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Stray Dogs: दुनियाभर में लावारिस कुत्तों-मवेशियों को सड़कों से हटाने के लिए सख्त कानून, खुले घूमने देना अपराध
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sat, 23 Aug 2025 07:26 AM IST
सार
भारत की तरह विदेशों में सड़क पर लावारिस कुत्तों को रहने देने के समर्थन में आंदोलन देखने को नहीं मिलता। रोमानिया और ग्रीस जैसे देशों में जब लावारिस कुत्तों को हटाने या मारने का अभियान चलाया, तो स्थानीय एनजीओ और कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था। पर उनका विरोध भी पशुओं की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए था न कि उन्हें सड़कों पर खुला छोड़ने के लिए।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
दुनिया के कई देशों ने लावारिस कुत्तों और मवेशियों को सड़कों से हटाने के लिए सख्त कानून लागू किए हैं। सवाल सिर्फ लोगों की सुरक्षा नहीं, बल्कि पशु कल्याण भी है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस समस्या का समाधान आश्रय घर, पंजीकरण और कड़े नियमों से निकाला है। भारत की तरह विदेशों में सड़क पर लावारिस कुत्तों को रहने देने के समर्थन में आंदोलन देखने को नहीं मिलता। रोमानिया और ग्रीस जैसे देशों में जब लावारिस कुत्तों को हटाने या मारने का अभियान चलाया, तो स्थानीय एनजीओ और कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था। पर उनका विरोध भी पशुओं की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए था न कि उन्हें सड़कों पर खुला छोड़ने के लिए।
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अमेरिका में एनिमल कंट्रोल लॉ के तहत लावारिस कुत्तों और मवेशियों को सड़कों पर घूमने देना अपराध है। ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल के अनुसार, यहां हर शहर में शेल्टर होम हैं, जहां पकड़े गए जानवरों का पंजीकरण, टीकाकरण और देखभाल की जाती है। हर साल करीब 35 से 40 लाख कुत्ते और बिल्लियां इनमें लाई जाती हैं। इनमें से आधे जानवरों को गोद लिया जाता है।
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ब्रिटेन : हर पालतू कुत्ते की माइक्रोचिपिंग
ब्रिटेन में डॉग्स एक्ट 1871 और माइक्रोचिपिंग संबंधी कानून लागू हैं। यानी हर पालतू कुत्ते की माइक्रोचिपिंग अनिवार्य है, ताकि मालिक का पता लग सके। हर साल औसतन 50 से 60 हजार कुत्तों को शेल्टर में रखा जाता है। लोकल काउंसिल और संस्थाएं मिलकर लावारिस कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखती हैं।
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जर्मनी : कुत्ते पालने पर टैक्स
जर्मनी में टियरहेम नामक एनिमल शेल्टर मौजूद है। वहां हर कुत्ते का पंजीकरण और टैक्स भरना अनिवार्य है। अगर कोई पशु सड़क पर घूमता पाया जाता है, तो उसे तुरंत शेल्टर में ले जाया जाता है। टियरहेम नेटवर्क में सालाना करीब 7 लाख पालतू और लावारिस पशु शेल्टर में आते हैं।
ऑस्ट्रेलिया : हर राज्य में एनिमल मैनेजमेंट एक्ट है। सड़कों पर लावारिस जानवर मिलने पर मालिक पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
सिंगापुर : किसी भी पालतू जानवर का पंजीकरण अनिवार्य है और उसे सड़क पर छोड़ना अपराध है
जापान : सड़कों पर नहीं दिख सकते मवेशी
जापान में एनिमल वेलफेयर सेंटर संचालित हैं। ह्यूमेन सोसायटी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार जापान में सड़कों पर आवारा कुत्ते या मवेशी दिखना लगभग असंभव है, क्योंकि उनके लिए शेल्टर और पुनर्वास की ठोस व्यवस्था है। हर साल लगभग 70 से 80 हजार हजार कुत्तों और बिल्लियों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जाता है।
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भारत में भी शेल्टर होम्स को देनी होगी प्राथमिकता
पशु कल्याण विशेषज्ञ डॉ. अरुण मेनन का कहना है कि भारत में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यहां लावारिस कुत्तों और मवेशियों को लेकर दो ध्रुवीय सोच है। एक तरफ नागरिक सुरक्षा चाहते हैं, दूसरी तरफ पशु प्रेमी इन्हें सड़कों पर रहने देने के पक्षधर हैं। विकसित देशों की तरह यदि भारत शेल्टर आधारित समाधान अपनाए, तो यह विवाद अपने आप खत्म हो सकता है।