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12 Zodiac Signs: ज्योतिष में 12 राशियां ही क्यों होती है? समझें इसका ज्योतिषीय गणित
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Wed, 16 Jul 2025 03:31 PM IST
सार
वैदिक ज्योतिष में कुल 12 राशियां होती है। कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर 12 ही राशियां क्यों होती है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है...
12 Zodiac Signs: वैदिक ज्योतिष पूरी तरह राशियों, ग्रहों, नक्षत्रों और भावों पर आधारित होता है। किसी भी व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी घटनाओं के बारे में उसकी राशि के माध्यम से जाना जा सकता है। यह राशि व्यक्ति के जन्म के समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर निश्चित होती है। वैदिक ज्योतिष में कुल 12 राशियां होती है। कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर 12 ही राशियां क्यों होती है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए यह जानना जरूरी है कि राशियां क्या होती हैं, इनकी गणना कैसे की जाती है, इनके नाम, गुण और किसी व्यक्ति की कुंडली में इसका क्या महत्व है। आइए, इन पहलुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
राशियां क्या होती हैं?
वैदिक ज्योतिष में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। इसका मूल आधार आकाश में दिखने वाला 360 अंश का भचक्र (ज्योतिषीय वृत्त) है। दरअसल वैदिक ज्योतिष में आकाश को 12 बराबर हिस्सों में बांटा गया है, जिससे 30-30 अंश के 12 खंड प्राप्त हुए। इन्हीं 30 अंशों वाले भागों को राशियां कहा जाता है। इस प्रकार 30 अंश × 12 = 360 अंश का पूर्ण भचक्र बनता है। इस भचक्र को 12 राशियों और 27 नक्षत्रों में विभाजित किया गया है, जो पूरे वैदिक ज्योतिष का आधार माने जाते हैं।
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12 राशियों के नाम
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12 राशियों के नाम
हर राशि का नाम उसकी प्रतीकात्मक आकृति और गुणों के आधार पर रखा गया है। इन राशियों के नाम हैं मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन। प्रत्येक राशि का अपना एक विशेष स्वभाव, प्रतीक और महत्व होता है। कुंडली में इन राशियों की स्थिति ही जातक के जीवन की दिशा तय करती है।
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राशियों के स्वामी ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक राशि का संचालन एक विशेष ग्रह द्वारा किया जाता है। कुल मिलाकर नौ ग्रह माने गए हैं- सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहु और केतु। इनमें से राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। इनका भौतिक अस्तित्व नहीं होता, इसलिए यह किसी राशि के स्वामी ग्रह भी नहीं माने गए हैं।
सूर्य- सिंह
चंद्रमा- कर्क
मंगल- मेष और वृश्चिक
बुध- मिथुन और कन्या
गुरु- धनु और मीन
शुक्र- वृषभ और तुला
शनि- मकर और कुंभ
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12 राशियों ही क्यों होती हैं?
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12 राशियों ही क्यों होती हैं?
12 राशियों के पीछे सूर्य की परिक्रमा को भी एक कारक माना जाता है। सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहते हैं, यानी एक महीने में राशि परिवर्तन करते हैं, जिसे संक्रांति कहा जाता है। इस तरह एक साल में 12 संक्रांति आती हैं और सूर्य सभी 12 राशियों में परिक्रमा पूरी कर लेते हैं।
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