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Supreme Court: भूमि अधिग्रहण पर अदालत का बड़ा फैसला, कहा- 'प्रतिकूल कब्जा' नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का हनन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Wed, 20 Nov 2024 02:09 AM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को प्रतिकूल कब्जे के जरिये निजी संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति देने से नागरिकों के संवैधानिक अधिकार कमजोर हो जाएंगे और सरकार के प्रति जनता का विश्वास भी घटेगा।

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Supreme Court says State appropriating land by adverse possession undermines constitutional rights of citizens
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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भूमि अधिग्रहण के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की अपील खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी संपत्ति हड़पने के लिए 'प्रतिकूल कब्जे' की अनुमति देने से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने यह फैसला सुनाया। हरियाणा सरकार ने  पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं की दलीलों में कोई दम नहीं। हाईकोर्ट का फैसला ठोस कानूनी सिद्धांतों और साक्ष्यों की सही समझ पर आधारित है।

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यह मामला हरियाणा के बहादुरगढ़ में स्थित एक भूमि को लेकर था, जो दिल्ली और बहादुरगढ़ को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। हरियाणा के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इस भूमि पर अपना दावा जताया था, जबकि हाईकोर्ट ने निजी पक्ष के पक्ष में निर्णय दिया था।
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शीर्ष अदालत ने कहा- हमें अपीलकर्ताओं की दलीलों में दम नहीं दिखता
शीर्ष अदालत ने कहा, 'हमें अपीलकर्ताओं (राज्य सरकार) की दलीलों में कोई दम नहीं दिखता। उच्च न्यायालय का फैसला ठोस कानूनी सिद्धांतों और साक्ष्यों के सही मूल्यांकन पर आधारित है। वादी (निजी पक्ष) ने मुकदमे की संपत्ति पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया है, और सरकार अपने ही नागरिकों के खिलाफ प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकती।'

राज्य सरकार का प्रतिकूल कब्जे का दावा कानूनी रूप से अस्थिर
पीठ ने राजस्व रिकॉर्ड की प्रविष्टियों पर भरोसा किया, जिसने निजी पक्ष के पक्ष में भूमि का स्वामित्व स्थापित किया। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का प्रतिकूल कब्जे का दावा कानूनी रूप से अस्थिर है, क्योंकि निजी पक्ष ने राजस्व रिकॉर्ड से अपना स्वामित्व साबित किया था। पीठ ने यह भी कहा कि राजस्व रिकॉर्ड सरकारी दस्तावेज होते हैं, जिन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत प्रामाणिक माना जाता है, और ये कब्जे के साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य हैं।

हरियाणा और उसके पीडब्ल्यूडी ने पहले दावा किया था कि दशकों से विचाराधीन भूमि पर उनका निरंतर और निर्बाध कब्जा था और वे प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से मालिक बन गए थे।

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