पीयूष पांडे: जब 38 साल पहले इस दिग्गज के मुरीद हुए थे भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी, कहा था- आपने मुझे हर घर..
यूं ही नहीं सरजमीं-ए-हिंद को ऐसे रत्नों की खान कहा जाता है, जहां मां भारती के सपूतों ने अपने शब्दों से इंकलाब पैदा किया। आज से 70 साल पहले एक ऐसी ही अमृत की एक बूंद भारत नाम के शंख के भीतर आई थी जिसे पूरी दुनिया ने पीयूष पांडे नाम के अनमोल मोती के रूप में जाना।
विस्तार
'अतुल्य भारत' की परिकल्पना को जनमानस के बीच आंदोलन जैसा लोकप्रिय करने वाले पीयूष पांडे नाम का ये शाहकार अब भले ही अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन इन्होंने अपनी बेमिसाल जिंदगी में चंद लफ्जों से जैसे जादू का एहसास कराया वो आज के डिजिटल दौर में किसी परिचय का मोहताज नहीं।
पीयूष के निधन से पसरा मातम और विज्ञापन की दुनिया में पैदा हुआ कभी न भरा जा सकने वाला शून्य इसलिए भी दिलों में नश्तर सा चुभ रहा है, क्योंकि एड वर्ल्ड में उनके शब्द ऐसा मेयार रखते हैं जिनका आज के दौर में जिक्र बेहद जरूरी है। खास तौर पर एक ऐसी दुनिया में जब शब्दों के मानी तेजी से खो रहे हैं। एक मिसाल के तौर पर देखें तो करीब 38 साल पहले उन्होंने 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' शीर्षक की रचना पर काम शुरू किया।
चंद बरस पहले एक इंटरव्यू के दौरान पीयूष ने खुद इस वाकये का जिक्र करते हुए बताया था कि उनके तत्कालीन क्रिएटिव डायरेक्टर ने उन्हें एक ब्रीफिंग दी। कहा गया कि एक ऐसा गाना लिखा जाना है जिसमें पानी भाप बनने और बरसने को एकता की थीम पर कंपोज किया जाएगा। केवल इतनी सी ब्रीफिंग और सरस्वती पुत्र पीयूष की लेखनी ने लिख डाला...
मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा
सुर की नदियां हर दिशा से बहके सागर में मिलें
बादलों का रूप लेके, बरसें हल्के-हल्के
इस प्रस्तुति के संबंध में बात करने पर एक कार्यक्रम के दौरान खुद पीयूष पांडे ने बताया था, 'घर-घर में लोकप्रिय हो चुके मिले-सुर मेरा तुम्हारा को स्वर देने वाले पंडित भीमसेन जोशी को एक मौके पर रिसीव करने वे एयरपोर्ट गए थे। पंडित जी ने कहा, कहां तो मैं अपने सर्किल में चर्चित था, आपने तो मुझे हर घर में पहुंचा दिया। मैंने कहा- आप भी कमाल करते हैं, मेरा तो मानना है कि आपने हमें पॉपुलर कर दिया है।'
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देश की विविधता में एकता को चरितार्थ करने वाली पंक्तियां
प्रसार भारती के आर्काईव में 5.44 मिनट के इस वीडियो को आज करीब चार दशक बाद भी सुनने पर ऐसा लगता है, मानो देश की अखंडता और विविधता में एकता को चरितार्थ करने वाली पंक्तियां- 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' कोई अमृत तत्व हैं और नियति ने इसका सृजन पीयूष की लेखनी से ही कराना निर्धारित किया था। ये कहना इसलिए भी अतिश्योक्ति नहीं क्योंकि जितनी विभूतियों का इस रचनाकर्म में समागम हुआ है, ऐसा इतिहास में बेहद दुर्लभ देखा गया है।
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शब्दों के जादूगर...
अपनी किताबों- पैंडेमोनियम (Pandeymonium) और ओपन हाउस (Open House) के जरिए चाहने वालों के बीच खास पहचान बनाने वाले पीयूष पांडे जिंदादिल होने के साथ-साथ अपने ठहाकों के लिए भी लोकप्रिय रहे। उन्होंने अपनी किताब ओपन हाउस में पगडंडी शीर्षक की स्वरचित कविता को भी शामिल किया है। आप भी पढ़िए-
पगडंडी
पगडंडी भी बड़ी खूबसूरत राह होती है
इसमें किसी व्यक्ति के पग और हाथ में डंडी होती है
डंडी झाड़ियों को हटाती है
पग घास को दबाते हैं और
देखते ही देखते रास्ते बन जाते हैं
मगर पगडंडी और पथ में बहुत फर्क होता है
पगडंडी पर कोई नाम नहीं
पथ पर सबके नाम लिखे होते हैं
अजय पथ, अभय पथ, फलाना पथ, ढिकाना पथ
कौन था, कहां जा रहा था, क्यों जा रहा था,
पता नहीं
क्या सिर्फ सड़क पर रहता था
या उसने कुछ किया था
किसी को कहीं ले गया था
या सिर्फ कोने पर जीया था
पथ पर किसका नाम लिखा जाए
ये निर्णय, ये नतीजा किसका था
क्या मिनिस्टर का साला था
या एमएलए का भतीजा था
वैसे भी पथ मरणोपरांत होते हैं
अच्छा है इन पथों की अभिलाषा भूल जाओ तुम
जिंदगी में बेनाम सी, कुछ पगडंडियां बनाओ तुम
कभी क्रिकेटर बनने का ख्वाब देखने वाले पीयूष की बहनों में मशहूर अभिनेत्री और टीवी कलाकार रहीं इला अरुण भी हैं। अपने भाई को खोने का गम क्या होता है ये इला अरुण के इंस्टाग्राम पोस्ट से समझा जा सकता है।
अपने सबसे प्यारे और महान भाई को खोया...
इला अरुण ने पीयूष के साथ एक त्योहार की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, 'प्रियजनों, बहुत ही व्यथित, शोकाकुल और विचलित मन से, मैं आपको यह सूचित करने के लिए लिख रही हूं कि आज सुबह हमने अपने सबसे प्यारे और महान भाई, पीयूष पांडे को खो दिया। आगे की जानकारी मेरे भाई प्रसून पांडे साझा करेंगे।'
ये कहना गलत नहीं होगा कि पीयूष की देह बीतना उन तमाम एड वर्ल्ड जैसे रचनात्मक काम से जुड़े पेशेवरों के लिए ऐसा कुठाराघात है जिससे उबरना लगभग असंभव है। ज्ञान अर्जन के बाद बतौर पेशेवर कलकत्ता में करीब तीन साल तक नौकरी करने के बाद जोखिम लेकर मुंबई आने वाले पीयूष विज्ञापन की दुनिया में ऐसी विभूति बन गए जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर दुनिया के सबसे बड़े एड दिग्गजों में शामिल कंपनी के साथ 40 साल से अधिक समय तक काम किया। आप अतुल्य भारत के अतुलनीय सपूत रहेंगे पीयूष...