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Gupt Navratri 2025: 26 जून से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए महत्व और महामंत्र
ज्योतिषाचार्य पं.मनोज कुमार द्विवेदी
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Tue, 24 Jun 2025 06:34 PM IST
सार
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी। इस वर्ष 26 जून गुरुवार से गुप्त नवरात्रि पर माता के नौ रूपों की पूजा शुरू हो जाएगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या तंत्र साधना के लिए आराधना करते हैं, जबकि अन्य लोग पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा-अर्चना विधि-विधान से करेंगे।
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गुप्त नवरात्रि 2025
- फोटो : adobe stock
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी। इस वर्ष 26 जून गुरुवार से गुप्त नवरात्रि पर माता के नौ रूपों की पूजा शुरू हो जाएगी। आगामी 04 जुलाई तक गुप्त नवरात्रि पर खासतौर पर तांत्रिक साधना, विशेष अनुष्ठान और गुप्त उपासना होगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या तंत्र साधना के लिए आराधना करते हैं, जबकि अन्य लोग पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा-अर्चना विधि-विधान से करेंगे।
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गुप्त नवरात्रि 2025
- फोटो : adobe stock
करते हैं इन देवियों की पूजा
तांत्रिकों को तंत्र साधना करने के लिए गुप्त नवरात्रि का इंतजार रहता है, इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
तांत्रिकों को तंत्र साधना करने के लिए गुप्त नवरात्रि का इंतजार रहता है, इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
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गुप्त नवरात्रि 2025
- फोटो : adobe
कोई भी तांत्रिक साल में केवल दो बार ही अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए तांत्रिक साधना में लग सकता है क्योंकि गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है। पहला माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरा आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में। बहुत कम लोगों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे होने के कारण इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इनमें विशेष मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गुप्त नवरात्रि, जिसे गायत्री नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है। इस 9-दिवसीय अनुष्ठान के दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने की मुख्य विधि तंत्र विद्या के मंत्रों के साथ देवी का आह्वान किया जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है जिसमें धन, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि महा मंत्र
- फोटो : adobe
महा मंत्र
गुप्त नवरात्रि में "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" के महा मंत्र की मदद से सिद्धियां अर्जित की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान शक्तिशाली मंत्रों और तंत्र की गुप्त विद्या और तांत्रिक साधनाओं के रूप में देवी दुर्गा की गुप्त पूजा भक्तों को उनकी सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्ति प्राप्त करने में मदद करती है।
गुप्त नवरात्रि में "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" के महा मंत्र की मदद से सिद्धियां अर्जित की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान शक्तिशाली मंत्रों और तंत्र की गुप्त विद्या और तांत्रिक साधनाओं के रूप में देवी दुर्गा की गुप्त पूजा भक्तों को उनकी सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्ति प्राप्त करने में मदद करती है।
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होती है अष्ट सिद्धि को प्राप्ति
- फोटो : amar ujala
होती है अष्ट सिद्धि को प्राप्ति
चैत्र और आश्विन नवरात्रि गृहस्थ साधकों के लिए विशेष है और गुप्त नवरात्र सिद्ध, संत, ऋषि मुनियों के लिए विशेष महत्व रखते है। गुप्त नवरात्रि में साधक नवरात्रों का मन, वचन, कर्म से दस महाविद्याओं के मंत्रों का जाप करते है। मानसिक जाप अधिक किया जाता है। साधना आराधना को गुप्त रखा जाता है। एकांत में ध्यान और मंत्र जप किया जाता है।मन्त्र सिद्धि और तंत्र सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्री अवधि श्रेष्ठ समझी जाती है। नवरात्रि व्रत पालन के नियम बहुत अधिक कठोर नहीं है, परन्तु दस महाविद्याओं की साधना और आराधना के नियम अत्यंत कठोर है। इन नियमों का पालन करना सब के लिए सहज नहीं है। सिद्ध साधु संत ही पूर्ण रूप से इन नियमों का पालन कर सकते है। गुप्त नवरात्रि में साधक अष्ट सिद्धि को प्राप्त करने के लिए साधना आराधना करते है।
पं. मनोज कुमार द्विवेदी ज्योतिषाचार्य
चैत्र और आश्विन नवरात्रि गृहस्थ साधकों के लिए विशेष है और गुप्त नवरात्र सिद्ध, संत, ऋषि मुनियों के लिए विशेष महत्व रखते है। गुप्त नवरात्रि में साधक नवरात्रों का मन, वचन, कर्म से दस महाविद्याओं के मंत्रों का जाप करते है। मानसिक जाप अधिक किया जाता है। साधना आराधना को गुप्त रखा जाता है। एकांत में ध्यान और मंत्र जप किया जाता है।मन्त्र सिद्धि और तंत्र सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्री अवधि श्रेष्ठ समझी जाती है। नवरात्रि व्रत पालन के नियम बहुत अधिक कठोर नहीं है, परन्तु दस महाविद्याओं की साधना और आराधना के नियम अत्यंत कठोर है। इन नियमों का पालन करना सब के लिए सहज नहीं है। सिद्ध साधु संत ही पूर्ण रूप से इन नियमों का पालन कर सकते है। गुप्त नवरात्रि में साधक अष्ट सिद्धि को प्राप्त करने के लिए साधना आराधना करते है।
पं. मनोज कुमार द्विवेदी ज्योतिषाचार्य

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