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West Bengal: हुगली में रोकी गई SIR के तहत दावों-आपत्तियों पर सुनवाई, TMC विधायक ने बीएलए न होने पर जताई आपत्ति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता।
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 29 Dec 2025 05:03 PM IST
सार
West Bengal: पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एसआईआर के तहत सुनवाई उस समय रोक दी गई जब टीएमसी विधायक असित मजूमदार ने बूथ-स्तर के एजेंटों को सुनवाई में शामिल न करने का विरोध किया। इसको लेकर भाजपा ने विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं टीएमसी ने उनका बचाव किया है।
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एसआईआर (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया जारी रही है। हालांकि, हुगली जिले के चिनसूड़ा-मोगरा ब्लॉक कार्यालय में सोमवार को एसआईआर के तहत दावों और आपत्तियों पर उस समय सुनवाई रोक दी गई, जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक असित मजूमदार ने बूथ-स्तर के एजेंट (बीएलए) को सुनवाई में शामिल न करने का विरोध किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
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तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए ब्लॉक कार्यालय में चल रही सुनवाई तब रुकी, जब मजूमदार ने जोर देकर कहा कि बीएलए को प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति दी जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि या तो बीएलए को सुनवाई में आने दिया जाए या लिखित में बताया जाए कि उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी।
मजूमदार ने संवाददाताओं से कहा, जब तक बीएलए को अनुमति नहीं दी जाती या अधिकारियों की ओर से लिखित में नहीं बताया जाता कि उन्हें अनुमति नहीं होगी, हम सुनवाई की अनुमति नहीं देंगे। इसके बाद ब्लॉक कार्यालय के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए गए, जिससे लोगों का प्रवेश रोका गया। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, इस प्रकार की सुनवाई में की उपस्थिति की अनुमति नहीं है।
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बाद में मजूमदार ने अपने रुख में नरमी दिखाई और सुनवाई फिर से शुरू होने दी। उन्होंने कहा कि कई लोग लंबी दूरी तय करके आए थे, इसलिए यह मानवीय आधार पर किया गया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि भविष्य में बीएलए के बिना सुनवाई जारी रहेगी या नहीं।
भाजपा ने की विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
भाजपा ने आरोप लगाया कि विधायक ने यह कदम टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी के निर्दश पर उठाया। पार्टी ने दावा किया कि रविवार को हुई एक ऑनलाइन बैठक में बनर्जी ने बीएलए को सुनवाई में शामिल करने का सुझाव दिया था। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मजूमदार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जहां भी चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं में बाधा डाली जाती है, वहां केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की।
टीएमसी ने किया मजूमदार का समर्थन
तृणमूल कांग्रेस ने मजूमदार का समर्थन किया। पार्टी प्रवक्ता और टीएमसी के सोशल मीडिया व आईटी प्रकोष्ठ के राज्य अध्यक्ष देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा कि बीएलए को अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि कई लोग यह समझ नहीं पाते कि उनके नाम मतदाता सूची से क्यों हटाए जा रहे हैं। मजूमदार ने चुनाव आयोग पर भी हमला बोला और इसे 'जमींदार' और 'भाजपा के एजेंट' बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि भारतीय पासपोर्ट धारक या सशस्त्र बलों में सेवा करने वाले लोगों को सत्यापन के लिए क्यों बुलाया जा रहा है।
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तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए ब्लॉक कार्यालय में चल रही सुनवाई तब रुकी, जब मजूमदार ने जोर देकर कहा कि बीएलए को प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति दी जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि या तो बीएलए को सुनवाई में आने दिया जाए या लिखित में बताया जाए कि उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी।
मजूमदार ने संवाददाताओं से कहा, जब तक बीएलए को अनुमति नहीं दी जाती या अधिकारियों की ओर से लिखित में नहीं बताया जाता कि उन्हें अनुमति नहीं होगी, हम सुनवाई की अनुमति नहीं देंगे। इसके बाद ब्लॉक कार्यालय के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए गए, जिससे लोगों का प्रवेश रोका गया। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, इस प्रकार की सुनवाई में की उपस्थिति की अनुमति नहीं है।
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बाद में मजूमदार ने अपने रुख में नरमी दिखाई और सुनवाई फिर से शुरू होने दी। उन्होंने कहा कि कई लोग लंबी दूरी तय करके आए थे, इसलिए यह मानवीय आधार पर किया गया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि भविष्य में बीएलए के बिना सुनवाई जारी रहेगी या नहीं।
भाजपा ने की विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
भाजपा ने आरोप लगाया कि विधायक ने यह कदम टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी के निर्दश पर उठाया। पार्टी ने दावा किया कि रविवार को हुई एक ऑनलाइन बैठक में बनर्जी ने बीएलए को सुनवाई में शामिल करने का सुझाव दिया था। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मजूमदार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जहां भी चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं में बाधा डाली जाती है, वहां केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की।
टीएमसी ने किया मजूमदार का समर्थन
तृणमूल कांग्रेस ने मजूमदार का समर्थन किया। पार्टी प्रवक्ता और टीएमसी के सोशल मीडिया व आईटी प्रकोष्ठ के राज्य अध्यक्ष देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा कि बीएलए को अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि कई लोग यह समझ नहीं पाते कि उनके नाम मतदाता सूची से क्यों हटाए जा रहे हैं। मजूमदार ने चुनाव आयोग पर भी हमला बोला और इसे 'जमींदार' और 'भाजपा के एजेंट' बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि भारतीय पासपोर्ट धारक या सशस्त्र बलों में सेवा करने वाले लोगों को सत्यापन के लिए क्यों बुलाया जा रहा है।