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SC: निजी विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली की व्यापक जांच करेगी शीर्ष अदालत; केंद्र-राज्यों और UGC से मांगा जवाब

राजीव सिन्हा Published by: शिवम गर्ग Updated Wed, 26 Nov 2025 05:47 AM IST
सार

यूजीसी को यह भी बताना होगा कि निजी विश्वविद्यालयों में छात्र प्रवेश नीति, शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया, नियामक जांच और सरकार से मिली रियायतों का पालन कैसे सुनिश्चित किया जाता है। पीठ ने विशेष रूप से पूछा है कि क्या ये विश्वविद्यालय वास्तव में गैर लाभकारी मॉडल पर चल रहे हैं?

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SC Orders Wide Probe Into Private Universities Functioning; Seeks Detailed Response From Centre States and UGC
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : ANI
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दिल्ली धमाके के बाद फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता को लेकर उठे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने देश में तेजी से बढ़ रहे निजी व डीम्ड विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली, नियमन और उनके संचालन ढांचे की व्यापक जांच करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से कई अहम बिंदुओं पर विस्तृत तथा शपथपत्र के रूप में जानकारी मांगी है।

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कोई भी तथ्य छिपाया या तोड़ा-मरोड़ा नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने यूजीसी को निजी विश्वविद्यालयों के संदर्भ में कानूनी कर्तव्यों, नियामक शक्तियों, निगरानी तंत्र तथा अनुपालन सुनिश्चित करने की वास्तविक व्यवस्था का खुलासा करने के लिए कहा है। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह व जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।

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विवि में रियायतों का पालन कैसे सुनिश्चित किया जाता है
पीठ ने स्पष्ट किया कि यूजीसी को यह भी बताना होगा कि निजी विश्वविद्यालयों में छात्र प्रवेश नीति, शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया, नियामक जांच और सरकार से मिली रियायतों का पालन कैसे सुनिश्चित किया जाता है। पीठ ने विशेष रूप से पूछा है कि क्या ये विश्वविद्यालय वास्तव में गैर लाभकारी मॉडल पर चल रहे हैं? सरकार कैसे सुनिश्चित करती है कि संस्थानों की आय का उपयोग संस्थान के बाहर, जैसे संस्थापकों या उनके परिवारों के लाभ के लिए नहीं किया जा रहा है? साथ ही, वहां छात्रों व कर्मियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र प्रभावी है या नहीं?


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जानिए क्या था पूरा मामला
यह मामला एक छात्रा की ओर से एमिटी यूनिवर्सिटी को उसका नाम परिवर्तन स्वीकार करने के निर्देश देने की याचिका से शुरू हुआ था, पर अदालत ने इसे जनहित मुद्दा मानते हुए इसे सार्वजनिक हित याचिका में बदल दिया। पीठ ने केंद्र व राज्यों से पूछा कि देश में निजी, गैर-सरकारी या डीम्ड विश्वविद्यालय किस पृष्ठभूमि और किन कानूनी प्रावधानों के आधार पर स्थापित हुए। यह भी पूछा कि सरकार ने उन्हें भूमि आवंटन व अन्य सहूलियतों जैसे कौन-कौन से लाभ दिए। इन संस्थानों को चलाने वाले ट्रस्ट या संगठनों के मेमोरेंडम, उप-नियम, मकसद तथा शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्थाएं गवर्निंग बोर्ड, प्रबंधन समिति कैसे चयनित होती हैं और उनकी संरचना क्या है। क्या शिक्षकों व कर्मचारियों को कानूनन निर्धारित न्यूनतम वेतन मिल रहा है? पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव और सभी राज्यों के मुख्य सचिव खुद जानकारी जुटाकर व्यक्तिगत रूप से शपथ-पत्र के साथ दाखिल करेंगे। यूजीसी अध्यक्ष को भी ऐसा ही हलफनामा देना होगा।

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