- उन्हें साथ लेकर चलने का आदर्श मजबूत हिंदू समाज ही दे सकता है।'

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Mohan Bhagwat calls for unity in Hindu society, making Bharat mighty but righteous
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत - फोटो : ANI
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विस्तार
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज की एकता पर जोर देते हुए कहा है कि भारत को इतना शक्तिशाली बनाया जाए — सैन्य ताकत और आर्थिक रूप से — कि दुनिया की कई ताकतें मिलकर भी उसे जीत न सकें। उनका कहना है कि केवल ताकत से कुछ नहीं होगा, बल्कि शक्ति के साथ-साथ सद्गुण और धर्मनिष्ठा भी जरूरी है। अगर शक्ति के साथ नैतिकता न हो तो वह अंधी ताकत बन सकती है जो हिंसा फैला सकती है। यह इंटरव्यू आरएसएस के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में छपा है। यह बातचीत करीब दो महीने पहले बंगलूरू में हुई संघ की शीर्ष बैठक (अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा) के बाद ली गई थी।
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भारत का ताकतवर बनना जरूरी- भागवत
मोहन भागवत ने कहा, 'हमारी सीमाओं पर बुरी ताकतें लगातार सक्रिय हैं। हमें मजबूरी में ताकतवर बनना पड़ेगा ताकि हम अपनी रक्षा खुद कर सकें। हम दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते।' उन्होंने दैनिक संघ प्रार्थना का जिक्र करते हुए कहा, 'हम प्रार्थना करते हैं: 'अजय्यं च विश्वस्य देहि मे शक्ति' — यानी ऐसी शक्ति दो कि हम विश्व में अजेय बनें।'

ताकत के साथ धर्म की भी जरूरत- भागवत
उन्होंने साफ किया कि ताकत अकेले काम नहीं आएगी, बल्कि उसे धर्म और सदाचार के साथ जोड़ना होगा। 'सिर्फ बल हो और कोई दिशा न हो, तो वह हिंसक बन जाता है। इसलिए बल और धर्म दोनों साथ-साथ होने चाहिए'। उन्होंने कहा कि जब कोई विकल्प न हो, तो दुष्ट शक्तियों का खात्मा बलपूर्वक करना ही पड़ता है। 'हम ये ताकत दुनिया पर राज करने के लिए नहीं चाहते, बल्कि इसलिए कि हर कोई शांति, स्वास्थ्य और सम्मान से जी सके।'

बांग्लादेश के हिंदुओं का उदाहरण
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में कहीं भी अगर हिंदुओं पर अत्याचार होता है, तो उनके लिए काम किया जाएगा — लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए। भागवत ने बताया कि बांग्लादेश में जब हाल में हिंदुओं पर अत्याचार हुआ, तो भारत में लोगों ने जिस तरह नाराजगी जाहिर की, वह पहले कभी नहीं देखा गया। 'अब बांग्लादेश के हिंदू भी कहने लगे हैं कि हम भागेंगे नहीं, अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।'

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आने वाले 25 सालों का लक्ष्य
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में संगठन का संकल्प है — पूरे हिंदू समाज को एक करना और भारत को विश्वगुरु बनाना। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि वह अपने निजी, पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में धार्मिक मूल्यों को अपनाए, जो हिंदुत्व से जुड़े हों। भागवत ने आगे कहा कि कृषि, औद्योगिक और वैज्ञानिक क्रांतियां हो चुकी हैं। अब दुनिया को धार्मिक क्रांति की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यहां 'धर्म' से मतलब किसी मजहब से नहीं, बल्कि मानव जीवन को सत्य, पवित्रता, करुणा और तपस्या के आधार पर पुनर्गठित करने से है। उन्होंने कहा, 'दुनिया एक नया रास्ता तलाश रही है, और वह रास्ता भारत को दिखाना ही होगा। यह हमारा दैवीय कर्तव्य है'।

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