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Ram Mandir Security: राम मंदिर परिसर की सिक्योरिटी को बनाया जा रहा अभेद, छह स्तरीय किया गया सुरक्षा घेरा

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Fri, 24 Feb 2023 12:11 PM IST
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सार
Ram Mandir Security: मंदिर परिसर की सुरक्षा को तीन भागों में विभाजित किया गया है। रेड जोन में मंदिर परिसर के अंदर वाला हिस्सा शामिल है। येलो जोन में आसपास के वे सभी रास्ते शामिल किए गए हैं, जो मंदिर परिसर की तरफ जाते हैं। ग्रीन जोन का दायरा इससे कुछ ज्यादा होता है। यूपी पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ की एक बटालियन, 24 घंटे मंदिर परिसर की चौकसी करती है...
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Ram Mandir Security: terrorists can attack in police uniform, six-tier security cordon of the temple
Ram mandir construction - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 70 एकड़ जमीन पर बनाए जा रहे राम मंदिर परिसर की सुरक्षा को अभेद बनाया जा रहा है। आतंकियों द्वारा हमला करने की धमकी आती रहती हैं। मंदिर परिसर को 'नो-फ्लाइंग जोन' घोषित करने की पूरी तैयारी हो चुकी है। इसके बाद ड्रोन, हवाई जहाज या चॉपर, कोई भी यहां से नहीं गुजर सकेगा। ऐसे अलर्ट मिल रहे हैं कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी समूह नेपाल सीमा के जरिए मंदिर पर हमला करने की रणनीति बनाते रहते हैं। इस तरह के संभावित हमलों के मद्देनजर मंदिर परिसर की सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता बनाया जा रहा है। जिस तरह से मंदिर की सुरक्षा में सीआरपीएफ, स्थानीय पुलिस और पीएसी तैनात है, उसी तर्ज पर इंटेलिजेंस इनपुट जुटाने के लिए अलग से एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब मंदिर का सुरक्षा घेरा छह स्तरीय हो गया है। सटीक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए आईबी, एलआईयू 'खुफिया संपर्क इकाई' और सीआरपीएफ की इंटेलिजेंस विंग, को विशेष टॉस्क दिया गया है।

तीन जोन में हो रही है मंदिर की सुरक्षा

मंदिर परिसर की सुरक्षा को तीन भागों में विभाजित किया गया है। रेड जोन में मंदिर परिसर के अंदर वाला हिस्सा शामिल है। येलो जोन में आसपास के वे सभी रास्ते शामिल किए गए हैं, जो मंदिर परिसर की तरफ जाते हैं। ग्रीन जोन का दायरा इससे कुछ ज्यादा होता है। यूपी पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ की एक बटालियन, 24 घंटे मंदिर परिसर की चौकसी करती है। ये बल सभी तरह के हमलों का जवाब देने में पारंगत हैं। अगर कोई आतंकी हमला होता है या विस्फोट के जरिए कोई व्यक्ति/समूह, मंदिर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, तो उसे पहले ही नेस्तानाबूद कर दिया जाता है। जो इनपुट मिले हैं, उनमें मंदिर परिसर को नुकसान पहुंचाने के लिए आसपास कोई दंगा कराया जा सकता है। बम फेंकने व सशस्त्र हमले से निपटने का भी पूरा इंतजाम है। बमरोधी दस्ता हर समय मंदिर में तैनात रहता है।  

मंदिर को नुकसान पहुंचाने के लिए 'डार्क नेट' की मदद

सूत्रों का कहना है कि राम मंदिर तक पहुंचने के मार्ग भी सुरक्षा के हिसाब से तय किए गए हैं। एक स्पेशल मार्ग है, जहां पर तीन जगह चेकिंग होती है। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी भी मार्ग से मुख्य मंदिर तक पहुंच सकता है। उसके लिए एक मार्ग निश्चित किया गया है। मंदिर में कुछ भी लाना वर्जित है। कुछ समय पहले ही एक व्यक्ति ने डार्क नेट का इस्तेमाल कर मंदिर को उड़ाने की धमकी दी थी। पुलिस की तत्परता से वह व्यक्ति पकड़ा गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी सुरक्षा एजेंसियों की नजर है। डार्क नेट और इंटरनेट के जरिए अपराध को अंजाम देने वाले दूसरे तौर तरीकों पर भी नजर रखी जा रही है। मंदिर की सुरक्षा के लिए आसपास के इलाके में भी गहन जांच पड़ताल होती है। स्थानीय निवासियों के यहां पर कौन आ रहा है, ये सब बताना पड़ता है। इसका एक रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। किसी व्यक्ति के यहां कोई समारोह है तो बाकायदा उस पर इंटेलिजेंस इकाई की नजर रहती है। यह देखा जाता है कि वहां कोई अपराधी, मंदिर को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं रच रहे। मंदिर के आसपास के इलाके में किसी को मैपिंग करने की इजाजत नहीं है।

मंदिर की सुरक्षा, एक्सपोजर तो सीआरपीएफ के पास

सूत्रों का कहना है कि मंदिर की सुरक्षा के लिए यूपी पुलिस की स्पेशल सर्विस यूनिट तैयार की जा रही है। इसमें पीएसी के जवानों को शामिल किया गया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो यहां एनएसजी की टीम भी आती रहती है। लेकिन पुलिस व पीएसी के पास रियल टाइम एक्सपोजर नहीं है। वह एक्सपोजर तो सीआरपीएफ के पास ही है। वजह, सीआरपीएफ लंबे समय से आतंकी और नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन कर रही है। यूपी सरकार ने नेपाल से लगते सीमावर्ती जिलों में स्थित मदरसों का सर्वेक्षण कराया है। इसमें आसूचना तंत्र की रिपोर्ट भी शामिल है। आईबी ने वहां स्थित मदरसों की अपडेट जानकारी हासिल की है।

खास मेहमान को भी अकेला नहीं छोड़ते सुरक्षा कर्मी

मंदिर के आसपास आठ मस्जिद हैं। वहां तैनात सुरक्षा बलों को यह ट्रेनिंग दी गई है कि हमले की स्थिति में किसकी क्या जिम्मेदारी रहेगी। सर्विलांस के लिए अयोध्या में ही लगभग 350 कैमरे लगे हैं। मंदिर परिसर के चप्पे-चप्पे की निगरानी हो रही है। वाहन एक तय दूरी पर ही रोके जाते हैं। अगर कोई खास मेहमान है तो उसके लिए पास जारी होता है। इसके बाद भी सुरक्षा कर्मी, उसे अकेला नहीं छोड़ते। बतौर गाइड, वे उसके साथ रहते हैं। मंदिर परिसर की सुरक्षा को लेकर विशेष समीक्षा रिपोर्ट तैयार होती रहती है। इस काम को समय समय पर विभिन्न एजेंसियां अंजाम देती हैं। सिक्योरिटी सर्वे होता रहता है। गत वर्ष सीआईएसएफ ने सुरक्षा सर्वे किया था।

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