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रिजर्व बैंक को घटानी चाहिए ब्याज दरें
नई दिल्ली/ब्यूरो
Updated Mon, 15 Sep 2014 09:31 PM IST
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अगस्त में महंगाई के करीब पांच साल के निचले स्तर 3.74 फीसदी पर आने के साथ ही उद्योग जगत ने रिजर्व बैंक से अगली मौद्रिक समीक्षा ब्याज दरों में कटौती और पूंजी की लागत घटाने की मांग की है।
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि अनाज, फल-सब्जियों और प्याज के दाम लंबे समय बाद अब घटते दिख रहे हैं। सितंबर में हुई अच्छी बारिश, सरकारी प्रयासों और विश्व बाजार में खाद्य वस्तुओं के दाम चार साल के निचले स्तर पर आने से आगे भी खाद्य वस्तुओं के दाम घटने में मदद मिलेगी। आगामी मौद्रिक समीक्षा से पहले महंगाई दर में आई कमी से रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती का अच्छा अवसर है।
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फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला का कहना है कि खाने-पीने की चीजों के दाम और थोक महंगाई में कमी आना एक अच्छा संकेत है। अब अगला लक्ष्य खुदरा महंगाई को 6 फीसदी के भीतर लाना होना चाहिए। खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतों को लेकर चिंता बनी हुई है।
पीएचडी चैम्बर के प्रेसिडेंट शरद जयपुरिया का कहना है कि उद्योग जगत ऊंची ब्याज दरों के साथ-साथ कच्चे माल की बढ़ती लागत और वेतन में वृद्धि की चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि ब्याज दरों में कटौती कर उद्योग जगत को राहत दी जाए।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत का कहना है कि विकास दर की मौजूदा चिंताओं को दूर करने के मद्देनजर अथॉरिटीज को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर स्थितियां तैयार करने की जरूरत है। खासकर, रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाली मौद्रिक समीक्षा में कर्ज की लागत प्रतिस्पर्धी बनेगी।