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NIA: जम्मू के बॉर्डर एरिया में छिपे हैं आतंकियों के मददगार, रसद के अलावा दहशतगर्दों को ये बात भी बताते हैं

डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला Published by: शिव शुक्ला Updated Wed, 19 Mar 2025 07:05 PM IST
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सार

एनआईए के तलाशी अभियान के तहत जम्मू-कश्मीर के जम्मू जिले में कुल 12 स्थानों पर तलाशी ली गई। आतंकवादियों को ओजीडब्ल्यू से जोड़ने वाली कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई।

NIA: Terrorists' helpers are hiding in border areas of Jammu, they provide information about safe routes
आतंकी (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : Adobe Stock

विस्तार
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जम्मू कश्मीर में खासतौर से जम्मू से लगते सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादियों को कई तरह की मदद मिल रही है। वहां पर आतंकवादियों को पनाह भी मिलती है और रसद भी। इतना ही नहीं, दहशतगर्दों को सुरक्षित रास्ता भी बताया जाता है। इसी के मद्देनजर, एनआईए ने बुधवार को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की नवगठित शाखाओं और सहयोगियों से जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के घरों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। 

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केस संख्या आरसी-04/2024/एनआईए/जेएमयू मामले में आतंकवाद विरोधी एजेंसी द्वारा की गई कार्रवाई के तहत आतंकी संगठनों के समर्थकों और कैडरों के परिसरों की भी तलाशी ली गई। यह मामला कुछ महीने पहले भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा एक बड़ी आपराधिक साजिश के तहत सुरक्षा बलों और नागरिकों पर आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों से जुड़ा है।
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एनआईए के तलाशी अभियान के तहत जम्मू-कश्मीर के जम्मू जिले में कुल 12 स्थानों पर तलाशी ली गई। आतंकवादियों को ओजीडब्ल्यू से जोड़ने वाली कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई। एनआईए की टीमें आतंकी साजिश का पता लगाने के लिए सामग्री की जांच कर रही हैं। यह कार्रवाई एनआईए को अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के माध्यम से भारत में लश्कर और जैश के आतंकवादियों की घुसपैठ के बारे में जानकारी मिलने के बाद की गई। रिपोर्टों से पता चला है कि आतंकवादियों को ओजीडब्ल्यू और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आतंकी सहयोगियों द्वारा सुविधा प्रदान की गई थी। 

इस सुविधा में रसद सहायता, भोजन, आश्रय और धन प्रदान करने के अलावा, संदिग्ध जम्मू प्रांत के कठिन इलाकों से आतंकवादियों को सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शन, आदि शामिल था। लोकल स्तर पर मदद मिलने के बाद आतंकवादी, कठुआ, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़, रियासी, राजौरी, पुंछ और कश्मीर घाटी के भीतरी इलाकों तक पहुंच गए थे।

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