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WB: प्राइमरी स्कूल टीचर से TMC विधायक तक, कौन हैं जीवन साहा, जो ईडी को देख दीवार फांद भागे; क्या हैं आरोप?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 25 Aug 2025 03:19 PM IST
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सार

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टीएमसी विधायक जीवन कृष्ण साहा।
- फोटो :
ANI/X
विस्तार
प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में छापेमारी के बाद सोमवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक जीवन कृष्ण साहा को गिरफ्तार कर लिया। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में उनके आवास पर छापेमारी के बाद उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसी ने हिरासत में लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छापेमारी के दौरान विधायक ने दीवार फांदकर अपने घर से भागने की कोशिश की। उन्होंने अपने फोन भी घर के पीछे एक तालाब में फेंक दिए। हालांकि, ईडी ने उन्हें पकड़ लिया और उनसे पूछताछ शुरू कर दी।जीवन कृष्ण साहा का किसी केंद्रीय एजेंसी से आमना-सामना होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2023 में सीबीआई ने उनसे 65 घंटे तक पूछताछ की थी। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर टीएमसी के यह नेता कौन हैं, जिनकी सीबीआई से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक ने जांच शुरू कर दी है? साहा किन मामलों में घिरे हैं और केंद्रीय एजेंसियों की उनके खिलाफ जारी जांच कहां तक पहुंची है? इसके अलावा सोमवार को ऐसा क्या हुआ जो जीवन साहा एक बार फिर खबरों में आ गए? आइये जानते हैं...
कौन हैं प्राइमरी टीचर से टीएमसी नेता बने जीवन कृष्ण साहा?
जीवन कृष्ण साहा एक कारोबारी परिवार से आते हैं। 2004 में साहा ने एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था। 2012 में उन्हें स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए हाईस्कूल में नौकरी मिल गई। इसके बाद 2013 में उन्होंने बीरभूम जिले में ट्रांसफर ले लिया, जहां वे देबग्राम हाईस्कूल के अध्यापक रहे। इसी दौरान उनके तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल से अच्छे संपर्क स्थापित हुए। बताया जाता है कि साहा खुद अपने कॉलेज के दिनों से जुड़े थे। हालांकि, पार्टी में उनके उभार की अहम वजह मंडल के साथ उनकी करीबी को ही माना जाता है।
School Recruitment Scam: स्कूल भर्ती घोटाले में ED की दबिश; तृणमूल विधायक के ठिकानों समेत कई जगहों पर छापेमारी
साहा को 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी की ओर से टिकट दिया गया। वह लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही बरवान विधानसभा सीट से उतरे और यहां से जीतने वाले पहले तृणमूल नेता बने। उन्होंने भाजपा के अमिय दास को 2753 वोटों से शिकस्त दी। इसके बाद उन्होंने अपना शिक्षक का करियर छोड़ दिया। इस सीट पर उनसे पहले कांग्रेस की प्रतिमा राजक विधायक थीं।
जीवन कृष्ण साहा एक कारोबारी परिवार से आते हैं। 2004 में साहा ने एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था। 2012 में उन्हें स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए हाईस्कूल में नौकरी मिल गई। इसके बाद 2013 में उन्होंने बीरभूम जिले में ट्रांसफर ले लिया, जहां वे देबग्राम हाईस्कूल के अध्यापक रहे। इसी दौरान उनके तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल से अच्छे संपर्क स्थापित हुए। बताया जाता है कि साहा खुद अपने कॉलेज के दिनों से जुड़े थे। हालांकि, पार्टी में उनके उभार की अहम वजह मंडल के साथ उनकी करीबी को ही माना जाता है।
School Recruitment Scam: स्कूल भर्ती घोटाले में ED की दबिश; तृणमूल विधायक के ठिकानों समेत कई जगहों पर छापेमारी
साहा को 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी की ओर से टिकट दिया गया। वह लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही बरवान विधानसभा सीट से उतरे और यहां से जीतने वाले पहले तृणमूल नेता बने। उन्होंने भाजपा के अमिय दास को 2753 वोटों से शिकस्त दी। इसके बाद उन्होंने अपना शिक्षक का करियर छोड़ दिया। इस सीट पर उनसे पहले कांग्रेस की प्रतिमा राजक विधायक थीं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पिता बिश्वनाथ साहा बीरभूम में ही एक तेल की मिल के मालिक हैं और उनका आलू का कोल्ड स्टोरेज भी है। इसके अलावा वे एक राशन वितरण केंद्र भी चलाते हैं। साहा अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ अपने पिता का कारोबार भी संभालते हैं। उनकी पत्नी टोगोर साहा 2017 में मुर्शिदाबाद में ही आंदी प्राइमरी स्कूल में टीचर नियुक्त हुई थीं, जो कि उनके घर से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।
केंद्रीय एजेंसियों की जांच में कैसे घिरे हैं साहा?
सीबीआई ने 2023 में जब बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच तेज की थी, तो इसके दायरे में जीवन साहा भी फंसे थे। सीबीआई का आरोप था कि साहा ने 2016 में एसएससी की तरफ से निकाली गई कक्षा 9 और कक्षा 10 की भर्ती के लिए कई आवेदकों को टीचर के तौर पर नौकरी लगवाने का वादा किया था और इसके लिए उनसे पैसे इकट्ठा किए थे। आरोप था कि साहा कथित तौर पर हर आवेदक से नौकरी के लिए पांच से सात लाख रुपये लिए थे। इस मामले में एजेंसी ने उनसे करीब 65 घंटे तक पूछताछ की थी। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सीबीआई ने 2023 में जब बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच तेज की थी, तो इसके दायरे में जीवन साहा भी फंसे थे। सीबीआई का आरोप था कि साहा ने 2016 में एसएससी की तरफ से निकाली गई कक्षा 9 और कक्षा 10 की भर्ती के लिए कई आवेदकों को टीचर के तौर पर नौकरी लगवाने का वादा किया था और इसके लिए उनसे पैसे इकट्ठा किए थे। आरोप था कि साहा कथित तौर पर हर आवेदक से नौकरी के लिए पांच से सात लाख रुपये लिए थे। इस मामले में एजेंसी ने उनसे करीब 65 घंटे तक पूछताछ की थी। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सीबीआई की छापेमारी के वक्त भी फेंके थे फोन
सीबीआई ने तब दावा किया था कि साहा से जुड़े परिसरों में उसे कई अहम सबूत मिले हैं और टीएमसी नेता ने आवेदकों से करोड़ों रुपये रिश्वत के तौर पर हासिल किए। खबरें आई थीं कि सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद उनसे जुड़े 10 खातों को बंद कर दिया है। हालांकि बाद में टीएमसी नेता को रिहा करना पड़ा। एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जब सीबीआई उनके परिसर पर छापा मारने पहुंची थी, तब भी साहा ने अपने दो जब्त किए गए मोबाइल फोन सीबीआई अफसरों से छीनकर पास के तालाब में फेंक दिए थे। इसे केंद्रीय एजेंसी ने हासिल कर लिया था, लेकिन इसके जरिए सीबीआई उन्हें ज्यादा समय कस्टडी में नहीं रख पाई थी। इस साल मई में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया।
बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: 65 घंटों की पूछताछ के बाद तृणमूल विधायक जीवन कृष्ण गिरफ्तार, मोबाइल की तलाश जारी
सीबीआई ने तब दावा किया था कि साहा से जुड़े परिसरों में उसे कई अहम सबूत मिले हैं और टीएमसी नेता ने आवेदकों से करोड़ों रुपये रिश्वत के तौर पर हासिल किए। खबरें आई थीं कि सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद उनसे जुड़े 10 खातों को बंद कर दिया है। हालांकि बाद में टीएमसी नेता को रिहा करना पड़ा। एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जब सीबीआई उनके परिसर पर छापा मारने पहुंची थी, तब भी साहा ने अपने दो जब्त किए गए मोबाइल फोन सीबीआई अफसरों से छीनकर पास के तालाब में फेंक दिए थे। इसे केंद्रीय एजेंसी ने हासिल कर लिया था, लेकिन इसके जरिए सीबीआई उन्हें ज्यादा समय कस्टडी में नहीं रख पाई थी। इस साल मई में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया।
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अब ईडी ने क्यों की छापेमारी, क्या नई बातें सामने आईं?
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से जीवन साहा के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई है। यह एफआईआर कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई थी। ईडी ने धनशोधन अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में विधायक और उनके रिश्तेदारों के घरों पर भी छापेमारी की। इनमें रघुनाथगंज से लेकर मुर्शिदाबाद में रहने वाले रिश्तेदार शामिल हें। इसके अलावा एक टीएमसी पार्षद के घर पर छापेमारी की खबरें भी सामने आईं। बताया गया है कि यह छापेमारी बीरभूम जिले में भर्ती घोटाले से जुड़े एक व्यक्ति की ओर से कथित पैसों के लेन-देन के खुलासे के बाद की गई। जिस व्यक्ति ने अवैध लेन-देन का खुलासा किया, वह खुद भी ईडी की टीम के साथ साहा के घर पर पहुंचा था।
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से जीवन साहा के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई है। यह एफआईआर कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई थी। ईडी ने धनशोधन अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में विधायक और उनके रिश्तेदारों के घरों पर भी छापेमारी की। इनमें रघुनाथगंज से लेकर मुर्शिदाबाद में रहने वाले रिश्तेदार शामिल हें। इसके अलावा एक टीएमसी पार्षद के घर पर छापेमारी की खबरें भी सामने आईं। बताया गया है कि यह छापेमारी बीरभूम जिले में भर्ती घोटाले से जुड़े एक व्यक्ति की ओर से कथित पैसों के लेन-देन के खुलासे के बाद की गई। जिस व्यक्ति ने अवैध लेन-देन का खुलासा किया, वह खुद भी ईडी की टीम के साथ साहा के घर पर पहुंचा था।
ईडी बढ़ा रही एसएससी घोटाले में छापेमारी का दायरा
ईडी ने इससे पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी कथित सहयोगी अर्पिता मुखर्जी, टीएमसी विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के अलावा कुछ अन्य लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी की ओर से गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को टीएमसी ने निलंबित कर दिया था। ईडी ने इस मामले में अब तक कुल चार आरोपपत्र दाखिल किए हैं।
ईडी ने इससे पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी कथित सहयोगी अर्पिता मुखर्जी, टीएमसी विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के अलावा कुछ अन्य लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी की ओर से गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को टीएमसी ने निलंबित कर दिया था। ईडी ने इस मामले में अब तक कुल चार आरोपपत्र दाखिल किए हैं।
सोमवार को ऐसा क्या हुआ कि खबरों में आ गए जीवन साहा?
रिपोर्ट्स की मानें तो जीवन साहा के घर पर जब ईडी के अधिकारी छापेमारी के लिए पहुंचे, तो विधायक अपने घर की दीवार फांदकर खेतों के जरिए भाग निकले। इतना ही नहीं उन्होंने अपने फोन भी पास के ही तालाब में फेंक दिए। हालांकि, ईडी अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया और फेंके गए फोन भी बरामद कर लिए। इसके साथ ही सुरक्षा बलों ने उनके घर को घेर लिया और ईडी अफसरों ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी।
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रिपोर्ट्स की मानें तो जीवन साहा के घर पर जब ईडी के अधिकारी छापेमारी के लिए पहुंचे, तो विधायक अपने घर की दीवार फांदकर खेतों के जरिए भाग निकले। इतना ही नहीं उन्होंने अपने फोन भी पास के ही तालाब में फेंक दिए। हालांकि, ईडी अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया और फेंके गए फोन भी बरामद कर लिए। इसके साथ ही सुरक्षा बलों ने उनके घर को घेर लिया और ईडी अफसरों ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी।
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