{"_id":"5c7b6003bdec22737672914a","slug":"pulwama-terror-attack-that-is-how-nia-team-reached-to-the-owners-of-maruti-eeco-car","type":"story","status":"publish","title_hn":"पुलवामा आतंकी हमला: चाबी के जरिए इस तरह कार मालिकों तक पहुंची एनआईए","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
पुलवामा आतंकी हमला: चाबी के जरिए इस तरह कार मालिकों तक पहुंची एनआईए
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, श्रीनगर
Published by: Sneha Baluni
Updated Sun, 03 Mar 2019 10:32 AM IST
विज्ञापन
पुलवामा आतंकी हमले के बाद मौके पर तैनात सुरक्षाबल
विज्ञापन
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई है। कुछ दिनों पहले ही जांच एजेंसी घटना में इस्तेमाल हुई कार के मालिक तक पहुंचने में सफल रही थी। धमाके वाले स्थान से मिले कार के हिस्सों का विश्लेषण करने से पता चला था कि इस कार का निर्माण साल 2011 में हुआ था। इसके लिए एजेंसी ने 2,500 कारों की जांच की थी।
Trending Videos
20 फरवरी को एनआईए की टीम को मेटल डिटेक्टर की मदद से धमाके वाले स्थान के 200 मीटर के स्थान की जांच करने के लिए भेजा गया था। इसके परिणामस्वरूप जांचकर्ताओं को गाड़ी की चाबी मिली। इसके घंटों बाद टीम मारुती ईको के पहले मालिक तक पहुंची और जल्द ही बताया कि अनंतनाग का निवासी और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के लिए भर्ती करने वाले सज्जाद भट्ट ने इस गाड़ी को हमले से 10 दिन पहले खरीदा था।
विज्ञापन
विज्ञापन
14 फरवरी को दोपहर 3.30 बजे लाल रंग की विस्फोटक से भरी मारुति ईको कार ने सीआरपीएफ के काफिले को टक्कर मारी थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। एनआईए जांचकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर पुलिस और फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से घटनास्थल को कई दिनों तक खंगाला ताकि गाड़ी के मालिक के बारे में कोई सुराग मिल सके।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एनआईए की टीम घटनास्थल से मिले गाड़ी के हिस्सों को लेकर मारुती के इंजीनियर के पास पहुंची ताकि इस गाड़ी का निर्माण साल और तारीख का पता लग सके। इंजीनियर ने बताया कि यह गाड़ी 2011 में बनाई गई थी। इसके बाद एनआईए की टीम ने 2,500 कारों की जांच की।
एनआईए के एक जांचकर्ता ने कहा, 'हमें संभावित कार मालिक को लेकर संकेत मिला लेकिन इसके बावजूद असली मालिक तक पहुंचने में कुछ हफ्तों का वक्त लग गया।' इसके बाद एनआईए पुलवामा वापस चली गई। एक अधिकारी ने कहा, 'हमें अहसास हुआ कि धमाका बहुत जबर्दस्त था इसलिए इसके अवशेष केवल राजमार्ग पर नहीं बल्कि आसपास भी मिल सकते हैं। इसी वजह से हमने मेटल डिटेक्टर की मदद से 200 मीटर के क्षेत्र को स्कैन किया और हमें गाड़ी की चाबी मिली।'
एक सूत्र ने कहा, 'चेसिस नंबर के साथ कार की चाबियों ने वाहन पहचान संख्या (वीआईएन) की पहचान करने में मदद की जिसमें 19 अक्षर हैं और यह कार के लिए अलग होता है। अल्फान्यूमेरिक कोड की मदद से पहले मालिक का पता चला। कार कंपनियां आमतौर पर निर्माण के महीने और वर्ष को अंग्रेजी अक्षरों में विभाजित करती हैं और उनकी मदद से एनआईए कार के स्वामित्व की श्रृंखला का पता लगाने में सफल रही।'