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Ram Mandir Flag Hoisting: What is the speciality and religious significance of the religious flag of Ayodhya R
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Ram Mandir Flag Hoisting: अयोध्या राम मंदिर के धर्म ध्वज की क्या विशेषता और धार्मिक महत्व?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 25 Nov 2025 11:40 AM IST
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर मंगलवार को फहराया जाने वाला कोविदार ध्वज कलियुग में भी त्रेता का आभास कराएगा। यह ध्वज प्राचीन काल से अयोध्या की पहचान रहा है, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। मंदिर ट्रस्ट ने इस ध्वज को चुनकर अयोध्या का गौरव बढ़ाया है।अयोध्या का राज ध्वज और उस पर अंकित कोविदार वृक्ष सनातन संस्कृति की अमूल्य निधि रही है। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में है। इसके अनुसार चित्रकूट में वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को ध्वजों से विभूषित अश्व और रथों से आती हुई सेना की सूचना दी और इसके बारे में पता लगाने को कहा।इसे देखकर लक्ष्मण ने कहा कि 'यथा तु खलु दुर्भद्धिर्भरत: स्वयमागत:। स एष हि महा काय: कोविदार ध्वजो रथे।' अर्थात् 'निश्चय ही दुष्ट दुर्बुद्धि भरत स्वयं सेना लेकर आया है। यह कोविदार युक्त विशाल ध्वज उसी के रथ पर फहरा रहा है।' इसी प्रसंग से जाहिर है कि कोविदार वृक्ष युक्त ध्वज अयोध्या की पहचान और प्राचीन धरोहर रही है। हालांकि, भारतीय मानस पटल से रघुकुल का यह राज ध्वज बिसरा दिया गया था, जिसे रीवा के इतिहासकार ललित मिश्रा ने कई शोध के बाद खोजा है। इसके बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने अयोध्या के प्राचीन और गौरवशाली इतिहास के अनुरूप यही ध्वज फहराने का निर्णय लिया है। प्राण प्रतिष्ठा के समय ही राम मंदिर परिसर में कोविदार वृक्ष लगाए गए हैं, जो इस समय लगभग आठ से 10 फुट के हो चुके हैं।
ध्वजारोहण के साथ ही इसके दर्शन भी शुरू होंगे, जो रामभक्तों को अयोध्या के प्राचीन गौरव का आभास कराएंगे। कथाओं के अनुसार कचनार को ही रघुकुल का वृक्ष माना गया था, लेकिन कई शोधों के बाद कोविदार की जानकारी हुई है। शोध के अनुसार हरिवंश पुराण में उल्लेख है कि महर्षि कश्यप ने पारिजात के पौधे में मंदार के गुण मिलाकर इसे तैयार किया था। यह संभवत: पहला हाइब्रिड प्लांट था। यह अभी भी उपलब्ध है। 15 से 25 मीटर तक ऊंचाई वाला यह वृक्ष फूल और फलदार होता है। इसमें बैगनी रंग के फूल खिलते हैं, जो कचनार के फूल जैसे होते हैं। इसका फल स्वादिष्ट और पौष्टिक माना जाता है। मंदिर बनने के बाद इस ध्वज को पुन: महत्व मिल रहा है, जो एक नए युग की शुरुआत का संकेत है।इस कार्यक्रम के लिए लगभग 100 टन फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस समारोह में लगभग 6–7 हज़ार लोगों के शामिल होने की संभावना है. मंदिर निर्माण में दान देने वालों को भी आमंत्रित किया गया है. सूची में हर वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है.
सुबह 11:58 से 12:30 बजे के शुभ मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज की स्थापना करेंगे. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार यह ध्वजारोहण मंदिर की पूर्णता का संकेत होगा. शास्त्र अनुसार मंदिर पर ध्वजा लगाने का महत्व...शास्त्रों के अनुसार मंदिर के शिखर पर फहराती ध्वजा से दिव्य ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मंदिर परिसर में सकारात्मक और पवित्र वातावरण बना रहता है.मंदिर के शीर्ष पर ध्वजा लगाने उद्देश्य ये होता है कि मंदिर के भीतर विशिष्ट दैवीय शक्ति की उपस्थिति है, क्योंकि मंदिर का शिखर उसका सर्वोच्च बिंदु होता है. कहते हैं कि ये ये ब्रह्मांडीय ऊर्जा और मंदिर के गर्भगृह के बीच एक संपर्क सूत्र का कार्य करता है. मंदिर पर लगी ध्वजा दर्शाती है कि अब मंदिर पूरी तरह से तैयार है और भक्तों के लिए दैवीय चेतना का केंद्र बन गया है.
मंदिर में लगा झंडा उस मंदिर की दिव्य और आध्यात्मिक ऊर्जा को भी इंगित करता है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार मंदिर में लहराते ध्वज के दर्शन कर लिए जाएं तो उसे संपूर्ण मंदिर में स्थित देवी-देवता के दर्शन करने के बराबर पुण्य मिलता है.
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