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Free Schemes: सीतारमण बोलीं- वित्तीय हालात की समीक्षा के बाद ही मुफ्त उपहारों की घोषणा करें राज्य सरकारें
पीटीआई, बेंगलुरु
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 14 Aug 2022 12:43 AM IST
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सार
निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुझे लगता है कि यह शुभ संकेत है कि प्रधानमंत्री ने मुफ्त उपहारों और अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव के बारे में उल्लेख किया है और अब इस विषय पर बहुत रुचि ली जा रही है और चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन एक अच्छी और तार्किक बहस की आवश्यकता है।

बेंगलुरु में भाजपा के आर्थिक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक संवादात्मक कार्यक्रम में निर्मला सीतारमण।
- फोटो : Twitter@nsitharaman
विस्तार
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘‘मुफ्त उपहार’’ देने वाले राज्यों से शनिवार को कहा कि वे अपनी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के बाद ही लोगों को मुफ्त सुविधाएं मुहैया कराएं और उसके अनुसार ही बजटीय प्रावधान करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'मुफ्त की रेवड़ी' बांटने के बयान देने के बाद सीतारमण ने कहा कि मुफ्त सुविधाओं को लेकर बहस शुरू होना अच्छा है।
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राज्य सरकारों को मुफ्त के वादे को पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान करना चाहिए: सीतारमण
सीतारमण ने बेंगलुरु में भाजपा के आर्थिक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक संवादात्मक कार्यक्रम (Interactive programme) के दौरान कहा कि "आप कोई वादा कर सकते हैं। मान लीजिए कि जब कोई राज्य सरकार कोई वादा करती है और लोगों को कुछ सुविधाएं मुफ्त में देने की बात कहती है। यह बिजली हो सकती है, यह कुछ और भी हो सकती है। मैं यह नहीं कह रही हूं कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, लेकिन अपनी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के बाद ही ऐसा करें। आपने चुनाव के दौरान वादा किया और आप जीत गए, सरकार में वापस आएं, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप अपने वादे को कैसे पूरा करेंगे, यह सुनिश्चित करें कि आपके बजट में इसके लिए प्रावधान होना चाहिए।"
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दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘‘मुफ्त उपहार’’ को लेकर कटाक्ष किया था और इसे देश के विकास के लिए रुकावट बताया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानीपत में एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘‘मुफ्त उपहार’’ देने से भारत के आत्मनिर्भर बनने के प्रयास बाधित होते हैं और इनसे करदाताओं पर बोझ भी पड़ता है। गौरतलब है कि पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की ओर से लोगों को मुफ्त बिजली समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।
मुफ्त रेवड़ी पर अच्छी और तार्किक बहस की आवश्यकता
उन्होंने राज्य पर मुफ्त उपहारों के वित्तीय बोझ पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि "मुझे लगता है कि यह शुभ संकेत है कि प्रधानमंत्री ने मुफ्त उपहारों और अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव के बारे में उल्लेख किया है और अब इस विषय पर बहुत रुचि ली जा रही है और चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन एक अच्छी और तार्किक बहस की आवश्यकता है। क्योंकि हमें इसके मूल सिद्धांत को समझने की जरूरत है, लेकिन इस बहस को कमजोर करने या कमजोर करने का कोई भी प्रयास इस देश के लिए नुकसानदायक है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि सरकारों की जिम्मेदारियां हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारों की वास्तव में यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि अच्छी शिक्षा उसके सभी नागरिकों, विशेषकर समाज के गरीब वर्गों तक पहुंचे। इसके अलावा, बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल का ध्यान रखा जाता है। सीतारमण ने आगे कहा कि जब इस तरह की योजनाओं में गरीब लोग शामिल होते हैं, तो गरीबों को इसका उपयोग करने में भी सक्षम होना चाहिए।"
इस संबंध में, उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से नियुक्त विभिन्न समितियों ने हमेशा स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य बुनियादी जरूरतों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का कम से कम छह प्रतिशत खर्च करने पर जोर दिया है। सीतारमण ने कहा कि आज तक किसी भी सरकार ने शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी से इनकार नहीं किया है या केवल निजी शिक्षा को ही बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी है। सीतारमण ने कहा कि वह इस बात की सूची नहीं देंगी कि मुफ्त में क्या मिलना चाहिए और क्या नहीं। इस विषय को वह लोगों को तय करने कि लिए छोड़ना पसंद करती हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर राज्य की वित्तीय स्थिति को ध्यान में नहीं रखा गया तो हम मुफ्त बिजली बिजली पैदा करने वाली कंपनियों और वितरण कंपनियों पर कैसे बोझ डाल सकते हैं। उन्होंने कहा, "आपने जनता से 300 यूनिट तक या जो भी 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। उसके लिए आप जानते हैं कि कितने लोगों को यह मिलना चाहिए, आपने अपने बजट में इसके लिए प्रावधान किया है।"
निर्मला सीतारमण ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जरूरतमंदों को आश्रित नहीं बल्कि सशक्त बनाती है। सीतारमण ने सरकार की उन योजनाओं का जिक्र किया जिनकी मदद से जरूरतमंदों को सशक्त बनाया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वित्तीय समावेश के लिए पीएम जन-धन योजना की शुरुआत की और इसके तहत अधिक से अधिक लोगों के बैंक खाते खोले गए। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) स्कीम की शुरुआत की गई। ताकि सीधे जरूरतमंद को उसका लाभ मिल सके।
वित्त मंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे दुकानदार व कारोबारियों को कारोबार में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री की तरफ से मुद्रा लोन योजना शुरू की गई ताकि छोटी राशि का कर्ज भी बैंक से इन कारोबारियों को मिल सके। कोरोना काल में सरकार की तरफ से रेहड़ी-पटरी वालों के लिए स्व-निधि योजना शुरू की गई और उन्हें काम करने के लिए बैंकों से लोन दिया गया।
स्टैंडअप और स्टार्टअप इंडिया जैसे कई कार्यक्रमों से लोगों का सशक्तिकरण हुआ
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए गए जिसके माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण हुआ। वित्त मंत्री ने परोक्ष रूप से उन राजनीतिक दलों को निशाना बनाते हुए ये बातें कहीं जो राजनीति हित के लिए मुफ्त की रेवड़ी बांटते हैं। दो दिन पहले (गुरुवार को) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर शिक्षा व स्वास्थ्य को मुफ्त की रेवड़ी की श्रेणी में रखने का आरोप लगाया था। वित्त मंत्री ने केजरीवाल के इस आरोप को सरासर गलत बताते हुए कहा था कि कल्याणकारी राज्य में शिक्षा व स्वास्थ्य को मुफ्त की रेवड़ी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।
सीतारमण ने यह भी कहा है कि हम इस बात को लेकर लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि जो बैंकों से फर्जीवाड़ा कर फरार हो गए, उन्हें वापस लाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। उनकी प्रॉपर्टी नीलाम की जा रही है और बैंकों को पैसे वापस दिए जा रहे हैं और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि बैंक बाजार से फंड जुटा रहे हैं। बैंक अब लाभ कमा रहे हैं।