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SC: बांग्लादेश से भारत आ सकेंगे गर्भवती महिला और उसका बच्चा, सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर दी मंजूरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 03 Dec 2025 11:52 AM IST
सार

बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील को रिकॉर्ड पर लिया कि केंद्र सरकार का सक्षम प्राधिकरण मानवीय आधार पर महिला और उसके बच्चे को देश में प्रवेश देने पर सहमत है और उन्हें निगरानी में रखा जाएगा। 

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SC allows entry of pregnant woman, her child into India from Bangladesh on humanitarian grounds
सुप्रीम कोर्ट। - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर बांग्लादेश की एक गर्भवती महिला और उसकी आठ वर्षीय बेटी को भारत में प्रवेश की इजाजत दे दी है। बताया गया है कि इस महिला को कुछ महीने पहले सीमा पार करा बांग्लादेश भेज दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को बच्चे की देखभाल का निर्देश दिया और बीरभूम जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को गर्भवती महिला सुनाली खातून को हरसंभव चिकित्सीय सहायता देने को कहा।  
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बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील को रिकॉर्ड पर लिया कि केंद्र सरकार का सक्षम प्राधिकरण मानवीय आधार पर महिला और उसके बच्चे को देश में प्रवेश देने पर सहमत है और उन्हें निगरानी में रखा जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सुनाली और उसकी बेटी को दिल्ली वापस लाया जाएगा। 27 जून को उन्हें यहीं से बांग्लादेश निर्वासिय किया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और संजय हेगड़े ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए अदालत से कहा कि सुनाली के पति समेत अन्य लोग भी बांग्लादेश में फंसे हुए हैं, जिन्हें भारत लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एसजी मेहता को केंद्र से इसके लिए आगे के निर्देश लेने चाहिए। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने मेहता ने इस दावे का विरोध किया कि बांग्लादेश में फंसे सभी लोग भारतीय नागरिक हैं। उनका कहना था कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं और सिर्फ मानवीय आधार पर ही महिला और उसकी बेटी को भारत में प्रवेश दिया जा रहा है।

महिला के पिता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र के सेक्टर 26 में दिहाड़ी मजदूरी करने वाला ये परिवार दो दशकों से यहीं रह रहा था। 18 जून को पुलिस ने उन्हें बांग्लादेशी होने के संदेह में उठा लिया और 27 जून को सीमापार भेज दिया।
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