संसद अपडेट: कल अनिश्चितकाल काल के लिए स्थगित हो सकता है सत्र, पीएम मोदी ने कही यह बड़ी बात
सीमा पार से घुसपैठ में कमी का कारण बताते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार ने सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है।

विस्तार
संसद का बजट सत्र अपने निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जा सकती है। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा कल अनिश्चितकाल के लिये स्थगित हो सकती है। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ था और इसका पहला चरण 11 फरवरी को पूरा हुआ। प्रथम चरण में आम बजट पेश किया गया था। बजट सत्र का दूसरा चरण 14 मार्च से शरू हुआ था। बजट सत्र के मूल कार्यक्रम के अनुसार, सत्र आठ अप्रैल तक चलना है। इससे पहले लोकसभा ने बुधवार को सामूहिक संहार के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन विधेयक, 2022 को पारित किया। इसके बाद सदन को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

पीएम मोदी ने सदन में हुई चर्चा पर जाहिर की खुशी
इस बीच यूक्रेन संकट और वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी को लेकर संसद में हुई चर्चा पर पीएम मोदी ने कहा कि अपने साथी नागरिकों की सुरक्षा और भलाई की देखभाल करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है और भारत सरकार यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी कि हमारे लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि बहस का समृद्ध स्तर और रचनात्मक बिंदु बताते हैं कि जब विदेश नीति के मामलों की बात आती है तो द्विदलीयता कैसे होती है। इस तरह की द्विदलीयता विश्व स्तर पर भारत के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में संसद ने यूक्रेन की स्थिति और ऑपरेशन गंगा के माध्यम से हमारे नागरिकों को वापस लाने के भारत के प्रयासों पर एक स्वस्थ चर्चा देखी है। मैं उन सभी सांसद साथियों का आभारी हूं जिन्होंने इस चर्चा को अपने विचारों से समृद्ध किया।
जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ पर दी जानकारी
केंद्र ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ के प्रयासों में चार गुना गिरावट आई है। गृह मंत्रालय द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, 2017 में घुसपैठ के 136 प्रयास किए गए, जबकि 2021 में केवल 34 प्रयास किए गए। 2018 में 143, 2019 में 138 और 2020 में 51 प्रयासों के साथ जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ में काफी कमी आई है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित जवाब के जवाब में उच्च सदन में यह जानकारी साझा की।
सीमा पार से घुसपैठ में कमी का कारण बताते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार ने सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है। मंत्री ने कहा कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा/नियंत्रण रेखा पर बहु-स्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड़ लगाना, बेहतर खुफिया और परिचालन समन्वय, सुरक्षा बलों को उन्नत हथियारों से लैस करना और घुसपैठियों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करना शामिल है।
गृह राज्य मंत्री की प्रतिक्रिया तब आई जब उनसे पूछा गया था कि क्या पिछले पांच वर्षों के दौरान जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ बढ़ी है और सरकार द्वारा खतरे की जांच के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
2021 में सबसे अधिक अल्पसंख्यकों की मौत
गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि विभिन्न आतंकवादी हमलों में 11 मौतों के साथ जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की हत्या 2021 में अपने चरम पर रही। आंकड़ों के अनुसार, 2017 में जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 11 लोग मारे गए, 2018 में तीन, 2019 में छह, 2020 में तीन और 2021 में 11 लोग मारे गए।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उच्च सदन में आंकड़े साझा किए जिसमें 2017 और 2021 के बीच जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संबंधी घटनाओं में अपनी जान गंवाने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के 34 लोगों की हत्या का उल्लेख किया गया था।
घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं, इस सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि सरकार ने घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें मजबूत सुरक्षा और खुफिया ग्रिड, समूह सुरक्षा, नाकों पर चौबीसों घंटे की चेकिंग शामिल है। साथ ही उन क्षेत्रों में गश्त की जा रही है जहां अल्पसंख्यक रहते हैं। इसके अलावा आतंकवादियों के खिलाफ सक्रिय अभियान भी शामिल है।
विधेयक राज्यसभा में पेश
‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022’ को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया। शाह ने उच्च सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक है जिसका उद्देश्य 100 साल पुराने विधेयक में आज की परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तित प्रौद्योगिकी का समावेश करना तथा दोषसिद्धि के प्रमाण को पुख्ता करना है। यह विधेयक लोकसभा में चार अप्रैल को पारित हो चुका है। शाह ने कहा कि कितने भी अपराधियों को पकड़ लिया जाए, उनकी दोषसिद्धि जरूरी है। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार जीने वाले, समाज के बहुत बड़े वर्ग में, अपराधियों की दोषसिद्धि के बिना, कानून के प्रति विश्वास को मजबूत नहीं किया जा सकता।
विपक्ष ने साधा निशाना
राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने ब्रिटिशकालीन बंदी शिनाख्त अधिनियम की जगह केंद्र सरकार की ओर से लाए गए विधेयक को अस्पष्ट तथा मौलिक अधिकारों एव मानवाधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए इसे प्रवर समिति अथवा स्थायी समिति में भेजने की मांग की। उच्च सदन में ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि यह विधेयक हाल में लोकसभा में पारित हुआ है। वहां लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसे प्रवर समिति या स्थाई समिति में भेजे जाने की मांग की थी। लेकिन फिर भी इस विधेयक को वहां पारित कर दिया गया। चिदंबरम ने कहा कि डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक 2019 से लंबित है, अगर इस विधेयक को लाया जा सकता है तो उस विधेयक को भी लाया जा सकता है। उन्होंने प्रश्न किया वह क्यों लंबित है ?
दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक को संसद से मिली मंजूरी
दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक 2022 को राज्यसभा ने भी बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही विधेयक को संसद की हरी झंडी मिल गई। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इससे पहले दिन में बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इससे किसी की भी निजता का हनन नहीं होगा। बल्कि इस बिल से दोष सिद्धि की दर में बढ़ोतरी होगी। शाह ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य 100 साल पुराने कानून को बदलकर आधुनिक तकनीकी के जरिये जांच प्रक्रिया को मजबूती देना है।
उल्लेखनीय है कि इस बिल को लोकसभा ने सोमवार को ही पारित कर दिया था। गृहमंत्री ने विपक्ष की चिंता का निराकरण करते हुए कहा, मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी की भी निजता भंग नहीं होगी न ही कोई डाटा लीक होने का प्रश्न है। शाह ने कहा कि इस बिल का मकसद पुलिस और फोरेंसिक टीम की क्षमता को बढ़ाना है। इसके अलावा प्रस्तावित कानून से अपराधियों की जांच में वैज्ञानिक तरीकों को स्थान मिलेगा और थर्ड डिग्री से छुटकारा मिलेगा।
पुलिस को अपराधियों के भौतिक जैविक नमूने लेने का अधिकार मिला
इस बिल में पुलिस को गिरफ्तार आरोपियों और दोषियों की भौतिक और जैविक नमूने लेने का अधिकार दिया गया है। प्रस्तावित कानून अंग्रेजों के जमाने 1920 के कैदी शिनाख्त कानून का स्थान लेगा। बिल के मुताबिक इसमें पुलिस के लिए अपराधियों के शारीरिक मापदंड का ब्योरा लेने का दायरा बढ़ाया गया है।
माप से मना करने पर भी जेल
शारीरिक माप लेने से रोकने को भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत अपराध माना जाएगा, जिसके लिए तीन माह की कैद या पांच सौ रुपये जुर्माना देना होगा।
- ऐसे लोग कर सकेंगे इनकार : जो महिला-बच्चों के खिलाफ अपराध में दोषी साबित या गिरफ्तार नहीं हुए हैं या फिर सात साल से कम कैद वाले अपराध के चलते हिरासत में हैं, वे जैविक नमूने देने से इनकार कर सकते हैं।
- 75 साल तक संग्रहीत रहेगा डाटा : पुलिस को कैदियों के अंगुलियों के निशान, हथेली के छापों और पदचिन्हों के निशान, तस्वीरें, पुतलियों और रेटिना स्कैन, शारीरिक व जैविक नमूने इकट्ठे करने का अधिकार होगा। धारा 53 और 53 ए के तहत हस्ताक्षर, लेखनी या व्यवहार से जुड़े अन्य नमूने भी जुटा सकेंगे। कैदियों की शारीरिक माप का रिकॉर्ड 75 साल तक संग्रहीत रखा जा सकेगा।
सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें भारत में
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को सड़क हादसों पर चिंता जताई और कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में सबसे ऊपर है। गडकरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि जिनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ द्वारा प्रकाशित विश्व सड़क सांख्यिकी (डब्ल्यूआरएस) 2018 के नवीनतम अंक के आधार पर दुर्घटनाओं की संख्या के अनुसार भारत तीसरे स्थान पर है। गडकरी ने कहा कि सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में भारत पहले नंबर पर है और घायलों की संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर है।
देश में साल 2020 में सड़क हादसों में सबसे अधिक करीब 69.80% 18-45 वर्ष के लोगों की मौत हुई। राजमार्ग के निर्माण से जुड़े सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने बताया, कुल 22 ग्रीन फील्ड हाईवे (1,63,350 करोड़ की लागत से 2485 किमी के पांच एक्सप्रेस-वे और 1,92,876 करोड़ रुपये से 5816 किमी दूरी के 17 एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे) का निर्माण किया गया है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस के तीन भागों- दिल्ली दौसा-लालसोट-जयपुर (214 किमी), वडोदरा अंकलेश्वर(100) और कोटा- रतलाम-झाबुआ (245) को मार्च 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
जम्मू कश्मीर: धारा 370 हटाए जाने के बाद 87 नागरिक और 99 सुरक्षाकर्मी मारे गए
सरकार ने बुधवार को बताया कि जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कम से कम 370 नागरिक और 99 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमले कम हुए हैं। उन्होंने बताया कि 2018 में 417 आतंकवादी हमले हुए जबकि 2019 में 255 आतंकी हमले, 2020 में 244 आतंकी हमले और 2021 में 229 आतंकी हमले हुए। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में 2014 से 2019 तक, पांच साल में कम से कम 177 नागरिक और 406 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे। उन्होंने बताया कि पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कम से कम 370 नागरिक और 99 सुरक्षा कर्मी मारे गए हैं।
घाटी छोड़ने वाले 610 कश्मीरी पंडितों की संपत्ति वापस की गई
सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों में से 610 लोगों की संपत्ति उन्हें वापस की गई है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। राय ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी प्रवासी लोगों की अचल संपत्ति के कानूनी अभिरक्षक होते हैं और जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले साल एक पोर्टल की शुरूआत की है जो अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए और जिनकी संपत्ति जबरन ले ली गई।
अब तक 14 हिंदुओं में से चार कश्मीरी पंडितों की हत्या
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर में 2019 से अब तक 14 हिंदुओं में से चार कश्मीरी पंडितों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी है। राय ने यह भी कहा कि पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के 34 लोग मारे गए, जिनमें 2021 में 11 लोग शामिल थे। मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद 2105 प्रवासी प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत प्रदान की गई नौकरियों को लेने के लिए कश्मीर घाटी लौट आए हैं।
सामूहिक संहार के हथियारों के प्रसार, वित्त पोषण को रोकने वाले विधेयक को मंजूरी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना बुधवार को कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं और इनमें से कुछ देश हमारे काफी पास हैं। जयशंकर ने कहा कि सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1540, सामूहिक संहार के हथियारों संबंधी 2005 के कानून, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की विवेचना एवं अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण पर रोक लगाने के प्रावधान वाला विधेयक लाई। मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन में ‘सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी गई।
संसद ने संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश संशोधन विधेयक को दी मंजूरी
संसद ने बुधवार को त्रिपुरा राज्य से संबंधित ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक में त्रिपुरा राज्य के संबंध में ‘डार्लोंग’ समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची की प्रविष्टि 9 में ‘कुकी’ की उपजाति के रूप में सम्मिलित करने का प्रावधान है।
पांच वर्षों में 22 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज
सरकार ने कहा है कि पिछले पांच सालों में 22 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज किए गए। राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि ये मामले 2017 से 30 मार्च 2022 के दौरान दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश में फरार घोषित किए गए आईपीएस अधिकारियों के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा कि प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी को फरार घोषित किया गया है। मंत्री पूछा गया था कि क्या यह सही है कि देश में पुलिस बल में अपराधों में संलिप्तता बढ़ रही है और क्या इस पर कोई अध्ययन किया गया है कि यह प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है? इस पर मंत्री ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक पुलिस राज्य का विषय है। यह मुख्य रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मामलों में केस दर्ज करे।
सरकार को तीन माह में 13 लाख से ज्यादा जन शिकायतें मिलीं
सरकार ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि केंद्रीकृत जन शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली के तहत केंद्र को जनवरी से मार्च के दौरान 13 लाख से ज्यादा शिकायतें मिलीं। कार्मिक, जन शिकायतें एवं पेंशन मामलों के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि इस साल 31 मार्च तक केंद्र सरकार को 13,32,567 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 4,18,451 का निपटारा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2021 में सरकार को 30.23 लाख से ज्यादा शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 31.35 लाख शिकायतों का निपटारा कर दिया गया।
सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई में 161 लोगों की मौत
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री विरेंद्र कुमार ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि सिर पर मैला ढोने से मौत का कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है, लेकिन सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई में पिछले तीन सालों में 161 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि 2019 में ऐसी सबसे ज्यादा 118 मौत हुई, जबकि 2020 में 19 और 2021 में 24 मौतें हुईं। एक अन्य सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई में 1993 से अब तक 971 लोगों की मौत हुई है। मंत्री ने कहा कि देश में सिर पर मैला ढोना प्रतिबंधित है।
मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों के संपर्क में भारत : जयशंकर
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में कहा, भारतीय मेडिकल छात्रों की आगे पढ़ाई के लिए भारत यूक्रेन के पड़ोसी देशों के संपर्क में है। रूसी हमलों के चलते छात्रों को पढ़ाई अधूरी छोड़कर लौटना पड़ा है। यूक्रेन ने इन छात्रों को मेडिकल शिक्षा पूरी करने के लिए राहत देने का निर्णय लिया है।
विदेशमंत्री ने कहा, यूक्रेन से लौटे छात्रों की शिक्षा जारी रखने के लिए हंगरी, रोमानिया, चेक गणराज्य, कजाखस्तान और पोलैंड से बातचीत जारी है, क्योंकि इन देशों में यूक्रेन जैसी ही शिक्षा प्रणाली है। हंगरी ने इन छात्रों को अपने यहां मेडिकल शिक्षा पूरी करने का प्रस्ताव दिया है। अन्य देशों ने भी पेशकश की है।
- यूक्रेन में पढ़ने वाले 1319 छात्रों पर ऋण बकाया : उन्होंने बताया, यूक्रेन में पढ़ने वाले 1,319 छात्रों पर ऋण बकाया है और वित्तमंत्री कह चुकी हैं कि सरकार ने भारतीय बैंक संघ को वापस आने वाले छात्रों के बकाया शिक्षा ऋण पर संघर्ष के प्रभाव का आकलन करने और विभिन्न पक्षकारों से विचार-विमर्श करने के लिए कहा है।
- छात्रों को राहत : तीसरे वर्ष के मेडिकल छात्रों के लिए यूक्रेन ने चौथे वर्ष में दाखिले के लिए क्रॉक-वन परीक्षा स्थगित कर दी है।
- मानक जरूरतें पूरी करने के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रवेश मिलेगा।
- छठे साल के छात्रों के लिए होने वाली क्रॉक-2 परीक्षा भी नहीं देनी होगी। शैक्षणिक मूल्यांकन के आधार पर बिना क्रॉक लिए डिग्री मिलेगी।
ऑपरेशन गंगा से दूसरे देशों को प्रेरणा
उन्होंने कहा, ऑपरेशन गंगा अब तक का सबसे कठिन अभियान था। भारत पहला देश था जिसने 20 हजार से ज्यादा नागरिकों को यूक्रेन से निकाला और दूसरे देशों को ऐसा करने की प्रेरणा दी।
विदेशमंत्री ने कहा- बूचा में जनसंहार निंदनीय स्वतंत्र जांच की जाए
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के सख्त खिलाफ है। भारत ने हमेशा से शांति के पक्ष को चुना है। उन्होंने दावा किया कि यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बार निजी तौर पर दखल दिया। उन्होंने खारकीव और सुमी में फंसे छात्रों को निकालने के लिए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से बात कर कुछ समय के लिए संघर्ष विराम कराया था।
यूक्रेन के हालात पर निचले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, बूचा में सैंकड़ों नागरिकों की हत्याएं बेहद निंदनीय हैं। जनसंहार की स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए। भारत ने हमेशा दोनों देशों के बीच बातचीत पर जोर दिया। पीएम मोदी ने भी दोनों राष्ट्रपतियों से बात की। यदि नई दिल्ली कोई सहायता कर सकती है तो वह योगदान कर गर्व महसूस करेगी। भारत का रुख हमेशा संघर्ष को खत्म करने के लिए बातचीत को बढ़ावा देने का रहेगा।
यमन में भी करा चुके हैं युद्ध विराम
उन्होंने 2015 में यमन में जंग के दौरान चलाए गए ऑपरेशन राहत पर कहा कि तब भी पीएम ने सऊदी अरब के शाह को फोन कर युद्ध विराम कराया था। इसके बाद हम अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस ला पाए थे।
भारत की अर्थव्यवस्था पर असर
जयशंकर बोले, जंग का अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा हैं। ऊर्जा की लागत बढ़ने का आम व्यक्ति पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ना चाहिए। भोजन के साथ ही खाद की कीमतों का भी लोगों पर सीधा असर पड़ता है। उन्होंने विपक्ष पर यूक्रेन के मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया।
एडवाइजरी अप्रभावी नहीं थी यूक्रेन ने दुविधा में डाला
विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन छोड़ने की एडवाइजरी से युद्ध शुरू होने से पहले 4000 लोग निकल चुके थे। छात्रों की दुविधा यूक्रेन ने बढ़ा दी। कई यूनिवर्सिटी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुए। यूक्रेन लगातार कहता रहा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।
सामूहिक विनाश के हथियारों की फंडिंग पर प्रतिबंध को लोकसभा से मिली मंजूरी
सामूहिक विनाशकारी हथियारों की खरीद के लिए फंडिंग और उसकी आपूर्ति प्रणाली पर प्रतिबंध लगाने वाले बिल को लोकसभा ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी। सामूहिक विनाश के हथियार और आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियां निषेध) संशोधन विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा, यह बिल इस लिए लाना पड़ा क्योंकि घातक हथियारों के वित्त पोषण पर रोक लगाना जरूरी था।
इसकी फंडिंग और आपूर्ति प्रणाली को लेकर भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता भी पूरी करनी थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने घातक संहार वाले हथियारों के लिए वित्तीय मदद के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध और वित्तीय कार्रवाई कार्यबल को इसके लिए सुझाव भी दिए थे। यह प्रस्तावित कानून सामूहिक संहार और आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियां निषेध) कानून 2005 का स्थान लेगा।
जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों में कमी करे सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकस ने बुधवार को लोकसभा में सरकार से जीवन रक्षक दवाओं की कीमत घटाने का अनुरोध किया है। सांसद ने कहा कि पैरासिटामोल और अजीथ्रोमाइसिन सहित 800 से ज्यादा दवाओं की कीमत बढ़ गई है। सरकार ने हाल में कुछ जरूरी दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि कर दी है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि जीवन के लिए कुछ दवा बेहद अहम हैं, इसलिए सरकार ने फैसले को वापस ले और सुनिश्चित करे कि जीवन रक्षक दवाएं लोगों की पहुंच में हों।
नई विश्व व्यवस्था में आत्मनिर्भर भारत ही एक रास्ता : जयशंकर
दुनिया के हालिया घटनाक्रमों का जिक्र कर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत के लिए उभरी नई विश्व व्यवस्था से निपटने का एकमात्र रास्ता दूसरे देशों पर देश की निर्भरता कम करना और आत्मनिर्भर भारत को पूर्ण करना है। लोकसभा में विदेशमंत्री ने कहा कि यूक्रेन घटनाक्रम के चलते विश्व व्यवस्था में आंशिक बदलाव आएगा।
उन्होंने कहा, इसका समाधान यह है कि हमें मजबूत होना होगा, हमें बाहरी दुनिया पर निर्भरता कम करनी होगी.. हालांकि यह कभी पूरी तरह से हो सकता लेकिन नई विश्व व्यवस्था से निपटने का रास्ता वास्तव में आत्मनिर्भर भारत ही है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत एक ऐसा भारत है जो अपने लोगों की परवाह करता है, एक भारत जो ऑपरेशन गंगा चलाने में सक्षम है।
सिर्फ भारतीय संस्थाएं कर सकेंगी स्थलीय मोबाइल मैपिंग सर्वे
केंद्र का कहना है कि स्थलीय मोबाइल मैपिंग सर्वे, सड़क दृश्य सर्वेक्षण और भारतीय समुद्री सीमा में सर्वे की इजाजत सटीकता पर ध्यान दिए बिना केवल स्वदेशी संस्थाओं को ही दी जाएगी। यह जानकारी विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी है। बुधवार को उन्होंने लोकसभा में बताया, यह प्रावधान विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 15 फरवरी 2021 को जारी मानचित्र समेत भू-स्थानिक डाटा और भू-स्थानिक डाटा सेवा का हिस्सा है।
- सरकारी या गैर-सरकारी भारतीय संस्थाएं भू-स्थानिक तकनीक के जरिए समुद्री क्षेत्र समेत भारतीय सीमा में भू-स्थानिक डाटा संकलन, संग्रहण, सृजन, प्रसार, साझा, प्रकाशन और वितरण के लिए स्वतंत्र होंगी।
- इसमें नकारात्मक सूची में वर्णित विशेषताओं के नियमन का ध्यान रखा जाएगा।
पांच वर्ष में केंद्र सरकार ने दीं दो लाख नौकरियां
केंद्र सरकार ने 5 साल में 2 लाख नौकरियां दी हैं। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि इनमें एसएससी ने 1,74,744 और यूपीएससी ने 24,836 नियुक्तियां दी हैं। साल 2017-18 से 2021-22 तक इन दोनों आयोगों ने क्रमश: 1,85,734 और 27,764 भर्तियों के विज्ञापन निकाले थे।
उन्होंने बताया, रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, कौशल विकास योजना, गरीब कल्याण रोजगार अभियान, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, अंत्योदय योजना में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन आदि भी चलाए हैं।
1,99,580 का चयन दोनों आयोगों ने किया
वर्ष | एसएससी | यूपीएससी | कुल |
2021-22 | 29,023 | 4,699 | 33,722 |
2020-21 | 68,891 | 4,214 | 73,105 |
2019-20 | 14,691 | 5,230 | 19,921 |
2018-19 | 16,748 | 4,339 | 21,147 |
2017-18 | 45,391 | 6,294 | 51,685 |
51,000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव, जम्मू-कश्मीर में देंगे 4.5 लाख को रोजगार : सरकार
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में विकास की परियोजनाओं की जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 51,000 करोड़ के औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव मिले हैं, जिससे करीब 4.5 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध होंगे। 2023 तक 500 लोगों की आबादी वाले गांव सड़कों से सीधे जोड़े जाएंगे।
2015 में घोषित विकास पैकेज में से 58,466 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। मंत्री ने बताया कि जम्मू-कश्मीर औद्योगिक पॉलिसी, जम्मू-कश्मीर प्रा. इंडस्ट्रियल एस्टेट डेवलपमेंट पॉलिसी व भूमि आवंटन पॉलिसी शुरू की गई है। केंद्र सरकार की भी औद्योगिक विकास के लिए 28,000 करोड़ की एक योजना वर्ष 2037 तक चलेगी।
विस्थापितों को हर माह 13000 रुपये की मदद
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि सरकार कश्मीरी विस्थापितों को प्रति परिवार हर महीने पैसे से मदद करती है, जिसे जून 2018 में 10,000 से बढ़ाकर 13,000 रुपये कर दिया गया था। साथ ही बताया, 2019 के बाद 26,303 पदों को चिन्हित करने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया जारी है।