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Covid-19: देश में अब कैसे हैं कोरोना से हालात? क्या अब भी बढ़ रहा है संक्रमण, यहां जानिए सबकुछ विस्तार से

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 30 Jun 2025 10:10 PM IST
सार

  • देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि 30 जून को एक्टिव केस घटकर 1902 रह गए हैं। अब प्रतिदिन मौत के मामले भी घट गए हैं, पिछले 24 घंट में संक्रमण से एक भी मौत नहीं हुई है, जो काफी राहत की खबर है।

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भारत में कोरोना के मामले - फोटो : Freepik.com

Covid-19 News And Updates In India: भारत सहित दुनिया के कई देशों में मई-जून के दौरान कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। हालांकि जून के दूसरे हफ्ते तक संक्रमण की रफ्तार काफी कंट्रोल हो गई। 22 मई को देश में कोरोना के कुल एक्टिव केस 257 थे, जो 15 जून तक बढ़कर 7400 तक पहुंच गए। हालांकि इसके बाद से संक्रमण के मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है।

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कोरोना भले ही कुछ दिनों से खबरों से गायब है हालांकि आपके मन में भी ये सवाल जरूर होगा कि देश में फिलहाल कोरोना से हालात कैसे हैं? क्या देश में संक्रमण अब भी बढ़ रहा है या मामले अब बिल्कुल शांत हो गए हैं? 

देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि 30 जून को एक्टिव केस घटकर 1902 रह गए हैं। अब प्रतिदिन मौत के मामले भी घट गए हैं, पिछले 24 घंट में संक्रमण से एक भी मौत नहीं हुई है, जो काफी राहत की खबर है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पहले की ही तरह देश में कोरोना के मामले एक बार फिर से धीरे-धीरे कंट्रोल में आ रहे हैं, हालांकि वायरस हमारे बीच लगातार बना रहता है इसलिए कोरोना को हल्के में लेने की गलती नहीं की जानी चाहिए। 

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कोरोना के नए मामलों में गिरावट - फोटो : Freepik.com

तेजी से उछाल के बाद आई मामलों में कमी

देश में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स (NB.1.8.1 और XFG) की इस लहर की शुरुआत में ही अमर उजाला से बातचीत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गांधीनगर गुजरात में संक्रामक रोग-महामारी विशेषज्ञ डॉ अनीश सिन्हा ने कहा था कि देश में जिस तेजी से संक्रमण बढ़ेगा, उतनी ही तेजी से इसके मामलों में कमी आएगी। मई में जिस गति से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, इसमें काफी तेजी से कमी आई है। 

डॉक्टर कहते हैं, कोरोना वायरस हमारे आसपास हमेशा मौजूद रहता है और समय के साथ म्यूटेशन के कारण ये फिर से एक्टिव हो जाता है। भविष्य में इसके और नए वैरिएंट्स और नई लहरों की आशंकाओं को इग्नोर नहीं किया जा सकता है, इसलिए सबसे जरूरी है कि हम कोरोना के साथ ही रहना सीख लें।

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कोरोना के मामले - फोटो : Freepik.com

भारत में कोरोना और इसका खतरा

भारत में कोरोना के वैरिएंट्स बात करें तो यहां दो वैरिएंट्स निंबस (Nimbus) और स्ट्राटस (Stratus) सबसे ज्यादा प्रभावी देखे जा रहे हैं। एनबी.1.8.1 को अनौपचारिक रूप से “निंबस” उपनाम दिया गया है, वहीं एक्सएफजी को स्ट्राटस कहा जा रहा है।

एक रिपोर्ट में आईसीएमआर-एनआईवी पुणे के निदेशक डॉ नवीन कुमार ने बताया कि XFG और NB.1.8.1 के साथ देश में कई स्थानों पर JN.1 और LF.7 वैरिएंट भी सक्रिय देखे गए हैं। अभी तक इन वैरिएंट्स को ज्यादा गंभीर नहीं पाया गया है हालांकि हर म्यूटेशन के साथ इसकी संक्रामकता दर जरूर बढ़ती जाती है जिसको लेकर सावधानी बरतना जरूरी है।

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कोरोना से बचाव के उपाय करें - फोटो : Freepik.com

कोरोना के साथ जीना सीखें

कोविड विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लू वायरस की ही तरह से कोरोनावायरस भी हमेशा हमारे बीच रहने वाला है, इसलिए हमें इस वायरस के साथ जीना सीख लेना होगा। कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए उच्च जोखिम समूह (65 साल से अधिक उम्र, कोमोरबिडिटी के शिकार) वाले लोगों को सालाना डॉक्टर की सलाह के आधार पर  कोविड-19 टीकाकरण जरूर कराना चाहिए।

एक रिपोर्ट में चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग में श्वसन चिकित्सा के प्रोफेसर डेविड हुई शू-चियोंग कहते हैं, वैश्विक आबादी में एंटीबॉडी के स्तर में गिरावट के कारण हर छह से नौ महीने में कोरोना का प्रकोप देखा जाता रहा है, ये आगे भी देखा जाता रह सकता है।

संक्रमण के मामलों में भले ही कमी आ गई है, पर इसके खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। वायरस में नए म्यूटेशंस और इसके कारण भविष्य में होने वाले जोखिमों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।




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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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