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Supreme Court: डीजीसीए की जगह भाजपा सांसदों की जांच क्यों रही CID', सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछे सवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 18 Dec 2024 07:17 PM IST
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सार

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सरकार से यह सवाल किया कि भाजपा सांसदों की जांच डीजीसीए नहीं, बल्कि राज्य की सीआईडी क्यों कर रही है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला विमान अधिनियम के तहत आता है और इस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी केवल डीजीसीए की है। 

SC asks Jharkhand why CID, not DGCA probing BJP MPs for airport violations Hindi News
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से भाजपा सांसदों के द्वारा देवघर हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सुरक्षा उल्लंघन मामले में तीखे सवाल किए है। जहां सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सरकार से यह सवाल किया कि भाजपा सांसदों की जांच नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) नहीं, बल्कि राज्य की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) क्यों कर रही है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला विमान अधिनियम के तहत आता है और इस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी केवल डीजीसीए की है। 
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बता दें कि यह मामला झारखंड के देवघर जिले के कुंडा पुलिस स्टेशन में भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। आरोप है कि इन सांसदों ने 31 अगस्त 2022 को देवघर हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कर्मचारियों को सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के लिए मजबूर किया, ताकि उनका चार्टर्ड विमान सूर्यास्त के बाद उड़ान भर सके।
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सीआईडी कैसे कर सकती है जांच- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति ए एस ओका ने पूछा कि विमान अधिनियम के तहत कोई अपराध सीआईडी कैसे जांच सकती है। कोर्ट ने झारखंड सरकार से यह सवाल किया कि बिना पूर्व मंजूरी के जांच जारी रखी जा सकती है या नहीं।

इससे पहले, उच्च न्यायालय ने इस मामले में एफआईआर को रद्द कर दिया था, क्योंकि इसके मुताबिक विमान (संशोधन) अधिनियम 2020 के तहत लोकसभा सचिवालय से सांसदों के खिलाफ एफआईआर के लिए मंजूरी जरूरी है। 

इसके साथ ही उच्च न्यायालय की सुनवाई में दुबे के वकील ने कहा था कि 31 अगस्त 2022 को विमान में थोड़ी देरी हुई थी, लेकिन विमानन नियमों के अनुसार सूर्यास्त के बाद आधे घंटे तक उड़ान भरी जा सकती थी। वकील का यह भी कहना था कि सांसदों को राजनीतिक प्रतिशोध के तहत झूठे आरोपों में फंसाया गया है।
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