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Ethiopia Volcano Ash: Does the volcano threat still persist, why did AAI issue NOTAM?
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Ethiopia Volcano Ash : ज्वालामुखी का खतरा क्या अभी भी बना हुआ है, AAI ने क्यों जारी किया NOTAM ?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Wed, 26 Nov 2025 12:44 PM IST
इथोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख से भारत की हवा और कुछ फ्लाइट्स पर असर जरूर देखा जा रहा है, लेकिन हमारे लिए खतरे की कोई बात नहीं है. क्यों कि ज्वालामुखी की ये राख मंगलवार शाम तक चीन की तरफ जाने लगी. अब खतरा चीन के लिए ज्यादा माना जा रहा है. IMD ने मंगलवार को राहत भरी खबर देते हुए कहा कि हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख का बादल अब पूरी तरह उत्तरी भारत से आगे बढ़ चुका है और खतरा टल गया है. राख के बादल पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एटीसी, मौसम विभाग, एयरलाइंस और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार हालात पर आपस में तालमेल बनाए हुए हैं. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए जरूरी NOTAM जारी कर दिया है. जिन उड़ानों पर इसका असर पड़ सकता है, उनको जानकारी दी जा रही है. भारत में हवाई संचालन फिलहाल सामान्य है. सिर्फ कुछ फ्लाइट्स को एहतियातन रूट बदलकर या नीचे की ऊंचाई पर उड़ाया गया है, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है और यात्रियों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर अपडेट जारी किए जाएंगे. IMD के मुताबिक, राख का बादल अब चीन की ओर चला गया है और ऊपरी वायुमंडल (स्ट्रैटोस्फीयर) में फैल रहा है. आने वाले कुछ दिनों में यह महीन धूल सबट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम के साथ प्रशांत महासागर की ओर बढ़ जाएगी. राहत की सबसे बड़ी बात यह है कि इसका सतह पर कहीं भी कोई खतरा नहीं है. इस राख का एक्यूआई पर भी कोई असर नहीं पड़ा और न पड़ेगा. हिमालयी तराई, नेपाल की पहाड़ियों या उत्तर भारत के मैदानों में एसओ2 का स्तर भी सामान्य हो चुका है. 40,000 फीट से ऊपर सिर्फ एसओ 2 का हल्का निशान बचा है, जो तेजी से फैलकर निष्क्रिय हो जाएगा. इंडियामेटस्काई वेदर के मुताबिक, राख का यह बादल पहले पश्चिम से गुजरात में घुसा और फिर राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, हरियाणा से होते हुए दिल्ली एनसीआर पहुंचा था। अब यह हिमालय और दूसरे उत्तरी इलाकों की ओर बढ़ रहा है। राख के इन बादलों के कारण फ्लाइट्स के संचालन पर असर पड़ा है। कई एयरलाइंस ने फ्लाइट को रद कर दिया है और ज्यादातर देरी से चल रही हैं। राख के ये बादल जिन क्षेत्रों से गुजर रहे हैं, वहां का आसमान सामान्य से ज्यादा काला दिख सकता है।
इथोपिया के इरिट्रिया बॉर्डर के पास अदीस अबाबा से करीब 800 किमी उत्तर-पूर्व में मौजूद अफार इलाके से एक ज्वालामुखी है हेली गुब्बी, जो पिछले 10 हजार साल से शांत है। रविवार को सुबह करीब 8:30 बजे GMT पर इसमें विस्फोट हुआ। इस धमाके से निकली राख के मोटे गुबार आसमान में 14 किलोमीटर तक ऊपर उठे।यह ज्वालामुखी जियोलॉजिकली एक्टिव रिफ्ट वैली में है, जहां दो टेक्टोनिक प्लेट्स मिलती हैं। राख लाल सागर से होते हुए यमन और ओमान तक गई और फिर भारत की ओर बढ़ने लगी। मंगलवार को यह दिल्ली एनसीआर तक पहुंच गई और इस कारण विजिबलिटी कम हो गई।
इस बादल में ज्वालामुखी की राख, सल्फर डाइऑक्साइड और कांच और चट्टान के छोटे कण शामिल हैं। राख के बादल 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसमान में 15,000-25,000 फीट की ऊंचाई पर हैं। कुछ लेयर में यह 45,000 फीट तक उठ रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस ऊंचाई की वजह से भारत के शहरों के एक्यूआई खराब होने की उम्मीद नहीं है। हालांकि इसे कारण नेपाल की पहाड़ियों, हिमालय और उत्तर प्रदेश के आस-पास के तराई इलाके में So2 लेवल पर असर पड़ा, क्योंकि कुछ मैटेरियल पहाड़ियों से टकराने और बाद में चीन जाने की बात कही गई थी। जमीन पर इसका असर सिर्फ गहरे आसमान और धुंधले हालात जितना ही रहा।
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