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प्रत्येक देवी-देवता के हैं अलग वाहन, जानिए हर वाहन की क्या है खासियत
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: Shashi Shashi
Updated Thu, 04 Mar 2021 12:10 PM IST
हिन्दू सनातन धर्म में साकार रूप में ईश्वर को पूजा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में अनेक देवी-देवताओं का उल्लेख किया गया है। इन सभी देवी-देवताओं के अलग-अलग आभूषण, स्वरूप हैं। इसी तरह से हर देवी-देवता के अलग-अलग वाहन भी बताए गए हैं। प्रत्येक देवी-देवताओं की तस्वीर में देखा होगा की उनका वाहन कोई पशु या पक्षी है। ये सभी पशु-पक्षी देखने में तो साधारण हैं लेकिन इनकों देवी-देवातओं ने अपना वाहन क्यों चुना, इसे जानने की उत्सुकता तो रहती ही है। तो चलिए जानते हैं इन देव वाहनों के पीछे की कहानी और कौन से वाहन की क्या खासियत है।
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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्यों बनाया देवी-देवताओं ने पशु पक्षियों को वाहन
विभिन्न देवी देवताओं के वाहन कोई न कोई पशु पक्षी हैं। इससे संसार में यह संदेश मिलता है कि पशु-पक्षियों के प्रति दया भावना रखनी चाहिए। कई पशुओं को इसी कारण से पूजा भी जाता है और उनके ऊपर की जाने वाली हिंसा पर रोक लगती है।
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शिव नंदी पर सवार
भगवान शंकर और नंदी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नंदी बैल के बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसका कारण यह भी है कि नंदी न केवल भगवान शिव के वाहन हैं बल्कि उन्हें गणों में भी श्रेष्ठ माना गया है। नंदी जी के चार पैर हिन्दू धर्म के चार स्तंभ, क्षमा, दया, दान और तप के प्रतीक माने गए हैं। इसके साथ यह अत्यंत शक्तिशाली हैं लेकिन फिर भी बहुत शांत स्वाभाव के हैं।
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मां दुर्गा
मां दुर्गा की सवारी शेर
मां दुर्गा स्वयं आदिशक्ति कहा जाता है। मां आदिशक्ति के स्वरूप की तरह मां के वाहन की भी विशेषताएं हैं। मां दुर्गा का वाहन भी सिंह भी शक्ति, बल, पराक्रम और शौर्य का प्रतीक है। शेर की दहाड़ने से ही सभी बुरी शक्तियां भयभीत हो जाती हैं।
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गणेश जी
श्री गणेश और मूषक
भगवान गणेश का वाहन मूषक पहले गजामुख नाम राक्षस था, जो गणेश जी के सामने नतमस्तक हो गया, जिसके बाद गणेश जी ने उसे अपना वाहन बना लिया। इसके साथ ही चूहा तीव्र बुद्धि का जीव भी माना जाता है।
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