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US-India: नोबेल के लिए पैरवी, न्योता नकारने और...क्या है भारत पर ट्रंप के टैरिफ की असल वजह, नाराजगी क्यों?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sun, 31 Aug 2025 06:12 AM IST
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सार

खुलासा हुआ है कि ट्रंप के भारत पर लगाए गए टैरिफ की वजह इनमें से कोई थी भी नहीं, बल्कि 17 जून को एक फोन कॉल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का रुख भारत के प्रति लगातार सख्त होता चला गया। 

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अमेरिका ने भारत पर लगाए हैं 50 फीसदी टैरिफ। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर कुल मिलाकर 50 फीसदी टैरिफ लगाया जा चुका है। भारतीय उत्पादों पर जहां 25 फीसदी आयात शुल्क अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने के लिए तो वहीं अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ रूस से तेल खरीदने के लिए जुर्माने के तौर पर लगाया गया है। हालांकि, भारत ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बावजूद न तो अपने सेक्टर्स को तुरंत अमेरिकी उत्पादों के लिए खोलने की हामी भरी है और न ही रूस से तेल खरीद में कमी करने की बात कही है। इस बीच अब खुलासा हुआ है कि ट्रंप के भारत पर लगाए गए टैरिफ की वजह इनमें से कोई थी भी नहीं, बल्कि 17 जून को एक फोन कॉल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का रुख भारत के प्रति लगातार सख्त होता चला गया। 
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17 जून का वो फोन कॉल जिसे लेकर बिगड़ गई ट्रंप-मोदी की बात?
अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई के बीच हुए संघर्ष को लगातार रुकवाने का दावा किया है। इतना ही नहीं ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों पर भी मध्यस्थता की बात कहते रहे हैं और इसे सदियों पुराना मसला बताते हैं, जबकि पाकिस्तान 1947 में ही अस्तित्व में आया।
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17 जून को जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष पूरी तरह रुक चुका था तब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री को फोन किया। इस फोन में उन्होंने दावा किया कि वह दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष खत्म कराने के लिए गौरवान्वित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने वाला है। एनवाईटी के मुताबिक, यह पीएम मोदी को सीधा इशारा था कि वह भी ऐसा ही करें।

अखबार ने इस फोन कॉल की जानकारी रखने वालों के हवाले से दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे बिल्कुल सहमत नहीं थे। उन्होंने ट्रंप से साफ शब्दों में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया संघर्ष विराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही। यह भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी बातचीत के बाद हुआ है। 

ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी को नजरअंदाज करने की कोशिश की। हालांकि, भारतीय पीएम की तरफ से जताई गई असहमति और नोबेल शांति पुरस्कार के मामले में कुछ न कहना, दोनों नेताओं के रिश्तों में खटास पैदा कर गया। 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस फोन कॉल पर उसकी रिपोर्ट अमेरिका से लेकर भारत तक दर्जन भर अधिकारियों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है। इनमें से अधिकतर लोगों ने अपने नामों का खुलासा न करने की शर्त पर अखबार से बात की, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे अहम साझेदार के साथ रिश्ते खराब करने की कोशिश में जुटे हैं। 

और किन-किन मसलों पर बिगड़ी ट्रंप-मोदी की बात?

1. अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के निर्वासन-एच1बी वीजा पर
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही उनके 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' अभियान के समर्थकों ने अमेरिकी नौकरियों को सिर्फ अमेरिकियों के लिए रिजर्व करने की पैरवी की है। इसके लिए एच1बी वीजा सबसे ज्यादा निशाने पर रहा है। हालिया समय में ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारियों ने भी एच1बी वीजा की समीक्षा करने की बात कही है।

इसके अलावा भारत से अमेरिका में पढ़ने और रहने आए प्रवासियों के वीजा रद्द करने से जुड़े बयान और अवैध प्रवासियों को विमानों में बेड़ियों में रखकर भारत भेजने की घटनाओं ने भी दोनों देशों के रिश्तों को कुछ हद तक प्रभावित किया है। 

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2. ट्रंप के वॉशिंगटन आने के न्योते से मोदी के इनकार पर
जून में जी7 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीच में ही समिट को छोड़कर अमेरिका लौट गए थे। हालांकि, उन्होंने फोन पर प्रधानमंत्री मोदी को वॉशिंगटन आने का न्योता दिया था। हालांकि, पीएम मोदी ने अपने पूर्वनियोजित शेड्यूल का हवाला देते हुए उनका यह आमंत्रण ठुकरा दिया था। 

बता दें कि जब ट्रंप ने मोदी को अमेरिका आने का न्योता दिया था, उसी दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी अमेरिका में ही मौजूद थे। एनवाईटी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि ट्रंप, मोदी और मुनीर के बीच आमने-सामने से बैठक करवाने या हाथ मिलवाने का मौका ढूंढ रहे थे। हालांकि, भारत ने इसे भांप लिया। 

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3. मृत अर्थव्यवस्था वाले बयान पर 
ट्रंप ने पिछले महीने भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया था। इसमें से 25 प्रतिशत टैरिफ रूस से तेल खरीदने के लिए लगाया गया। 27 अगस्त से यह आयात शुल्क प्रभावी भी हो गया। हालांकि, जब ट्रंप के एलान के बाद भी अमेरिका के टैरिफ लगाने के निर्णय पर भारत ने समझौते की कोशिश नहीं की तो यह बात ट्रंप के अहं पर चोट कर गई। इसके बाद ही उन्होंने भारती की अर्थव्यवस्ता को 'मृत' करार दे दिया था। जर्मन अखबार और जापानी मीडिया ग्रुप निक्केई एशिया ने भी कहा था कि मोदी को ट्रंप की इस तरह की टिप्पणियां पसंद नहीं आईं।

4. व्यापार समझौते के लिए मोदी के फोन न उठाने पर 
एनवाईटी ने जर्मन मीडिया समूह एफएजेड की उस रिपोर्ट पर भी मुहर लगाई, जिसमें कहा गया था कि पीएम मोदी ने अलग-अलग मौकों पर डोनाल्ड ट्रंप की बातचीत की पेशकश ठुकरा दी। टाइम्स के मुताबिक, ट्रंप ने भारत-अमेरिका के बीच एक मिनी ट्रेड डील तय करने की कोशिश की। हालांकि, अमेरिकी अफसर इस बात को लेकर आशंकित थे कि ट्रंप अपने ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कुछ भी पोस्ट कर सकते हैं, चाहे समझौते पर बात किसी और तरह से हुई हो। 

दावा किया गया है कि ट्रंप ने टैरिफ समझौते के आगे न बढ़ने के बाद कई बार पीएम मोदी से बात करने की कोशिश की लेकिन इन बातचीत के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया गया। दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की तरफ से साफ किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी से बात करने की कोशिश भी की। 

ट्रंप के कदमों का आगे अमेरिका-भारत रिश्तों पर क्या हो सकता है असर?
अधिकारियों ने एनवाईटी से कहा कि इस साल की शुरुआत में ही जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए थे तो डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे वादा किया था कि वह इस साल के अंत में क्वाड सम्मेलन के लिए भारत का दौरा करेंगे। हालांकि, अब इस दौरे की कोई योजना नहीं है। दूसरी तरफ भारत में डोनाल्ड ट्रंप को भारत के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने वाले नेता के तौर पर देखा जा रहा है। एक अधिकारी ने ट्रंप के भारत के खिलाफ उठाए गए कदमों को गुंडागर्दी तक करार दे दिया।



अखबार ने भारत और अमेरिका के बिगड़ते रिश्तों के पीछे डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की चाहतों को बड़ी वजह बताया है। साथ ही भारत के लिए संवेदनशील मुद्दे- पाकिस्तान से विवाद पर ट्रंप का दखल भी अमेरिका से उसके तनाव की एक वजह के तौर पर उभरा है। 
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