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योजनाएं बनाने से काम नहीं चलेगा
अमर उजाला, देहरादून
Updated Tue, 15 Oct 2013 11:22 AM IST
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कांतिराम जोशी
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सहायक निदेशक, समाज कल्याण निदेशालय
समाज कल्याण विभाग सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं को लागू करने का काम करता है। यह विभाग छात्रवृत्ति, विधवा और वृद्घ पेंशन जैसी योजनाओं को लागू करवाता है। इस विभाग से जुड़े सभी मुद्दे पर समाज कल्याण निदेशायल के सहायक निदेशक कांतिराम जोशी से बातचीत।
सैकडों योजनाए हैं, क्या वह लोगों तक पहुंचती हैं?
समाज कल्याण विभाग के पास पर्याप्त मैन पावर न होने के कारण इन योजनाओं को शत प्रतिशत लागू कर पाना मुश्किल होता है। समाज कल्याण विभाग का मकसद अधिकतम लोगों तक सुविधाएं पहुंचाना है। अभी तक 85 प्रतिशत लोगों को इन सुविधाओं का लाभ मिल पा रहा है। अन्य 20 प्रतिशत लोग अभी भी सरकार की योजनाओं से अनजान है। इतना ही नहीं राज्य के किसी भी ब्लॉक में एडीओ की नियुक्ति नहीं की गई है।
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कुछ ही योजनाएं सही से लागू होती हैं, ऐसा क्यों है?
विभागीय ढांचा 1990 के समय का है। उस समय लाभार्थियों की संख्या जितनी थी आज वह संख्या दस गुना तक बढ़ गई है। जिससे पात्र लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
भिखारियों के लिए भिक्षु गृह बनने चाहिए?
राज्य में केवल एक ही भिक्षु गृह है और वह भी हरिद्वार में स्थित है। यहां पर भिक्षु गृह बनाने का कारण यह था कि यह धर्म नगरी है जहां भिक्षुक अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए यह गृह काफी सोच विचार कर हरिद्वार में बनाया गया। देहरादून के साथ ही राज्य के हर जिले में काफी संख्या में भिखारी हैं, जिसके लिए सरकार को हर जनपद मुख्याल में बैगर्स होम बनाने चाहिए। तब कहीं जाकर इन पर लगाम लग सकती है।
समाज कल्याण किन योजनाओं को लागू करता है?
मुख्य रूप से समाज कल्याण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए योजनाएं लागू करता है। इसके साथ ही विभाग युवाओं के लिए छात्रवृत्ति योजना, एससी, एसटी व ओबीसी सहित विकलांग पात्रों के लिए योजनाएं लागू करता है। इस वक्त विभाग लगभग पांच लाख बच्चों को छात्रवृत्ति दे चुका है।
देहरादून में क्या सकारात्मक बदलाव आया है?
लोग हमेशा कमियां ही गिनाते हैं, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि पहले की अपेक्षा आज देहरादून में तकनीकी सुविधाएं बढ़ी हैं। जिससे लोगों का जीवन काफी आसान हुआ है।