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Politics: अंग्रेजी पर राहुल गांधी और भाजपा आमने-सामने, निशिकांत दुबे बोले- गुलामी पर गर्व क्यों?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 22 Jun 2025 03:20 PM IST
सार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच अंग्रेजी भाषा को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है। राहुल ने अंग्रेजी को गरीबों के लिए ‘अवसर का पुल’ बताया, तो दुबे ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या अंग्रेजी पर गुलामी जैसा गर्व करना चाहिए?
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निशिकांत दुबे, सांसद, भाजपा
- फोटो : ANI
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विस्तार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच ‘अंग्रेजी भाषा’ को लेकर एक बार फिर तीखा टकराव सामने आया है। राहुल गांधी के उस बयान के बाद, जिसमें उन्होंने कहा था कि अंग्रेजी गरीबों के लिए एक मौका है और यह कोई जंजीर नहीं बल्कि एक पुल है। इसपर भाजपा ने उन्हें घेरा है। भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पर पलटवार करते हुए पूछा कि राहुल गांधी अंग्रेजी भाषा को गुलामी की तरह क्यों समर्थन दे रहे हैं?
राहुल गांधी ने हाल ही में एक पोस्ट में लिखा कि अंग्रेजी भाषा हाशिए पर खड़े लोगों के लिए समानता और अवसर की चाभी है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस नहीं चाहते कि गरीब बच्चे अंग्रेजी सीखें क्योंकि वे नहीं चाहते कि वे सवाल पूछें, आगे बढ़ें और बराबरी करें। राहुल के इस बयान पर निशिकांत दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि ये वही विचार हैं, जो 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल थे, जो उनके पिता राजीव गांधी ने पेश की थी।
‘गुलामी नहीं, अपनी भाषाओं पर गर्व करें’
निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा कि 1986 की नीति में हिंदी को बढ़ावा देने, संस्कृत सिखाने और अंग्रेजी को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कराने की बात कही गई थी। यही मूलभूत नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2020 की शिक्षा नीति में भी आगे बढ़ाई गई है। उन्होंने सवाल किया कि जब रूस, चीन, फ्रांस, जापान और कोरिया जैसे देश अपनी भाषाओं पर गर्व करते हैं, तो हम क्यों नहीं? 'आप गुलामों की तरह अंग्रेज़ी पर क्यों गर्व करते हैं?'
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NEP पर भी चली बहस
भाजपा सांसद ने दावा किया कि राहुल गांधी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विरोध करते हैं, जबकि वह तो लगभग उन्हीं विचारों पर आधारित है, जो उनके पिता की नीति में शामिल थे। उन्होंने 1986 की शिक्षा नीति का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देने, संस्कृत पढ़ाने और हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में विकसित करने की बात कही गई थी।
राहुल ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत की हर भाषा में आत्मा, संस्कृति और ज्ञान है, और हमें सभी भाषाओं को संजोकर रखना चाहिए। लेकिन आज के दौर में अंग्रेजी भी उतनी ही जरूरी है जितनी अपनी मातृभाषा। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को अंग्रेजी सिखाई जानी चाहिए क्योंकि यह आत्मविश्वास बढ़ाती है और रोजगार के अवसर देती है।
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राजनीतिक बहस बनी भाषा की लड़ाई
यह बहस तब और गर्म हो गई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की भाषाएं हमारे संस्कृति की ‘शोभा’ हैं और धर्म तथा इतिहास को समझने के लिए विदेशी भाषाएं माध्यम नहीं हो सकतीं। उनके इस बयान पर तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री समेत विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी। राहुल गांधी की अंग्रेजी को लेकर की गई टिप्पणी को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
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राहुल गांधी ने हाल ही में एक पोस्ट में लिखा कि अंग्रेजी भाषा हाशिए पर खड़े लोगों के लिए समानता और अवसर की चाभी है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस नहीं चाहते कि गरीब बच्चे अंग्रेजी सीखें क्योंकि वे नहीं चाहते कि वे सवाल पूछें, आगे बढ़ें और बराबरी करें। राहुल के इस बयान पर निशिकांत दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि ये वही विचार हैं, जो 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल थे, जो उनके पिता राजीव गांधी ने पेश की थी।
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राहुल गांधी जी @RahulGandhi आपका खोजी सलाहकार आपको बर्बाद करने पर उतारू है,यह आपके पिताजी के द्वारा देश को दिया शिक्षा नीति 1986 का है,इसमें आपके पिताजी हिंदी को बढ़ावा देने,संस्कृत भाषा को सिखाने तथा क्षेत्रीय भाषाओं में अंग्रेज़ी से अनुवाद करने का वादा देश से कर रहे हैं ।यही… https://t.co/jqSVxr5dG7 pic.twitter.com/nAy3OFwRaa
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 22, 2025
‘गुलामी नहीं, अपनी भाषाओं पर गर्व करें’
निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा कि 1986 की नीति में हिंदी को बढ़ावा देने, संस्कृत सिखाने और अंग्रेजी को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कराने की बात कही गई थी। यही मूलभूत नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2020 की शिक्षा नीति में भी आगे बढ़ाई गई है। उन्होंने सवाल किया कि जब रूस, चीन, फ्रांस, जापान और कोरिया जैसे देश अपनी भाषाओं पर गर्व करते हैं, तो हम क्यों नहीं? 'आप गुलामों की तरह अंग्रेज़ी पर क्यों गर्व करते हैं?'
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NEP पर भी चली बहस
भाजपा सांसद ने दावा किया कि राहुल गांधी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विरोध करते हैं, जबकि वह तो लगभग उन्हीं विचारों पर आधारित है, जो उनके पिता की नीति में शामिल थे। उन्होंने 1986 की शिक्षा नीति का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देने, संस्कृत पढ़ाने और हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में विकसित करने की बात कही गई थी।
राहुल ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत की हर भाषा में आत्मा, संस्कृति और ज्ञान है, और हमें सभी भाषाओं को संजोकर रखना चाहिए। लेकिन आज के दौर में अंग्रेजी भी उतनी ही जरूरी है जितनी अपनी मातृभाषा। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को अंग्रेजी सिखाई जानी चाहिए क्योंकि यह आत्मविश्वास बढ़ाती है और रोजगार के अवसर देती है।
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राजनीतिक बहस बनी भाषा की लड़ाई
यह बहस तब और गर्म हो गई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की भाषाएं हमारे संस्कृति की ‘शोभा’ हैं और धर्म तथा इतिहास को समझने के लिए विदेशी भाषाएं माध्यम नहीं हो सकतीं। उनके इस बयान पर तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री समेत विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी। राहुल गांधी की अंग्रेजी को लेकर की गई टिप्पणी को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
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