Career Advice: ऐसा जुनून किस काम का? जब पैशन बन जाए कमजोरी, तो उठाना पड़ता है नुकसान; जानिए समाधान
हर किसी के पास इसे सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए उचित रणनीति या संसाधन नहीं होते। इसके पीछे कई सामाजिक और व्यक्तिगत कारक भी छिपे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइए, जुनून का पीछा करने के कुछ प्रमुख नुकसान और उसके समाधानों पर एक नजर डालते हैं।


विस्तार
अपने जुनून का पीछा करना अक्सर प्रेरणा और संतुष्टि का स्रोत माना जाता है। यह न केवल कड़ी मेहनत के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि जीवन को एक उद्देश्य भी देता है। हालांकि, जुनून की राह हमेशा संतुष्टि की ओर नहीं ले जाती, बल्कि यह काम के दबाव की संस्कृति को भी जन्म दे सकती है।
इसका सबसे बड़ा कारण है कि हर किसी के पास इसे सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए उचित रणनीति या संसाधन नहीं होते। इसके पीछे कई सामाजिक और व्यक्तिगत कारक भी छिपे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइए, जुनून का पीछा करने के कुछ प्रमुख नुकसान और उसके समाधानों पर एक नजर डालते हैं।
यूं ही न लें कोई फैसला
बेशक जुनून का पीछा करने की धारणा लोकप्रिय है, फिर भी हर किसी के पास अपने जुनून को एक स्थिर और अच्छी वेतन वाली नौकरी में बदलने के लिए आवश्यक कौशल नहीं होते हैं। इसका मतलब यह है कि कई छात्र अपनी मनपसंद नौकरी मिलने तक बगैर वेतन वाली इंटर्नशिप करते हैं। कॉलेज से निकले स्नातक के छात्र अक्सर अपने साथियों की तुलना में कम वेतन वाली, अस्थायी नौकरियां करने के लिए मजबूर होते हैं।
ऐसे में, जरूरी हो जाता है कि नौकरी से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले कॅरिअर सलाहकारों या अनुभवी लोगों से परामर्श जरूर करें और बाजार के रूझानों को ध्यान में रखें। साथ ही, कॅरिअर चुनते वक्त जुनून और आर्थिक हकीकतों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होती है।
अलग-अलग नजरिया
जब कोई व्यक्ति अपने काम को ही अपनी पहचान मान लेता है, तो वह भावनात्मक रूप से उस कार्य से जुड़ जाता है। ऐसे में, अगर नौकरी चली जाती है, तो सिर्फ आर्थिक संकट ही नहीं, बल्कि मनोबल भी टूटता है और पहचान पर भी असर पड़ता है। इसलिए नौकरी को अपने जीवन का उद्देश्य मानने से बचें और पेशेवर तथा व्यक्तिगत जीवन, दोनों के लिए अलग-अलग नजरिया रखें।
साथ ही, अपनी पहचान केवल अपने काम तक सीमित न रखें, बल्कि शीक के जरिये, लोगों के बीच भागीदारी करके, व्यक्तिगत रिश्ते बनाकर और लगातार सीखते हुए काम करते हुए अपनी पहचान को विविधता देना जरूरी है।
उचित मेहनताना व सम्मान
नियोक्ता जानते हैं कि जुनूनी लोग काम के प्रति अधिक समर्पित होते हैं। वे ऐसे आवेदकों को प्राथमिकता देते हैं, जो अपने काम के प्रति जुनूनी हों, क्योंकि वे मानते हैं कि ऐसे कर्मचारी वेतन की अपेक्षा किए बिना अधिक मेहनत करेंगे।
यह सोच शोषण को बढ़ावा देती है। जुनून का मतलब मुफ्त में मेहनत करना नहीं होता है। ऐसे में, आपको अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करें कि आपको काम के लिए उचित मेहनताना व सम्मान मिले। - द कन्वर्सेशन