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West Bengal: साइबर ठगी का शिकार हुए टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, जालसाजों ने खाते से उड़ाए 55 लाख रुपये
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता।
Published by: निर्मल कांत
Updated Fri, 07 Nov 2025 04:42 PM IST
सार
West Bengal: तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी के निष्क्रिय पड़े एसबीआई खाते को फर्जी दस्तावेजों के जरिए दोबारा सक्रिय कर ठगों ने करीब 55 लाख रुपये निकाल लिए। साइबर अपराधियों ने नकली पैन और आधार कार्ड बनाकर खाते की केवाईसी अपडेट की और मोबाइल नंबर बदलकर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
तृणमूल कांग्रेस के नेता और चार बार के लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी के साथ एक बड़ी साइबर धोखाधड़ी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, उनके निष्क्रिय पड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) खाते को फर्जी दस्तावेजों के जरिए फिर से सक्रिय किया गया और इससे 55 लाख रुपये से अधिक की रकम निकाल ली गई।
साइबर अपराधियों ने खाते पर कैसे हासिल किया नियंत्रण?
कोलकाता में एसबीआई की हाईकोर्ट शाखा ने इस मामले में साइबर अपराध थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई है। बैंक की शिकायत के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने जाली पैन और आधार कार्ड तैयार किए, जिन पर कल्याण बनर्जी की तस्वीर लगाई गई थी। इन जाली दस्तावेजों की मदद से अपराधियों ने उनके पुराने खाते की केवाईसी अपडेट कर दी। इसके बाद 28 अक्तूबर को खाते में दर्ज मोबाइल नंबर भी बदल दिया गया, जिससे उन्हें खाते पर पूरा नियंत्रण मिल गया।
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साइबर जालसाजों ने खाते से निकाली 56 लाख रुपये से ज्यादा की रकम
शिकायत के मुताबिक, खाते की जानकारी मिलने के बाद ठगों ने कई ऑनलाइन लेनदेन किए और करीब 56 लाख 39 हजार 767 रुपये इंटरनेट बैंकिंग के जरिए निकाल लिए।
साइबर अपराध कर रहा मामले की जांच
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, निकाली गई रकम को कई अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया, एटीएम से निकाला गया और यहां तक कि गहने खरीदने में भी इस्तेमाल किया गया। कोलकाता पुलिस के साइबर अपराध विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है। हम बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि खाते तक पहुंच कैसे बनाई गई। ठगों और पैसे के अंतिम गंतव्य का पता लगाने के लिए प्रयास जारी हैं।
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जब विधायक थे कल्याण बनर्जी, तब खोला गया था खाता
अधिकारियों ने बताया कि फर्जी केवाईसी प्रक्रिया के दौरान अपराधियों ने कल्याण बनर्जी की तस्वीर का इस्तेमाल किया। लेकिन मोबाइल नंबर किसी और का लगाया गा था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह खाता कई वर्षों से निष्क्रिय था। इस खाते को तब खोला गया था, जब कल्याण बनर्जी 2001 से 2006 के बीच आसनसोल (दक्षिण) से विधायक थे और विधायक के रूप में उन्हें मिलने वाला वेतन इसी खाते में आता था। उस समय से यह खाता बंद पड़ा था। लेकिन अब इसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए दोबार चालू कर धोखाधड़ी की गई।
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साइबर अपराधियों ने खाते पर कैसे हासिल किया नियंत्रण?
कोलकाता में एसबीआई की हाईकोर्ट शाखा ने इस मामले में साइबर अपराध थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई है। बैंक की शिकायत के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने जाली पैन और आधार कार्ड तैयार किए, जिन पर कल्याण बनर्जी की तस्वीर लगाई गई थी। इन जाली दस्तावेजों की मदद से अपराधियों ने उनके पुराने खाते की केवाईसी अपडेट कर दी। इसके बाद 28 अक्तूबर को खाते में दर्ज मोबाइल नंबर भी बदल दिया गया, जिससे उन्हें खाते पर पूरा नियंत्रण मिल गया।
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साइबर जालसाजों ने खाते से निकाली 56 लाख रुपये से ज्यादा की रकम
शिकायत के मुताबिक, खाते की जानकारी मिलने के बाद ठगों ने कई ऑनलाइन लेनदेन किए और करीब 56 लाख 39 हजार 767 रुपये इंटरनेट बैंकिंग के जरिए निकाल लिए।
साइबर अपराध कर रहा मामले की जांच
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, निकाली गई रकम को कई अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया, एटीएम से निकाला गया और यहां तक कि गहने खरीदने में भी इस्तेमाल किया गया। कोलकाता पुलिस के साइबर अपराध विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है। हम बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि खाते तक पहुंच कैसे बनाई गई। ठगों और पैसे के अंतिम गंतव्य का पता लगाने के लिए प्रयास जारी हैं।
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जब विधायक थे कल्याण बनर्जी, तब खोला गया था खाता
अधिकारियों ने बताया कि फर्जी केवाईसी प्रक्रिया के दौरान अपराधियों ने कल्याण बनर्जी की तस्वीर का इस्तेमाल किया। लेकिन मोबाइल नंबर किसी और का लगाया गा था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह खाता कई वर्षों से निष्क्रिय था। इस खाते को तब खोला गया था, जब कल्याण बनर्जी 2001 से 2006 के बीच आसनसोल (दक्षिण) से विधायक थे और विधायक के रूप में उन्हें मिलने वाला वेतन इसी खाते में आता था। उस समय से यह खाता बंद पड़ा था। लेकिन अब इसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए दोबार चालू कर धोखाधड़ी की गई।