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Hardeep Puri: 'आज भी 1984 के दिनों को याद कर कांप जाता हूं', सिख दंगे की सालगिरह पर केंद्रीय मंत्री का ट्वीट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 31 Oct 2025 09:56 AM IST
सार

सिख दंगे की सालगिरह पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। हरदीप पुरी ने लिखा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने बयान 'जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है' से सिखों के नरसंहार को खुला समर्थन दिया।

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हरदीप पुरी - फोटो : PTI
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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सिख दंगों की सालगिरह पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया है और कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। हरदीप पुरी ने सिख दंगों को आजाद भारत के इतिहास के सबसे काले धब्बों में से एक बताया। हरदीप पुरी ने लिखा कि सिख दंगों के समय सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया और जिन संस्थाओं पर लोगों की रक्षा करने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने कांग्रेस नेताओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 


हरदीप पुरी का कांग्रेस पर हमला
हरदीप पुरी ने पोस्ट में लिखा कि 'आज हम आजाद भारत के सबसे दागदार धब्बों में से एक की सालगिरह मना रहे हैं। मैं आज भी जब साल 1984 के उन दिनों को याद करता हूं तो कांप जाता हूं, जब निर्दोष और बेसहारा सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को निर्ममता से मारा गया। उनकी संपत्तियों और पूजा स्थलों को कांग्रेस नेताओं के इशारों पर हत्यारी भीड़ ने लूटा। यह सब इंदिरा गांधी की कायराना हत्या के बदले के नाम पर किया गया।'
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केंद्रीय मंत्री ने ये भी साझा किया कि नानावटी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि कांग्रेस नेताओं ने गुस्साई भीड़ का नेतृत्व किया। कांग्रेस पार्टी न सिर्फ दंगे रोकने में बुरी तरह से विफल रही बल्कि बाद में कांग्रेस ने बेशर्मी से सिख विरोधी हिंसा की बात से भी इनकार किया। दंगे को साजिशकर्ताओं को न सिर्फ बचाया गया बल्कि बाद में उन्हें टिकट देकर पुरस्कृत किया गया। हरदीप पुरी ने बताया कि किस तरह से कांग्रेस नेताओं ने भीड़ को ज्वलनशील पाउडर और रसायन दिए, जिनसे लोगों को जलाया गया। 

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'रक्षक ही हत्यारे बन गए'
केंद्रीय मंत्री ने पोस्ट में लिखा कि 'उस समय पुलिस को मूक दर्शक बनकर खड़े रहने के लिए मजबूर किया गया था, जबकि सिखों को उनके घरों, गाड़ियों और गुरुद्वारों से निकालकर जिंदा जलाया जा रहा था। सरकारी मशीनरी ने सिखों की तरफ से पूरी तरह से मुंह फेर लिया था। रक्षक ही हत्यारे बन गए थे। मतदाता सूची का इस्तेमाल कर सिख लोगों के घरों और संपत्तियों की पहचान की गई; कई दिनों तक भीड़ को रोकने की कोई कोशिश नहीं की गई। इसके बजाय, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने बयान 'जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है' से सिखों के नरसंहार को खुला समर्थन दिया। कांग्रेस नेताओं को गुरुद्वारों के बाहर भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया, जबकि पुलिस चुपचाप खड़ी देखती रही। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बनी संस्थाओं ने अपनी अंतरात्मा को बेच दिया और इन नेताओं को खुली छूट दे दी।'


 
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