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भुल्लर पर आया फैसला संविधान के मुताबिक नहीं
पीयूष पांडेय/नई दिल्ली
Updated Thu, 18 Apr 2013 12:35 AM IST
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खालिस्तान कमांडो फोर्स के आतंकी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी पर रोक लगाए जाने की मांग वाली एक पत्र याचिका बुधवार को सर्वोच्च अदालत में भेजी गई है।
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पंजाब के पटियाला के निवासी तरसेम सिंह खट्टर ने याचिका में भुल्लर की दलील पर हाल ही में जारी किए गए फैसले की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया है।
सर्वोच्च अदालत से याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद-72 के तहत दायर दया याचिका को नियत प्रक्रिया के तहत समय पर न निपटाए जाने के सवाल पर सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ को विचार कर निर्णय देना चाहिए क्योंकि संविधान में हरेक प्रक्रिया को निर्धारित समय में निपटाए जाने का प्रावधान है। ऐसे में दया याचिका में लंबी देरी पर संविधान पीठ को स्पष्ट फैसला देना चाहिए।
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सर्वोच्च अदालत के सेक्रेट्री जनरल को भेजे गए पत्र को चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर के संज्ञान में लाए जाने की गुजारिश की गई है। साथ ही दया याचिका के निपटारे में लंबी देरी के मसले पर संविधान पीठ के फैसले तक भुल्लर की फांसी पर रोक लगाने की मांग की गई है।
पत्र याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 12 अप्रैल को जारी फैसले की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है। याचिका के मुताबिक यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 145(3) का उल्लंघन है क्योंकि राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत मिले अधिकार पर विचार किया जाना था।
ऐसे में संविधान पीठ को विचार कर निर्णय देना चाहिए था। इसमें कहा गया है कि निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण न किए जाने के खिलाफ यदि कोई अदालत का दरवाजा खटखटाता है तो ऐसे मामले में स्पष्ट निर्णय जरूरी है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि यह विरोधाभासी है कि जिन्होंने लोगों को मारने में कोई दया नहीं की, वे अब देरी के आधार पर दया की गुहार कर रहे हैं।