SIR: तृणमूल कांग्रेस से क्या एसआईआर पर चर्चा करेगा चुनाव आयोग? बैठक के लिए तय की 28 नवंबर की तारीख
मुर्शिदाबाद से आए एक और शिक्षक ने कहा, 'एसआईआर की प्रक्रिया दो महीने में कराई जा रही है। बिहार में करोड़ों मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। वही साजिश यहां की जा रही है।'
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पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। एसआईआर को लेकर तृणमूल कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की मांग भी की गई थी। टीएमसी की इस मांग को केंद्रीय चुनाव आयोग ने मान लिया है। चुनाव आयोग की ओर से टीएमसी को पत्र भेजकर 28 नवंबर को बैठक के लिए बुलाया गया है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ-ब्रायन ने चुनाव आयोग से पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने की मांग की थी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखे जाने पर भाजपा नेता अनिर्बान गांगुली ने प्रतिक्रिया दी। गांगुली ने कहा, 'लोकतांत्रिक समाज में कोई भी पत्र लिख सकता है। ये पत्र किसी परी कथा जैसा है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी एक संवैधानिक प्रक्रिया का सियासी तौर पर विरोध कर रही हैं।'
उन्होंने कहा, 'ममता बनर्जी ने अपने पत्र में डाटा ऑपरेटर्स की नियुक्तियों का मुद्दा उठाया है। कई जगहों पर उनकी पार्टी की ओर से नियुक्त लोग डाटा ऑपरेटर्स बनकर घूम रहे हैं। जब उनसे सवाल पूछा गया तो वे भागने लगे। पश्चिम बंगाल में टीएमसी के कार्यकर्ता या उनकी ओर से नौकरी पर रखे गए लोग डाटा में हेरफेर कर रहे हैं।'
इस बीच बंगाल के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के कोलकाता स्थित कार्यालय पर सोमवार देर रात तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने हालात के मद्देनजर चुनाव आयोग के कार्यालय के बाहर जमा हुए सैकड़ों कार्यकर्ताओं के दोनों समूहों को रोकने के लिए बैरिकेड लगा दिए।
दक्षिणी कोलकाता की भाजपा जिलाध्यक्ष तमोघना घोष ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर गुंडे भेजकर एसआईआर की प्रक्रिया को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'ये टीएमसी के गुंडे हैं और गुंडागर्दी करने आए हैं। इनका व्यवहार और हरकतें देखिए। ये लोग बीएलओ नहीं हैं। ये निर्वाचन आयुक्त के दफ्तर में छेड़छाड़ करने आए हैं. हमने इन्हें रोका है।'
चुनाव आयोग के कार्यालय पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ मौजूद थी। ये भीड़ वरिष्ठ अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे थे। टीएमसी और भाजपा के कार्यकर्ताओं को आमने-सामने आने से रोकने के लिए पुलिस ने कड़ी घेराबंदी की थी।
प्रदर्शनकारियों में कई शिक्षक शामिल थे। उनमें से एक ने कहा, 'मैं एक शिक्षक हूं। मैं बीएलओ नहीं हूं। हम यहां बीएलओ के समर्थन में आए हैं। हम निर्वाचन आयुक्त से मिलने आए हैं। हमारे प्रतिनिधि उनसे मिल रहे हैं। जब तक अधिकारी हमसे नहीं मिलेंगे, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।' मुर्शिदाबाद से आए एक और शिक्षक ने कहा, 'एसआईआर की प्रक्रिया दो महीने में कराई जा रही है। बिहार में करोड़ों मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। वही साजिश यहां की जा रही है।'
बीएलओ ने जताया विरोध
इससे पहले दिन में एसआईआर प्रक्रिया में लगे बीएलओ ने सीईओ कार्यालय के बाहर एक और प्रदर्शन किया। एसआईआर को उन्होंने ज्यादा काम का दबाव और असहनीय कार्यभार बताया। कार्यालय में घुसने की उनकी कोशिश के दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई।
4 नवंबर को गणना चरण शुरू होने के बाद से बीएलओ के बीमार पड़ने और कम से कम तीन लोगों की मौत की कई रिपोर्टों के बीच यह अशांति फैली है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दो मौतें आत्महत्या से हुईं और एक अन्य अप्राकृतिक हालात में हुई।
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