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यूपी के किसानों को राहत, चावल निर्यात पर छूट
लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Updated Wed, 07 Nov 2012 11:36 AM IST
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उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने चावल निर्यात नीति को 2017 तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि किसानों को धान का अच्छा भाव दिलाने व चावल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उसके निर्यात पर प्रोत्साहन देने की नीति को 2017 तक बढ़ा दिया जाए।
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इस नीति के तहत प्रदेश से दूसरे देशों को भेजे जाने वाले चावल पर सरकार मंडी व विकास शुल्क नहीं लेती है। साथ ही निर्यात किए जाने वाले चावल के लिए खरीदे जाने वाले धान पर वैट भी नहीं लिया जाता है। प्रदेश में चावल पर 2 प्रतिशत मंडी शुल्क, 0.5 प्रतिशत विकास शुल्क और धान पर 4 प्रतिशत की दर से वैट लागू है।
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यह छूट उन्हीं निर्यातकों को दी जाएगी जिनकी प्रदेश में मिल होगी। साथ ही, धान से चावल की रिकवरी न्यूनतम 66.66 प्रतिशत होनी चाहिए। बासमती चावल की रिकवरी का मानक 50 प्रतिशत तय किया गया है। अगर धान से चावल की इतनी रिकवरी नहीं है तो मंडी व विकास शुल्क में छूट नहीं मिलेगी।
इसके लिए खरीदे जाने वाले धान पर भी वैट नहीं लगेगा। प्रदेश में काफी पहले चावल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए निर्यात नीति लागू की गई थी। तब से सरकारें समय-समय पर इसे बढ़ाती रहती हैं।
हर चावल के निर्यात पर छूट
मंडी शुल्क व विकास शुल्क की छूट हर प्रकार के चावल पर दी जाएगी। इसी तरह चावल निर्यात के लिए खरीदे जाने वाले हर किस्म के धान पर को वैट से छूट रहेगी। बांग्लादेश व नेपाल से भारतीय मुद्रा में व्यवसाय होने के बावजूद इन देशों को निर्यात किए जाने वाले चावल पर भी यह छूट दी जाएगी। विश्व के किसी भी देश को चावल निर्यात किए जाने पर यह छूट मिलेगी। प्रदेश के चावल का निर्यात देश के किसी भी बंदरगाह, वायुमार्ग तथा प्रदेश की सीमाओं पर नोटीफाइड मार्ग से किया जा सकेगा।
किसानों को बोरिंग कराने पर ज्यादा सब्सिडी
सरकार ने प्रदेश के किसानों को लघु सिंचाई विभाग की ओर से बोरिंग कराने में दी जाने वाली सब्सिडी की नई नीति तय कर दी है। अब किसानों को नि:शुल्क बोरिंग योजना के तहत दी जा रही सब्सिडी के अलावा पानी बचाने के लिए बोरिंग पर 25 फीसदी और नाली में बह कर खराब होने वाले पानी को बचाने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। इसके तहत किसानों को अधिकतम 3 हजार रुपए सब्सिडी मिलेगी।