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त्रिशूल युद्धाभ्यास: पाकिस्तान सीमा पर तीनों सेनाओं का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू, 10 नवंबर तक चलेगा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: शिवम गर्ग Updated Fri, 31 Oct 2025 03:32 AM IST
सार

भारत ने पाकिस्तान सीमा के पास ‘त्रिशूल’ नामक अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू किया है। 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के 25 हजार से ज्यादा जवान शामिल होंगे।

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Trishul Exercise: India’s Biggest Tri-Services War Drill Begins Near Pakistan Border Till Nov 10
युद्धाभ्यास - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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पाकिस्तान से सटी देश की पश्चिमी सीमा पर तीनों सेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास त्रिशूल का आगाज हो गया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला मौका है जब भारत किसी सामरिक चुनौती से निपटने के लिए युद्ध के सभी संभावित क्षेत्रों में अपने युद्धकौशल का परीक्षण कर रहा है।



राजस्थान और गुजरात के सीमाई इलाकों में इस अभ्यास को एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है कि यदि पाकिस्तान ने इस बार हिमाकत की तो जवाब सीमा पार तक जाएगा। भारत यह रणनीतिक संदेश देना चाहता है कि वह सीमाओं की सुरक्षा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के 25 हजार से ज्यादा जवान शामिल होंगे।
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अभ्यास में राफेल और सुखोई जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, ऑपरेशन सिंदूर में लोहा मनवा चुके ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम, युद्धक टैंक, इन्फैंट्री कॉम्बैट वाहन, हेलिकॉप्टर, लंबी दूरी की क्षमता वाले आर्टिलरी सिस्टम्स, ड्रोन्स और नौसेना के युद्धपोत हिस्सा ले रहे हैं। सेना के तीनों अंग गुजरात व राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों में संयुक्त ऑपरेशन, शत्रु सीमा में गहराई तक वार करने की क्षमता और मल्टी डोमेन वॉरफेयर का अभ्यास करेंगे।

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कच्छ पर फोकस, राजनाथ दे चुके हैं चेतावनी
त्रिशूल युद्धाभ्यास का फोकस गुजरात के कच्छ क्षेत्र पर भी रहेगा जिसे लेकर हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को खुली चेतावनी दी थी। राजनाथ ने कहा था कि यदि पाकिस्तान ने सर क्रीक में दुस्साहस किया तो उसको इतिहास और भूगोल बदलने वाला जवाब मिलेगा। साथ ही उन्होंने कहा था कि कराची का रास्ता भी क्रीक से होकर जाता है।

हर क्षमता का बारीकी से परीक्षण
अभ्यास के जरिये वास्तविक युद्ध के मल्टी डोमेन ऑपरेशनल वातावरण में सेना की युद्ध क्षमता, समन्वय व अभियानगत तैयारियों का परीक्षण किया जाएगा। इनसे आधुनिक युद्धक्षेत्र में उभरते खतरों का सामना करने की क्षमता मजबूत होगी। त्रिशूल अभ्यास का एक उद्देश्य दुश्मन की हर गतिविधि की समयबद्ध पहचान करना भी है। इसके लिए उन्नत तकनीकों का समन्वित उपयोग किया जाएगा।

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क्या है मल्टी डोमेन ऑपरेशन?
इसमें जल, थल, आसमान, साइबर, इलेक्ट्रोनिक जैसे सभी क्षेत्रों से मिलने वाली चुनौतियां निर्मित कर उनसे निपटने का अभ्यास किया जाता है। क्योंकि आधुनिक युद्धों में केवल जमीन, समुद्र या हवा से ही चुनौतियां नहीं मिलती बल्कि इसमें अंतरिक्ष व साइबरस्पेस जैसे नए क्षेत्र भी शामिल हो गए हैं। इसलिए दुश्मन पर बढ़त हासिल करने के लिए सभी क्षेत्रों की क्षमताओं का एक साथ समन्वित परीक्षण किया जाता है।

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