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Republic Day: कर्तव्यपथ पर पहली बार दम दिखाएंगे गरुड़ कमांडो, जानें वायु सेना के 'ब्रह्मास्त्र' के बारे में

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Mon, 23 Jan 2023 06:15 PM IST
सार

इस बार परेड में पहली बार भारतीय वायुसेना के बेहद खतरनाक गरुड़ कमांडो भी शामिल होंगे। आइए जानते हैं कि वायुसेना के ब्रम्हास्त्र कहे जाने वाले यह गरुड़ कमांडोज के बारे में वो बातें जो उन्हें खास बनाती हैं...

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Garud commandos will participate in Republic Day parade for first time on duty, know about them
गरुड़ कमांडो

दिल्ली में कर्तव्यपथ पर इस समय सेना के जवान गणतंत्र दिवस परेड को लेकर कड़ी तैयारियों में जुटे हैं। कोहरा, ठंड की वजह से भले ही दिल्ली में पारा नीचे है, लेकिन जवानों का जोश बिल्कुल हाई है। इस बार परेड में पहली बार भारतीय वायुसेना के बेहद खतरनाक गरुड़ कमांडो भी शामिल होंगे। वीरता की नई परिभाषा लिखने वाले गरुड़ कमांडो हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए खास तौर और बेहद कठिन प्रशिक्षण लेते हैं। आइए जानते हैं कि वायुसेना के ब्रम्हास्त्र कहे जाने वाले यह गरुड़ कमांडोज के बारे में वो बातें जो उन्हें खास बनाती हैं...

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Garud Commando

खतरनाक हथियारों से लैस इंडियन एयरफोर्स के खूंखार गरुड़ कमांडो दुश्मन को खत्म करके ही सांस लेते हैं। इस विशेष बल के निर्माण की जरूरत वायुसेना को तब महसूस हुई थी जब 2001 में एयर फोर्स के दो हवाई अड्डे आतंकी हमलों की चपेट में आ गए थे। इसी के बाद 2003 में गरुड़ कमांडो फोर्स की स्थापना की गई थी। वर्तमान में इस फोर्स में 1780 गरुड़ कमांडो हैं।  

गरुड़ कमांडोज की ट्रेनिंग नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा कमांडोज की तर्ज पर ही होती है। इन्हें एयरबॉर्न ऑपरेशंस, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररेजम का जिम्मा उठाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। गरुड़ कमांडो जम्मू और कश्मीर में काउंटर इन्सर्जन्सी ऑपरेशंस में भी ऑपरेट कर चुके हैं। शांति के समय उनकी एक मुख्य जिम्मेदारी होती है वायुसेना की एयरफील्ड्स की सुरक्षा करना।

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Garud Commando

थल सेना और वायु सेना की तरह गरुड़ कमांडो वॉलंटियर नहीं होते। विशेष फोर्स के लिए ट्रेनिंग हेतु इनकी सीधी भर्ती की जाती है। साथ ही, एक बार गरुड़ फोर्स ज्वाइन करने के बाद कमांडो अपने शेष करियर के दौरान यूनिट के साथ ही रहते हैं। इससे यह पुष्ट होता है कि यूनिट के पास लंबे समय तक बेहतरीन जवान रहें।

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Garud Commando

गरुड़ कमांडो में भर्ती होना कोई आसान काम नहीं है। सभी रंगरूटों के लिए बेसिक प्रशिक्षण कार्यक्रम 72 सप्ताह तक चलता है, जो भारतीय विशेष बलों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सबसे लंबा है। गरुड़ कंमाडो की शुरुआत के तीन महीने बेहद कठिन होते हैं। शुरुआत के तीन महीने के बाद रंगरूटों में जो सर्वश्रेष्ठ होते हैं वे ही ट्रेनिंग के अगले चरण में प्रवेश कर पाते हैं। 

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Garud Commando

प्रशिक्षण का दूसरा चरण विशेष फ्रंटियर फोर्स, भारतीय सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ जुड़ा होता है। इस चरण में सफल होने वाले लोग की प्रशिक्षण के अगले चरण में जगह बना पाते हैं। इस दौरान उन्हें कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। इसका उद्देश्य भावी जवानों के हर परिस्थिति का मुकाबला करने के योग्य बनाना होता है।


 
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