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कितने की लागत से बना अयोध्या में श्रीराम मंदिर?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 25 Nov 2025 11:33 AM IST
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अयोध्या में पांच वर्ष की अखंड तपस्या, तकनीक और श्रम-साधना के बाद भगवान श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर पूर्णता को प्राप्त कर चुका है। लगभग 1400 करोड़ रुपये की लागत से बना यह मंदिर अब अपने सबसे महत्वपूर्ण क्षण के लिए तैयार है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के मुख्य शिखर पर केसरिया धर्म ध्वज फहराएंगे वह ध्वज जो सदियों पुरानी आस्था के पुनर्जन्म का प्रतीक बनेगा।
राम मंदिर का निर्माण जितना विशाल, उतना ही संघर्षपूर्ण भी रहा। 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन के साथ शुरू हुई यह यात्रा एक भी दिन बिना रुके आगे बढ़ती रही। बारिश, भीषण सर्दी, तपती गर्मी, कोरोना महामारी और तकनीकी चुनौतियों जैसी अनेक बाधाएं सामने आईं, लेकिन न तो श्रमिकों का उत्साह टूटा और न ही इंजीनियरों का संकल्प। हर परीक्षा ने निर्माण को और मजबूत बनाया।
सबसे बड़ी चुनौती तब आई जब मंदिर की नींव के लिए की गई प्रारंभिक टेस्ट पाइलिंग तकनीकी रूप से विफल साबित हुई। भूकंप जैसी परिस्थितियों में खंभों में दरारें पड़ गईं। विशेषज्ञों को पूरी नींव का डिज़ाइन बदलना पड़ा, जिसमें ही छह महीने लग गए। इसके बाद आरसीसी, रोलर कंपैक्ट कंक्रीट के प्रयोग से नई नींव तैयार की गई, जो हजारों वर्षों तक संरचना को स्थायित्व प्रदान करेगी। खुदाई के दौरान मिली पुरातात्विक परतों और उच्च गुणवत्ता वाले पत्थरों की उपलब्धता जैसी चुनौतियों का समाधान भी अदम्य इच्छाशक्ति से किया गया।
इस विशाल परियोजना में देशभर के 4,000 से अधिक शिल्पियों, इंजीनियरों और कारीगरों ने योगदान दिया। मंदिर परिसर में दिन-रात चल रहा काम, यंत्रों की आवाज़ और मंत्रोच्चार की पवित्र ध्वनि ने निर्माण को तपस्या और साधना का रूप दे दिया। कोरोना काल में दुनिया जहां ठहर गई थी, वहीं राम मंदिर का कार्य केवल नियमों के तहत सीमित हुआ, पर रुका नहीं।
मंदिर निर्माण में तकनीक और परंपरा का ऐसा संगम देखने को मिला, जो आधुनिक भारत की क्षमता और प्राचीन संस्कृति की श्रेष्ठता दोनों को दर्शाता है। आईआईटी चेन्नई, आईआईटी रुड़की, आईआईटी मुंबई, इसरो, एलएंडटी और टाटा जैसी शीर्ष संस्थाओं और कंपनियों के विशेषज्ञों ने मिलकर मंदिर को मजबूत, भूकंपरोधी और दीर्घायु बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मंदिर की वास्तुकला नागर शैली की उत्कृष्ट मिसाल है। पूरी संरचना लोहे और स्टील के बिना निर्मित की गई है, ताकि इसका आयुचक्र अनंत तक बना रहे। 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा यह मंदिर तीन तल, पांच मंडप और 392 खूबसूरत नक्काशीदार खंभों से सुसज्जित है।
राम मंदिर निर्माण कई ऐतिहासिक पड़ावों से गुजरकर इस मुकाम पर पहुंचा-
2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला,
2020 में भूमि पूजन,
2024 में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा,
2025 में शिखर पर कलश और राम दरबार की स्थापना।
आज, यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, संघर्ष, तकनीक और संकल्प का जीवंत प्रतीक बनकर खड़ा है।
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