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Leh Violence: सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, नहीं दी तत्काल राहत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 06 Oct 2025 09:04 AM IST
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सार
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एनवी अंजनिया की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान सोनम वांगचुक की पत्नी की तरफ से वकील के तौर पर कपिल सिब्बल कोर्ट के सामने पेश हुए।

सुप्रीम कोर्ट में आज सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुनवाई।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट आज (6 अक्तूबर) को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी गई और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई। कोर्ट ने इस याचिका को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जवाब मांगा है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में तत्काल कोई फैसला सुनाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एनवी अंजनिया की पीठ के अब मामले में आगे 14 अक्तूबर को सुनवाई करेगी।
गीतांजलि की तरफ से इस मामले में वकील कपिल सिब्बल कोर्ट के सामने पेश हुए। उन्होंने जजों से कहा कि परिवार को सोनम को हिरासत में रखे जाने की वजह नहीं बताई गई हैं। उधर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से दलील देते हुए कहा कि हिरासत में रखे गए व्यक्ति (सोनम वांगचुक) को हिरासत की वजहें बताई गई हैं और उनकी पत्नी को इससे जुड़ी प्रति देने पर विचार किया जाएगा।
गौरतलब है कि सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुए प्रदर्शन के दो दिन बाद एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे।

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गीतांजलि की तरफ से इस मामले में वकील कपिल सिब्बल कोर्ट के सामने पेश हुए। उन्होंने जजों से कहा कि परिवार को सोनम को हिरासत में रखे जाने की वजह नहीं बताई गई हैं। उधर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से दलील देते हुए कहा कि हिरासत में रखे गए व्यक्ति (सोनम वांगचुक) को हिरासत की वजहें बताई गई हैं और उनकी पत्नी को इससे जुड़ी प्रति देने पर विचार किया जाएगा।
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गौरतलब है कि सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुए प्रदर्शन के दो दिन बाद एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे।