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Anti-Naxal Operations: Security forces attack Naxalite organization, 320 killed, including 23 commanders!
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Anti Naxal Operations: सुरक्षाबलों के प्रहार से संकट में नक्सल संगठन, 23 कमांडर समेत 320 ढेर!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Tue, 25 Nov 2025 04:00 AM IST
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IG बस्तर पी. सुंदरराज ने बताया, "प्रतिबंधित और गैरकानूनी CPI माओवादी संगठन के द्वारा प्रति वर्ष 2-8 दिसंबर तक PLGA सप्ताह मनाया जाता है। माओवादियों के द्वारा सालभर में हुए नुकसान का ब्योरा प्रेस नोट के माध्यम से जारी किया जाता है। एक प्रेस विज्ञप्ति देखने को मिल रही है जिसमें 2025 में 320 माओवादियों के नुकसान होने की बात को स्वीकार किया गया है। इससे साबित होता है कि माओवादी संगठन का संख्या बल घटता जा रहा है। उनके पास कोई नेतृत्व भी नहीं बचा है। उन्हें हिंसा त्यागकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए। शासन द्वारा उनके पुनर्वास की सहायता प्रदान की जा रही है।"
सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे सघन और लक्ष्य-आधारित (Target-Based) अभियानों के कारण देश में नक्सल संगठन वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार के 'नक्सलमुक्त भारत' के संकल्प के तहत, सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कुर्रेगुट्टालू पहाड़ (KGH) जैसे स्थानों पर बड़े ऑपरेशनों में भारी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया गया है, जिससे उनके शीर्ष नेतृत्व और कैडर को बड़ा नुकसान हुआ है। झारखंड के कोल्हान क्षेत्र और सारंडा के जंगलों में भी इनामी कमांडरों को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व नेस्तनाबूद होने के कगार पर है।
नक्सलियों के पारंपरिक गढ़ माने जाने वाले बीजापुर, नारायणपुर, और सुकमा जैसे जिलों के भीतरी इलाकों में नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे सुरक्षा बलों की पहुँच और उपस्थिति बढ़ रही है और नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कमी आ रही है। लगातार हो रहे हमलों, गिरफ्तारियों, और वरिष्ठ नेताओं के आत्मसमर्पण (जैसे केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता उर्फ कल्पना) के कारण नक्सली संगठन नेतृत्व के गंभीर संकट से जूझ रहा है और उसमें फूट पड़ने की खबरें भी आ रही हैं। संगठन में नई भर्ती का संकट भी खड़ा हो गया है, क्योंकि युवा वर्ग विकास और सुरक्षा के पक्ष में आ रहे हैं। इस संकट के कारण नक्सली अब आमने-सामने की लड़ाई से बच रहे हैं और हताशा में आईईडी (IED) विस्फोटों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हालांकि, सुरक्षाबलों की मल्टी-प्रोंग रणनीति (विकास, सुरक्षा और स्थानीय पुलिसिंग) के कारण हिंसा की घटनाओं वाले जिलों और पुलिस स्टेशनों की संख्या में भी महत्वपूर्ण कमी आई है, जो उनके संकट को और गहरा करता है।
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