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Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ की रस्सी क्यों है खास? जानें इसका नाम, नियम और आध्यात्मिक महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Fri, 27 Jun 2025 10:18 AM IST
सार

Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो जाएगी। इस पावन अवसर पर देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पुरी धाम पहुंचते हैं। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विशाल रथों को रस्सियों से खींचा जाता है। इस रस्सी को छूना और खींचना अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि रथ की रस्सी खींचने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस पवित्र रस्सी का क्या नाम है, इसे कौन खींच सकता है, और इससे जुड़ा धार्मिक महत्व क्या है।

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Jagannath Rath Rope Name Tradition and Religious Importance in hindi
jagannath rath yatra - फोटो : adobe stock

Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो जाएगी। इस पावन अवसर पर देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पुरी धाम पहुंचते हैं। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विशाल रथों को रस्सियों से खींचा जाता है। इस रस्सी को छूना और खींचना अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि रथ की रस्सी खींचने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस पवित्र रस्सी का क्या नाम है, इसे कौन खींच सकता है, और इससे जुड़ा धार्मिक महत्व क्या है।


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जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ इस वर्ष 27 जून से होने जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से पुरी धाम पहुंचेंगे, ताकि भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के दर्शन कर सकें और रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त कर सकें। इस पवित्र यात्रा में भगवान अपने भाई-बहन के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं और भक्तों के बीच से होते हुए अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर, तक पहुंचते हैं। यह यात्रा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और भक्ति का अद्भुत संगम होती है।
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इस यात्रा के दौरान तीनों रथों को खींचने के लिए विशेष रस्सियों का उपयोग होता है। मान्यता है कि इन रस्सियों को छूना और खींचना अत्यंत शुभ माना जाता है और इससे जीवन में पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हालांकि, भारी भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था के कारण हर किसी के लिए रस्सी को छू पाना आसान नहीं होता। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि रथ की इस पवित्र रस्सी का नाम क्या है और इसे छूने या खींचने का धार्मिक महत्व क्या है।
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jagannath rath yatra - फोटो : adobe stock

भगवान के रथों की रस्सी का नाम क्या है?
जैसे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं, वैसे ही उनके रथों को खींचने वाली रस्सियों के भी विशेष नाम होते हैं।

  • भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले नंदीघोष रथ की रस्सी को शंखचूड़ा नाड़ी कहा जाता है।
  • बलभद्र के 14 पहियों वाले तालध्वज रथ की रस्सी का नाम वासुकी है।
  • सुभद्रा के 12 पहियों वाले पद्मध्वज रथ की रस्सी को स्वर्णचूड़ा नाड़ी कहा जाता है।

ये रस्सियां न केवल रथों को खींचने का काम करती हैं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से इन्हें पवित्र और शुभ माना जाता है। हर रस्सी का अपना एक अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, जो भगवान की ऊर्जा और आशीर्वाद को दर्शाता है।

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Jagannath Rath Rope Name Tradition and Religious Importance in hindi
jagannath rath yatra - फोटो : adobe stock

रथ की रस्सी को कौन छू सकता है?
जगन्नाथ रथ यात्रा की सबसे खास बात है कि रथ की रस्सी को कोई भी श्रद्धालु छू सकता है। इसमें किसी भी धर्म, जाति या समुदाय का भेदभाव नहीं होता। जो भी भक्त आस्था और श्रद्धा के साथ पुरी पहुंचता है, वह इस रस्सी को पकड़ कर रथ खींच सकता है। ऐसा मान्यता है कि रथ की रस्सी को पकड़कर खींचना भगवान जगन्नाथ की सेवा के समान है और इससे भक्तों को विशेष पुण्य और आशीर्वाद मिलता है। यही वजह है कि लाखों श्रद्धालु इस अवसर पर पुरी आते हैं ताकि वे भी इस पुण्य कर्म का हिस्सा बन सकें।

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jagannath rath yatra - फोटो : Adobe Stock

रथ की रस्सी को छूने या खींचने से क्या लाभ होता है?
रथ की रस्सी को छूना और खींचना अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस रस्सी को श्रद्धा से छूता है या खींचता है, उसे भगवान जगन्नाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि रस्सी को छूने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है। इससे भक्त की आत्मा शुद्ध होती है और वह मोक्ष की ओर बढ़ता है। इसलिए श्रद्धालु इस रस्सी को छूने के लिए खास उत्सुक रहते हैं। कई बार इतनी भीड़ होती है कि रस्सी तक पहुंचना भी कठिन हो जाता है, लेकिन इसके बावजूद भक्त इस पुण्य कर्म को करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। यदि कोई भक्त बिना रस्सी छुए लौटता है, तो उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है और ऐसा कहा जाता है कि उसे पुनः आने का अवसर मिलेगा।

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jagannath rath yatra - फोटो : Adobe Stock

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
जगन्नाथ रथ की रस्सी मात्र एक रस्सी नहीं, बल्कि भगवान जगन्नाथ से जुड़ने का एक पवित्र माध्यम है। इसे छूना अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने का अवसर माना जाता है। यह रस्सी भक्तों के लिए भगवान की कृपा पाने का एक शक्तिशाली रास्ता है। इसे छूना या खींचना न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि भी लाता है। इस रस्सी को छूने से भक्तों की आस्था और विश्वास मजबूत होता है, जो उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। 

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