Operation Sindoor: सैनिकों के पराक्रम पर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू, भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति को मिली नई पहचान
President Murmu on Operation Sindoor: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चाणक्य डिफेन्स डायलॉग में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति का निर्णायक क्षण रहा। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया ने भारत की सैन्य क्षमता और जिम्मेदार रुख को स्वीकार किया।
विस्तार
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा माहौल में तेज बदलाव के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता भारत की आतंकवाद-रोधी और प्रतिरोधक रणनीति का निर्णायक मोड़ साबित हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कार्रवाई से दुनिया ने न सिर्फ भारत की सैन्य क्षमता को देखा, बल्कि शांति की दिशा में दृढ़ लेकिन जिम्मेदार कदम उठाने की उसकी नैतिक स्पष्टता को भी स्वीकार किया। राष्ट्रपति नई दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेन्स डायलॉग के तीसरे संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में मई में हुए पहलगाम हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस सैन्य कार्रवाई ने आतंकवाद के ढांचे को तोड़ने में निर्णायक भूमिका निभाई। भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से भी हमले हुए, लेकिन भारत की सभी जवाबी सैन्य कार्रवाइयाँ ऑपरेशन सिंदूर के तहत जारी रहीं। दोनों देशों के बीच तीखा सैन्य तनाव 10 मई की शाम एक समझौते के बाद थमा।
भारतीय सेना की क्षमता और जिम्मेदारी
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल पारंपरिक युद्ध, काउंटर-इंसर्जेंसी और मानवीय संकटों में अपनी पेशेवर क्षमता को बार-बार साबित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि सेना की प्रतिबद्धता ने न सिर्फ सीमाओं को सुरक्षित किया है, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया है कि भारत शांति चाहता है, पर अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। मंच पर मौजूद सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी इस अवसर पर संबोधन दिया।
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तेजी से बदलता वैश्विक माहौल
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। प्रतियोगी शक्ति-केन्द्र, तकनीकी बदलाव, और नई रणनीतिक चुनौतियां अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को प्रभावित कर रही हैं। साइबर, स्पेस, सूचना और कॉग्निटिव वारफेयर जैसे नए क्षेत्रों ने शांति और संघर्ष की रेखा को धुंधला कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत सभ्यतागत मूल्यों और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के साथ रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए हुए है।
सेना में सुधार और भविष्य की तैयारी
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सेना ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ के तहत संरचनात्मक सुधार कर रही है। इसमें युद्ध-सिद्ध क्षमता बढ़ाने, आधुनिक सिद्धांत विकसित करने और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए नई क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि ये सुधार भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे।
युवाओं और महिलाओं की बढ़ती भूमिका
राष्ट्रपति ने सेना की ओर से युवाओं में राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा देने, एनसीसी विस्तार और खेलों के माध्यम से नए नेतृत्व को तैयार करने के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि युवा महिला अधिकारियों और सैनिकों की बढ़ती भागीदारी से सेना में समावेशिता बढ़ी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस संवाद के निष्कर्ष राष्ट्रीय नीति निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को मजबूत आधार देंगे।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी बोले
इस तीसरे संस्करण में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि दुनिया अब ‘अनिश्चित और टूटे हुए वैश्विक आदेश’ की दिशा में बढ़ रही है, जहां व्यापक संघर्ष बढ़ रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्व तेजी से बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में भारतीय सेना को निर्णायक और भविष्य-तैयार बनाए रखने के लिए व्यापक परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच-एस यानी सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा को इस परिवर्तन का आधार बताया।
जनरल द्विवेदी ने सेना के ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ विजन का जिक्र करते हुए 2032, 2037 और 2047 तक तीन चरणों में सेना को भविष्य-उन्मुख बनाने की रूपरेखा रखी। उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता’, तेज नवाचार, अनुकूलन क्षमता और सैन्य-नागरिक सहयोग को वह चार प्रमुख ‘स्प्रिंगबोर्ड’ बताया, जो आने वाले वर्षों में सेना के परिवर्तन को गति देंगे। उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी को उन्होंने सेना के लिए प्रेरणादायक बताया।
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