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Surya Grahan 2025: वेदों में मिलता है सूर्य ग्रहण का उल्लेख, जानें इसके दोषों से बचने के उपाय
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Sat, 29 Mar 2025 10:05 AM IST
सार
Surya Grahan in Vedas: सूर्य ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि इसे धर्म और ज्योतिष से भी जोड़ा जाता है। वेदों और पुराणों में इसके प्रभावों और उपायों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। चाहे धार्मिक दृष्टि से देखा जाए या वैज्ञानिक रूप से, सूर्य ग्रहण का प्रभाव हमारे जीवन पर किसी न किसी रूप में पड़ता ही है। इसलिए, इसे समझकर और उचित उपायों को अपनाकर हम इसके दुष्प्रभावों से बच सकते हैं।
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हिन्दू धर्म में सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं
- फोटो : adobe stock
Surya Grahan ke Dosh Door karne ke Upay: सूर्य ग्रहण न केवल एक खगोलीय घटना है, बल्कि धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व माना जाता है। भारत में प्राचीन काल से ही सूर्य और चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण घटनाओं के रूप में देखा जाता रहा है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण आज यानी 29 मार्च 2025 को लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। हालांकि, जो लोग ज्योतिषीय प्रभाव मानते हैं, वे ग्रहण से जुड़े नियमों का पालन कर सकते हैं।
वेदों और पुराणों में इन ग्रहणों के पीछे पौराणिक कथाएं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों का वर्णन मिलता है। ऋग्वेद, अथर्ववेद और महाभारत जैसे ग्रंथों में ग्रहण के प्रभावों और उससे बचने के उपायों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
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ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण का वर्णन
ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण को असुर स्वरभानु से जोड़ा गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, स्वरभानु नामक असुर ने छलपूर्वक अमृत पान किया था, जिससे वह अमर हो गया। लेकिन भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पान कर लेने के कारण उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में अमर हो गए। तभी से यह दोनों ग्रह समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा को ग्रसने का प्रयास करते हैं, जिससे ग्रहण की घटना होती है। ऋषि अत्रि ने अपने मंत्रों के माध्यम से सूर्य को मुक्त करने का उपाय बताया था।
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अथर्ववेद में सूर्य ग्रहण और बचने के उपाय
अथर्ववेद में ग्रहण को नकारात्मक शक्तियों से जोड़ा गया है। इसके अनुसार, ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे बीमारियों और मानसिक तनाव का खतरा बढ़ सकता है। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र और सूर्य मंत्र का जाप करने से ग्रहण दोष से बचा जा सकता है।
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महाभारत में सूर्य ग्रहण का महत्व
महाभारत में सूर्य और चंद्र ग्रहण को अशुभ संकेतों के रूप में देखा गया है। जब महाभारत युद्ध के समय लगातार तीन ग्रहण लगे, तो इसे विनाशकारी घटना का संकेत माना गया था। इसी कारण महाभारत के युद्ध को एक भयानक और रक्तपात से भरा संघर्ष माना जाता है।
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ग्रहण से बचने के वैदिक उपाय
वेदों में सूर्य ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं:
गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।
ग्रहण के बाद पवित्र नदियों में स्नान और गरीबों को दान करने से दोषों से मुक्ति मिलती है।
घर में गंगाजल का छिड़काव करने से वातावरण शुद्ध होता है।
ग्रहण के दौरान भोजन न करें और पानी में तुलसी के पत्ते डालें, जिससे भोजन पर ग्रहण का प्रभाव न पड़े।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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