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गुलाबी नगरी ही क्यों बन रही संकट के दौरान विधायकों को ठहराने की पसंदीदा जगह, पढ़ें यह खबर

जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Wed, 11 Mar 2020 06:17 PM IST
सार

नवंबर 2019 में जब महाराष्ट्र में सत्ता का जोड़ तोड़ चल रहा था तो कांग्रेस पार्टी ने सभी 44 विधायकों को जयपुर में भेज दिया था। महाराष्ट्र के सभी कांग्रेसी विधायक कई दिनों तक कथित तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मेहमान बन कर रहे थे।

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Why Pink city jaipur become the favourite destination of abduct MLAs of political crisis state
कांग्रेस विधायक दल की बैठक - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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गुलाबी नगरी 'जयपुर' पर्यटकों के अलावा उन राजनेताओं के लिए भी पसंदीदा जगह बन गया है, जो उस वक्त यहां लाकर ठहराए जाते हैं, जब किसी राज्य में 'सत्ता की कुर्सी' हिलने लगी हो। ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश का है। कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा ज्वाइन कर ली है और मध्यप्रदेश के अनेक कांग्रेसी विधायकों को जयपुर के एक होटल में लाकर बैठा दिया गया है। इससे पहले जब भाजपा की वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं, तो गोवा और झारखंड के कुछ विधायकों को गुलाबी नगरी में लाया गया था।
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मध्यप्रदेश के ताजा प्रकरण में वहां के विधायकों को तीन जगहों पर भेजा गया है। भाजपा के सभी विधायक हरियाणा के गुरुग्राम में ठहरे हैं। कांग्रेस पार्टी के अधिकांश विधायक जयपुर में पहुंच गए हैं। भाजपा ज्वाइन करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक कई कांग्रेसी विधायक बेंगलुरु के होटल में बताए जा रहे हैं।

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नवंबर 2019 में जब महाराष्ट्र में सत्ता का जोड़ तोड़ चल रहा था तो कांग्रेस पार्टी ने सभी 44 विधायकों को जयपुर में भेज दिया था। महाराष्ट्र के सभी कांग्रेसी विधायक कई दिनों तक कथित तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मेहमान बन कर रहे थे। ऐसी परिस्थितियों में विधायकों के आने-जाने और ठहरने का सारा इंतजाम मुख्यमंत्री को ही करना पड़ता है।

विधायकों के लिए आलीशान होटल या रिसोर्ट, क्या ठीक रहेगा, ये सब मुख्यमंत्री तय करते हैं। इतना ही नहीं, सबसे बड़ी जिम्मेदारी जो अंदरखाने मुख्यमंत्री को ही निभानी होती है, वह है विधायकों की सुरक्षा।

विधायकों पर लगी रहती है 'तीसरी आंख'

हरियाणा में तैनात एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि ऐसे मामले आते रहते हैं। बड़ी सीधी सी बात है कि वह पार्टी अपने विधायकों को उसी राज्य में भेजेगी, जहां पर उसे सौ फीसदी यह भरोसा रहता है कि वहां उनके विधायक पूरी तरह महफूज रहेंगे। इस मुहिम में संबंधित राज्य के खुफिया महकमे और पुलिस की सबसे ज्यादा भागदौड़ रहती है।

जब यह खबर आती है कि फलां राज्य से इतने विधायक आ रहे हैं तो मुख्यमंत्री यह तय करते हैं कि उन्हें कहां ठहराया जाएगा। विधायकों के होटल में आने से पहले खुफिया महकमा और उच्च स्तर के अफसर, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय सीधे तौर पर शामिल रहता है, वे यह बताते हैं कि कौन सा विधायक किस कमरे में ठहरेगा।

क्या एक कमरे में दो विधायकों को ठहराया जाए, विधायक के कमरे में फोन सुविधा देनी है या नहीं, मोबाइल फोन को जैमर के जरिए निष्क्रिय बनाना है या उन्हें विधायकों से लेकर जमा कर देना है, किसी के पास कोई खुफिया कैमरा तो नहीं है, होटल के चप्पे-चप्पे पर कितनी फोर्स तैनात रहेगी, ये सब कार्रवाई बहुत गोपनीय तरीके से पूरी होती है।

होटल के स्टाफ में कौन-कौन रहेगा, यह भी पुलिस विभाग तय करता है। होटल के गेट पर स्टाफ की चेकिंग की जाती है। किसी भी व्यक्ति को विधायकों से मिलने नहीं दिया जाता। संबंधित जिले का सीएमओ या अन्य कोई डॉक्टर, जिसे सीएम कार्यालय से हरी झंडी मिली हो, उससे ही विधायकों के स्वास्थ्य की जांच कराई जाती है।

अगर किसी विधायक का कोई बयान सोशल मीडिया में वायरल कराना है, तो उसके लिए भी ऊपर से मंजूरी लेनी पड़ती है।

 

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