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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष के प्रारंभ और अंत में ग्रहण का साया, जानें इसके प्रभाव और श्राद्ध का समय
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Mon, 08 Sep 2025 04:30 PM IST
सार
इस वर्ष के पितृपक्ष खास हैं क्योंकि इसकी शुरुआत और समापन दोनों ही दिनों में ग्रहण का संयोग बन रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या ग्रहण का असर तर्पण और श्राद्ध जैसे कर्मों पर पड़ेगा? क्या ग्रहण के कारण पूजा-पाठ में कोई बाधा आ सकती है, या ग्रहणकाल के बाद शुभ मुहूर्त में किए गए ये कार्य उतने ही फलदायी रहेंगे?
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पितृपक्ष पर चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का साया
- फोटो : Amar Ujala
Chandra Grahan Effects On Shradh: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण काल माना जाता है। यह 16 दिन पूर्वजों को स्मृति होते हैं। यह समय उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस समय पितृ लोक से पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण, पिंडदान तथा श्राद्ध से तृप्त होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यही कारण है कि इस अवधि में किए गए कर्म न केवल पितरों की आत्मा को शांति देते हैं, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का संचार भी करते हैं।
पितृपक्ष 2025 कब से कब तक?
दृक पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि (7 सितंबर) से हो चुकी है। इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 01:41 बजे से आरंभ होकर रात 11:38 बजे तक रहेगी। इसी के साथ पितृपक्ष का शुभ आरंभ होगा। इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या पर होगा, जो 21 सितंबर 2025, रविवार को पड़ेगी। अमावस्या तिथि 21 सितंबर को रात 12:16 बजे शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 01:23 बजे तक रहेगी। इस दिन अंतिम श्राद्ध संपन्न होगा।
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सूर्य ग्रहण 2025 समय
- फोटो : adobe stock
सूर्य ग्रहण 2025 समय
इस वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लग चुका है। वहीं इसके बाद 21 सितंबर 2025 की रात 10:59 बजे से लेकर 22 सितंबर की सुबह 3:23 बजे तक सूर्य ग्रहण लगने वाला है। हालांकि यह भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक मान्य नहीं होगा और न ही राशियों पर इसका कोई विशेष प्रभाव पड़ेगा।
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चंद्र ग्रहण के दिन पूर्णिमा का महत्व
- फोटो : adobe stock
चंद्र ग्रहण के दिन पूर्णिमा का महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले श्राद्ध में चंद्र ग्रहण का सूतक आड़े नहीं आया, क्योंकि सूतक काल 12:26 बजे से शुरू हुआ था। ऐसे में श्राद्ध कर्म में ग्रहण को कोई प्रकार नहीं रहा।
क्या सूर्य ग्रहण से प्रभावित होगा श्राद्ध?
- फोटो : Freepik
क्या सूर्य ग्रहण से प्रभावित होगा श्राद्ध?
इस बार सूर्य ग्रहण केवल दक्षिण गोलार्ध में आस्ट्रेलिया के दक्षिण भाग, अटलांटिक और अंटार्टिका के क्षेत्र में दिखाई देगा। इसलिए भारत में सूतक काल का महत्व नहीं रहने वाला है। इस तरह से पूरे पितृपक्ष में न तो चंद्र ग्रहण का प्रभाव होगा और न ही सूर्य ग्रहण का। आप पितृपक्ष में बिना किसी बाधा के श्राद्ध कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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