'मनोज सिन्हा – सेवा, समर्पण और सुशासन का प्रतीक' एक ऐसी प्रेरणास्पद एवं शोधपरक कृति है, जो माननीय मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल के व्यक्तित्व, कर्तत्व और उनकी प्रशासनिक दक्षता का समग्र परिचय देती है। यह पुस्तक एक श्रद्धांजलि...और पढ़ें
मानव का भी समाज में
अलग अलग है स्वभाव
कोई तैर जाता नदी में
लोई ले चलता नाव
जैसी स्थिति की मांग हो
वैसा ही उठाओ कदम
परिस्थिति को पहचान लो
न होने पाए भ्रम
- कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
आप के कार्य से बनता हो
गर कइयों का जीवन
मत कीजिए मज़ाक कभी
अपने काम से
मत खोखला कीजिए कभी
उनकी नींव को
जिसका वेतन उठाते हों आप
अपने नाम से
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
दिखावेबाजी करो पर
मुंह मत मोड़ो
जिनको बनाने का फर्ज है
उनकी कमर मत तोड़ो
कहते हो जिसका उसका
गाना नहीं छोड़ो
किशोरों का भविष्य
बनाना नहीं छोड़ो
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
छुपाया भी बहुत है और
दिखाया भी बहुत है
खोया भी बहुत है और
पाया भी बहुत है
दायित्व वहन में खुद को
सताया भी बहुत है
प्रभु ने अपनी कृपा को
बरसाया भी बहुत है
कर्मयोग से फलयोग का
संबंध होता है...और पढ़ें
जब जब मौका दोगे
सब चौका लगाएंगे
आप शांत रहोगे पर
सब चौंकाते जाएंगे
आभास लगे जैसे
वैसे ही सतर्क बनो
अनावश्यक मोल देने का
मत कोई भी मार्ग चुनो
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
खुश होता हूँ जब कोई कहता है
आप भूल गए हो
चलो कुछ तो खाली हुआ है
मन के बोझ से
आँखों से गुजरता है बहुत कुछ
अनुपयोगी सा
न रहे वो मन के भीतर निकले
तो सोच से
सब कुछ याद रखना मन पर है
भार सा...और पढ़ें
मज़ा जो है छुपाने में कहाँ वह है दिखाने में
इस राज को कुछ ने ही समझा है जमाने में
छुप छुप कर कृष्ण ने माखन चुराया था
आनंद की लहरों में गोकुल को डुबाया था
छुप कर ही तो वे रास की लीला रचाते थे
आनंद देते थे सबको कष्टों...और पढ़ें
उद्धव पहुंचे गोकुल में
लिए ज्ञान अभिमान
संवाद गोपियों से हुआ
उड़ गया उनका गुमान
ज्ञान भक्ति वहाँ दब गई
प्रेम भक्ति की विजय
उद्धव भी करने लगे
गोपियों की जय जय
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें
चाहता हूँ करूँ बहुत कुछ
पर होता नहीं सबकुछ
जितना भी हो पाता है
करता हूँ वह कुछ कुछ
कुछ कुछ से ही सबकुछ
की ओर बढ़ा जाता है
एक एक सीढ़ी से होकर
ही छत पर चढ़ा जाता है
-कुँवर संदीप सिंह...और पढ़ें