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SC Updates: पंजाब के न्यायिक अधिकारी से जुड़ा हिट एंड रन मामला दिल्ली ट्रांसफर, मृतक की पत्नी ने की थी मांग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 30 Oct 2025 01:19 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक कथित हिट एंड रन मामले की सुनवाई को पंजाब की अदालत से दिल्ली की रोहिणी अदालत में स्थानांतरित करने की इजाजत दे दी। यह मामला एक प्रोबेशनरी न्यायिक अधिकारी (ज्यूडिशियल ऑफिसर) से जुड़ा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने यह आदेश मृतक के परिवार की उस दलील के आधार पर दिया, जिसमें आरोप लगाया कि आरोपी के न्यायिक अधिकारी होने की वजह से मुकदमे की सुनवाई निष्पक्ष नहीं हो रही है।
सुनवाई के दौरान न्यायिक अधिकारी की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें मुकदमा दिल्ली स्थानांतरित किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सुझाव दिया कि केस को नोएडा स्थानांतरित करना ज्यादा उपयुक्त होगा, क्योंकि पीड़ित की भाभी दिल्ली में वकील हैं।
सुनवाई के दौरान न्यायिक अधिकारी की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें मुकदमा दिल्ली स्थानांतरित किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सुझाव दिया कि केस को नोएडा स्थानांतरित करना ज्यादा उपयुक्त होगा, क्योंकि पीड़ित की भाभी दिल्ली में वकील हैं।
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हालांकि, पीठ ने यह मामला दिल्ली के अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। पीड़िता ने एक और मामले को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया। इस केस को पीड़ित की पत्नी ने पंजाब से सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर मामले में आगे किसी जांच की आवश्यकता होगी, तो वह दिल्ली पुलिस की तरफ से ही की जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उनके पति की इस वर्ष फरवरी में एक हिट-एंड-रन दुर्घटना में मौत हुई थी। इसमें आरोपी न्यायिक अधिकारी की कार शामिल थी। वह उस समय पंजाब के होशियारपुर जिले में प्रोबेशन पर तैनात था। अदालत को बताया गया कि यह मामला फिलहाल पंजाब के फगवाड़ा की अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया के चरण में लंबित है।
क्या है पूरा मामला?
मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उनके पति की इस वर्ष फरवरी में एक हिट-एंड-रन दुर्घटना में मौत हुई थी। इसमें आरोपी न्यायिक अधिकारी की कार शामिल थी। वह उस समय पंजाब के होशियारपुर जिले में प्रोबेशन पर तैनात था। अदालत को बताया गया कि यह मामला फिलहाल पंजाब के फगवाड़ा की अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया के चरण में लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव को पेशी से राहत देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव को तीन नवंबर को पेश होने से छूट मांगी गई थी। राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि विधानसभा चुनाव के चलते मुख्य सचिव व्यस्त हैं, लेकिन न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग देख लेगा, मुख्य सचिव को कोर्ट आना होगा।
अदालत ने 27 अक्टूबर को सभी राज्यों (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर) के मुख्य सचिवों को तलब किया था क्योंकि उन्होंने आवारा कुत्तों के मुद्दे पर अगस्त 22 के आदेश का पालन नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में लगातार लापरवाही पर नाराजगी जता चुका है और कहा कि देश की छवि विदेशों में खराब हो रही है।
अदालत ने 27 अक्टूबर को सभी राज्यों (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर) के मुख्य सचिवों को तलब किया था क्योंकि उन्होंने आवारा कुत्तों के मुद्दे पर अगस्त 22 के आदेश का पालन नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में लगातार लापरवाही पर नाराजगी जता चुका है और कहा कि देश की छवि विदेशों में खराब हो रही है।
ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध कानून की वैधता पर चार नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह चार नवंबर को उन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जो केंद्र सरकार के प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 को चुनौती दे रही हैं। यह कानून वास्तविक धन से खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स, जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स और ई-स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगाता है और उनसे जुड़े बैंकिंग व विज्ञापन सेवाओं पर रोक लगाता है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह निर्णय वरिष्ठ अधिवक्ताओं सी. आर्यमन सुंदरम और अरविंद दातार की दलीलों पर सुनवाई के दौरान दिया। दोनों वकीलों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की पीठ ने सुझाव दिया था कि यह मामला उसी पीठ के पास रहे जो पहले से इस पर सुनवाई कर रही है।
इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन करता है, जो पेशा चुनने और वैध व्यवसाय करने का अधिकार देता है। केंद्र सरकार की याचिका पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित सभी याचिकाएं अपने पास स्थानांतरित कर ली थीं, ताकि अलग-अलग निर्णयों की संभावना समाप्त हो सके। केंद्र का कहना है कि यह कानून ऑनलाइन जुए और दांव आधारित गेम्स को रोकने के लिए आवश्यक है, जबकि याचिकाकर्ता इसे कौशल-आधारित गेम्स पर भी अनुचित प्रतिबंध बताते हैं।
इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन करता है, जो पेशा चुनने और वैध व्यवसाय करने का अधिकार देता है। केंद्र सरकार की याचिका पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित सभी याचिकाएं अपने पास स्थानांतरित कर ली थीं, ताकि अलग-अलग निर्णयों की संभावना समाप्त हो सके। केंद्र का कहना है कि यह कानून ऑनलाइन जुए और दांव आधारित गेम्स को रोकने के लिए आवश्यक है, जबकि याचिकाकर्ता इसे कौशल-आधारित गेम्स पर भी अनुचित प्रतिबंध बताते हैं।