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                                                                           'मनोज सिन्हा – सेवा, समर्पण और सुशासन का प्रतीक' एक ऐसी प्रेरणास्पद एवं शोधपरक कृति है, जो माननीय मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल के व्यक्तित्व, कर्तत्व और उनकी प्रशासनिक दक्षता का समग्र परिचय देती है। यह पुस्तक एक श्रद्धांजलि...और पढ़ें
                                                
3 weeks ago
                                                                           मानव का भी समाज में
अलग अलग है स्वभाव
कोई तैर जाता नदी में
लोई ले चलता नाव
जैसी स्थिति की मांग हो
वैसा ही उठाओ कदम
परिस्थिति को पहचान लो
न होने पाए भ्रम

- कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           आप के कार्य से बनता हो
गर कइयों का जीवन
मत कीजिए मज़ाक कभी
अपने काम से
मत खोखला कीजिए कभी
उनकी नींव को
जिसका वेतन उठाते हों आप
अपने नाम से
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           दिखावेबाजी करो पर
मुंह मत मोड़ो
जिनको बनाने का फर्ज है
उनकी कमर मत तोड़ो
कहते हो जिसका उसका
गाना नहीं छोड़ो
किशोरों का भविष्य
बनाना नहीं छोड़ो
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           छुपाया भी बहुत है और
दिखाया भी बहुत है
खोया भी बहुत है और
पाया भी बहुत है
दायित्व वहन में खुद को
सताया भी बहुत है
प्रभु ने अपनी कृपा को
बरसाया भी बहुत है
कर्मयोग से फलयोग का
संबंध होता है...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           जब जब मौका दोगे
सब चौका लगाएंगे
आप शांत रहोगे पर
सब चौंकाते जाएंगे
आभास लगे जैसे
वैसे ही सतर्क बनो
अनावश्यक मोल देने का
मत कोई भी मार्ग चुनो
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           खुश होता हूँ जब कोई कहता है
आप भूल गए हो
चलो कुछ तो खाली हुआ है
मन के बोझ से
आँखों से गुजरता है बहुत कुछ
अनुपयोगी सा
न रहे वो मन के भीतर निकले
तो सोच से
सब कुछ याद रखना मन पर है
भार सा...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           मज़ा जो है छुपाने में कहाँ वह है दिखाने में
इस राज को कुछ ने ही समझा है जमाने में
छुप छुप कर कृष्ण ने माखन चुराया था
आनंद की लहरों में गोकुल को डुबाया था
छुप कर ही तो वे रास की लीला रचाते थे
आनंद देते थे सबको कष्टों...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           उद्धव पहुंचे गोकुल में
लिए ज्ञान अभिमान
संवाद गोपियों से हुआ
उड़ गया उनका गुमान
ज्ञान भक्ति वहाँ दब गई
प्रेम भक्ति की विजय
उद्धव भी करने लगे
गोपियों की जय जय
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
1 month ago
                                                                           चाहता हूँ करूँ बहुत कुछ
पर होता नहीं सबकुछ
जितना भी हो पाता है
करता हूँ वह कुछ कुछ
कुछ कुछ से ही सबकुछ
की ओर बढ़ा जाता है
एक एक सीढ़ी से होकर
ही छत पर चढ़ा जाता है
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
1 month ago
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