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Vande Mataram Row: 'ऐसी बातें गंभीरता से नहीं लेते'; नितेश राणे के 'काफिर' वाले बयान पर अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Fri, 07 Nov 2025 04:25 PM IST
सार
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर एक ओर देश जश्न मना रहा है, तो दूसरी तरफ सियासी बयानबाजी भी हो रही है। महाराष्ट्र में अक्सर भड़काऊ बयानों से कारण चर्चा में रहने वाले नितेश राणे ने 'मुस्लिम बहिष्कार' और 'काफिर' जैसे जुमलों का इस्तेमाल किया है। इस पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख ने पलटवार किया है। जानिए क्या है पूरा मामला
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नितेश राणे और प्यारे खान के बयानों के अंश (फाइल)
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे एक बार फिर नकारात्मक कारणों से सुर्खियों में हैं। राज्य सरकार में मंत्री पद संभाल रहे नितेश राणे ने नासिक में होने वाले कुंभ को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कुंभ के आयोजन यहां लगने वाली दुकानों को लेकर कहा, 'हिंदुत्व के नजरिए से, यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा त्योहार है। ऐसे त्योहार के दौरान, हिंदू समुदाय के सदस्यों के अलावा किसी को भी दुकानें लगाने की इजाज़त नहीं होनी चाहिए।'
मंत्री ने दिया भड़काऊ बयान, कहा- वे हमें 'काफिर' मानते हैं
राणे इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने कहा, 'जो लोग हमें 'काफिर' मानते हैं, हम उनसे पूजा का सामान क्यों खरीदें? कुंभ में सिर्फ हिंदुओं की दुकानें ही लगनी चाहिए। यह हमारी भावना है, यही हर हिंदू समुदाय की भी भावना है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जब ईद और ऐसे अन्य त्यौहार आते हैं तो कोई भी हिंदुओं से कुछ नहीं खरीदता क्योंकि वे हमें 'काफिर' मानते हैं।'
कब आयोजित होना है नासिक का कुंभ
बता दें कि नासिक में करीब डेढ़ साल के बाद जुलाई-अगस्त, 2027 में कुंभ का आयोजन किया जाना है। नासिक जिले में पवित्र गोदावरी नदी और कुशावर्त कुंड के तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर 12 साल के अंतराल पर लगने वाले इस कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालु त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर और राम कुंड में स्नान करते हैं। धर्म-संस्कृति के अलावा राज्य की अर्थव्यवस्था के नजरिए से भी इसे बड़ा आयोजन माना जाता है। राज्य सरकार के तत्वावधान में होने वाले इस आयोजन को लेकर मंत्री नितेश राणे का बयान चौंकाने वाला है।
'ऐसी बातें गंभीरता से नहीं लेते'
नितेश राणे के 'काफिर' वाले बयान पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख प्यारे खान ने कहा, महाराष्ट्र में नितेश राणे की बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता। हम भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। पिछले 70 वर्षों से मुसलमानों के बहिष्कार की बातें कही जा रही हैं। मुसलमानों के पास कुछ भी नहीं बचा है। जब तक महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी जैसे लोग रहेंगे, तब तक यहां सबको न्याय मिलता रहेगा।'
जमीनी स्तर पर काम करने की नसीहत
प्यारे खान ने कहा, नितेश राणे का मंत्री होने के बावजूद ऐसे बयान देना अनुचित है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेताओं की तरह उन्हें भी जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए। महाराष्ट्र अप्लसंख्यक आयोग के प्रमुख ने सवाल किया, क्या आपने कभी किसी प्रमुख सनातनी को मुसलमानों या किसी अन्य समुदाय के बहिष्कार की बात करते सुना है? उन्होंने कहा, 'वे (सनातनी) ऐसा कभी नहीं कहते। ऐसे लोग देश तोड़ने नहीं, जोड़ने का काम करते हैं।'
ये भी पढ़ें- 150 Years of Vande Mataram: PM मोदी बोले- 1937 में विभाजन के बीज बोए गए, वही सोच आज भी देश के लिए बड़ी चुनौती
राष्ट्रवाद और वंदे मातरम को लेकर भी बोले प्यारे खान
'वंदे मातरम' से जुड़े आदेश का विरोध करने वाले कुछ मुस्लिम नेताओं से जुड़े एक सवाल पर महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने कहा, हमें ऐसे नेताओं से पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने कभी इस्लाम पढ़ा भी है।
इस्लाम उस जमीन से प्यार करना सिखाता है जहां...
उन्होंने कहा, उर्दू स्कूलों में कई वर्षों से 'वंदे मातरम' गाया जा रहा है। नफरत की ऐसी बात तो कभी हुई ही नहीं। समझ नहीं आ रहा कि अब ये बात कैसे आ गई। उस मां की स्तुति करना कोई गुनाह नहीं है जिसने सभी धर्मों के लोगों की रक्षा की। इस्लाम तो बस उस जमीन से प्यार करना सिखाता है जहां तुम रहते हो।
ये भी पढ़ें- Vande Mataram: 'वंदे मातरम से नेहरू ने जानबूझकर मां दुर्गा के श्लोक हटाए'; फैजपुर अधिवेशन का जिक्र कर बोली BJP
'वंदे मातरम' इस्लाम के खिलाफ नहीं
उन्होंने कहा, कुछ राजनीतिक लोग लोकप्रियता पाने के लिए ऐसे बयान देते हैं, लेकिन वे देश और समाज के लिए काम नहीं करना चाहते। हमें इन बयानों को कोई महत्व नहीं देना चाहिए। ऐसे बयानों से मुस्लिम समुदाय का कोई भला नहीं होगा। अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने स्पष्ट किया कि 'वंदे मातरम' इस्लाम के खिलाफ नहीं है।
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मंत्री ने दिया भड़काऊ बयान, कहा- वे हमें 'काफिर' मानते हैं
राणे इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने कहा, 'जो लोग हमें 'काफिर' मानते हैं, हम उनसे पूजा का सामान क्यों खरीदें? कुंभ में सिर्फ हिंदुओं की दुकानें ही लगनी चाहिए। यह हमारी भावना है, यही हर हिंदू समुदाय की भी भावना है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जब ईद और ऐसे अन्य त्यौहार आते हैं तो कोई भी हिंदुओं से कुछ नहीं खरीदता क्योंकि वे हमें 'काफिर' मानते हैं।'
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कब आयोजित होना है नासिक का कुंभ
बता दें कि नासिक में करीब डेढ़ साल के बाद जुलाई-अगस्त, 2027 में कुंभ का आयोजन किया जाना है। नासिक जिले में पवित्र गोदावरी नदी और कुशावर्त कुंड के तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर 12 साल के अंतराल पर लगने वाले इस कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालु त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर और राम कुंड में स्नान करते हैं। धर्म-संस्कृति के अलावा राज्य की अर्थव्यवस्था के नजरिए से भी इसे बड़ा आयोजन माना जाता है। राज्य सरकार के तत्वावधान में होने वाले इस आयोजन को लेकर मंत्री नितेश राणे का बयान चौंकाने वाला है।
'ऐसी बातें गंभीरता से नहीं लेते'
नितेश राणे के 'काफिर' वाले बयान पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख प्यारे खान ने कहा, महाराष्ट्र में नितेश राणे की बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता। हम भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। पिछले 70 वर्षों से मुसलमानों के बहिष्कार की बातें कही जा रही हैं। मुसलमानों के पास कुछ भी नहीं बचा है। जब तक महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी जैसे लोग रहेंगे, तब तक यहां सबको न्याय मिलता रहेगा।'
#WATCH | Nagpur | On Nitesh Rane's statement, Chairman, Maharashtra State Minority Commission, Pyare Khan says, "Firstly, no one in Maharashtra takes seriously what Nitesh Rane says. We also don't take him seriously. Muslims have been boycotted for the last 70 years. Muslims… https://t.co/t6YjFPC3Bd pic.twitter.com/IYRy7h7Mp2
— ANI (@ANI) November 7, 2025
जमीनी स्तर पर काम करने की नसीहत
प्यारे खान ने कहा, नितेश राणे का मंत्री होने के बावजूद ऐसे बयान देना अनुचित है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेताओं की तरह उन्हें भी जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए। महाराष्ट्र अप्लसंख्यक आयोग के प्रमुख ने सवाल किया, क्या आपने कभी किसी प्रमुख सनातनी को मुसलमानों या किसी अन्य समुदाय के बहिष्कार की बात करते सुना है? उन्होंने कहा, 'वे (सनातनी) ऐसा कभी नहीं कहते। ऐसे लोग देश तोड़ने नहीं, जोड़ने का काम करते हैं।'
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राष्ट्रवाद और वंदे मातरम को लेकर भी बोले प्यारे खान
'वंदे मातरम' से जुड़े आदेश का विरोध करने वाले कुछ मुस्लिम नेताओं से जुड़े एक सवाल पर महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने कहा, हमें ऐसे नेताओं से पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने कभी इस्लाम पढ़ा भी है।
#WATCH | Nagpur | On a few Muslim leaders opposing the 'Vande Mataram' order, Chairman, Maharashtra State Minority Commission, Pyare Khan says, "We should ask such leaders if they have ever studied Islam. 'Vande Mataram' has been recited in Urdu schools for many years. There was… pic.twitter.com/yeHU2qxlBR
— ANI (@ANI) November 7, 2025
इस्लाम उस जमीन से प्यार करना सिखाता है जहां...
उन्होंने कहा, उर्दू स्कूलों में कई वर्षों से 'वंदे मातरम' गाया जा रहा है। नफरत की ऐसी बात तो कभी हुई ही नहीं। समझ नहीं आ रहा कि अब ये बात कैसे आ गई। उस मां की स्तुति करना कोई गुनाह नहीं है जिसने सभी धर्मों के लोगों की रक्षा की। इस्लाम तो बस उस जमीन से प्यार करना सिखाता है जहां तुम रहते हो।
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'वंदे मातरम' इस्लाम के खिलाफ नहीं
उन्होंने कहा, कुछ राजनीतिक लोग लोकप्रियता पाने के लिए ऐसे बयान देते हैं, लेकिन वे देश और समाज के लिए काम नहीं करना चाहते। हमें इन बयानों को कोई महत्व नहीं देना चाहिए। ऐसे बयानों से मुस्लिम समुदाय का कोई भला नहीं होगा। अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने स्पष्ट किया कि 'वंदे मातरम' इस्लाम के खिलाफ नहीं है।