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विकास : केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा, चीन और नेपाल के रास्ते से नहीं जाना पड़ेगा कैलाश मानसरोवर

अमर उजाला नेटवर्क, पिथौरागढ़। Published by: देव कश्यप Updated Thu, 24 Mar 2022 05:41 AM IST
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सार

केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में बताया कि दिसंबर 2023 तक सड़क बनने के बाद श्रद्धालु पिथौरागढ़ से सीधे सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा सकेंगे। चीन सीमा को जोड़ने वाली सामरिक महत्व की घट्टाबगड़-लिपुलेख सड़क दो साल में पक्की बन जाएगी।

Union Road and Transport Minister Nitin Gadkari said Kailash Mansarovar will not have to go through China and Nepal
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी। - फोटो : PTI
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विस्तार
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कैलाश मानसरोवर यात्रा अब आसान हो जाएगी। श्रद्धालुओं और अन्य नागरिकों को अगले साल दिसंबर के बाद से कैलाश मानसरोवर जाने के लिए चीन या नेपाल से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा।

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केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में बताया कि दिसंबर 2023 तक सड़क बनने के बाद श्रद्धालु पिथौरागढ़ से सीधे सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा सकेंगे। चीन सीमा को जोड़ने वाली सामरिक महत्व की घट्टाबगड़-लिपुलेख सड़क दो साल में पक्की बन जाएगी। इस सड़क के चौड़ी और पक्की होने से कैलाश मानसरोवर यात्रियों के साथ सुरक्षा बलों और नागरिकों की आवाजाही सुगम हो जाएगी।
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वर्ष 2006 में गर्बाधार से लिपुलेख तक सड़क का निर्माण शुरू किया गया था। तब वर्ष 2012 तक इस सड़क का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण तय समय पर सड़क नहीं कट सकी। मालपा सहित अन्य स्थानों पर बेहद कठोर चट्टानों को काटने के लिए आधुनिक मशीनों को हेलिकॉप्टर से वहां पहुंचाया गया। बीआरओ के लंबे प्रयासों के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाली 95 किमी लंबी इस घट्टाबगड़-लिपुलेख सड़क की कटिंग का कार्य जून 2020 में पूरा हो पाया। 

चार दिन के बजाय कुछ घंटों का रह जाएगा सफर
जिले के धारचूला में अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक हिस्सा नेपाल से तो दूसरा चीन से लगा है। दुश्मन पर नजर रखने के लिए सीमा पर बार्डर आउट पोस्ट बनाए गए हैं। सड़क बनने से पहले सेना के जवानों के लिए रसद से लेकर अन्य जरूरी सामान घोड़े खच्चरों से पहुंचाया जाता था। धारचूला से सीमा तक पहुंचने में चार दिन का समय लगता है। सड़क बनने से आपूर्ति आसान हो गई है। सड़क के चौड़ा और हाटमिक्स होने से चीन सीमा तक का सफर कुछ घंटों का ही रह जाएगा। व्यास घाटी के माइग्रेशन वाले गांवों बूंदी, गर्ब्यांग, नपलचु, गुंजी, नाबी, रोंकांग, कुटी के साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा, आदि कैलाश, ओम पर्वत के साथ ही भारत-चीन व्यापार भी सुगम होगा।

सैन्य वाहनों के लिए दो साल पहले खुली
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई 2020 को इस सड़क का वर्चुअल उद्घाटन किया था। इसके बाद इस सड़क पर बीआरओ के साथ ही सेना के वाहनों का भी संचालन हुआ। सड़क बनने के बाद पर्यटक भी वाहनों से गुंजी और आदि कैलाश तक गए, लेकिन छियालेख से आगे सड़क संकरी होने से वाहन संचालन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बीआरओ की 65आरसीसी और 67 आरसीसी सड़क चौड़ीकरण के काम में लगी हुई हैं। सड़क चौड़ीकरण काम में बाधा न आए इसके लिए बीआरओ ने आम लोगों की आवाजाही बंद की है।

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