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Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू, जानिए रथ की निर्माण प्रक्रिया और यात्रा के बाद क्या होता रथों का

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Fri, 27 Jun 2025 10:19 AM IST
सार

Rath Nirman Ki Prakriya: आज ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा शुरू हुई, जिसमें तीनों देवताओं के रथ खास लकड़ी से बनाए जाते हैं। यात्रा के बाद इन रथों को संभाल कर रखा जाता है और उनकी लकड़ी का उपयोग शुभ कार्यों में किया जाता है।

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Jagannath Rath Yatra 2025  Know the Chariot Construction Ritual and Their Fate Post Procession
किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ - फोटो : adobe stock

Jagannath Rath Yatra Ke Rath Kaise Bante Hain: आज ओडिशा के पूरी में दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है। सुबह 6 बजे भगवान जगन्नाथ की मंगला आरती के बाद उनका श्रृंगार किया गया और खिचड़ी भोग अर्पित किया गया। सुबह 9:30 बजे मंदिर के बाहर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके-अपने रथों में बैठाने की विधि शुरू हो गई है। रथों की पूजा भी की गई। दोपहर 3 बजे पुरी के गजपति दिव्य सिंह देव रथ के आगे सोने के झाड़ू से बुहारा लगाकर रथ यात्रा का शुभारंभ करेंगे। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ करीब 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर की ओर जाएंगे, जिसे उनकी मौसी का घर माना जाता है।

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जगन्नाथ रथ यात्रा अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्ता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। तीनों भगवानों के लिए अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं, जो खास लकड़ी से तैयार होते हैं। रथ यात्रा के बाद इन रथों का क्या होता है, वह भी एक धार्मिक रहस्य है। आइये जानते हैं विस्तार से।

Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ की रस्सी क्यों है खास? जानें इसका नाम, नियम और आध्यात्मिक महत्व

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किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ - फोटो : adobe stock

रथ निर्माण की तैयारी कब और कैसे शुरू होती है?
जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए रथ बनने की तैयारी कई महीने पहले ही शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत विशेष तौर पर अक्षय तृतीया के दिन होती है, जो शुभ माना जाता है।  रथ निर्माण के लिए लकड़ियां ओडिशा के मयूरभंज, गंजाम और क्योंझर जिलों के जंगलों से लाई जाती हैं। ये इलाके अपने घने और पवित्र जंगलों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन जंगलों से चुनी गई लकड़ियों को काटने से पहले पूजा-अर्चना की जाती है और शुभ मुहूर्त में कटाई की जाती है ताकि सभी विधि-व्यवस्था पूरी हो और निर्माण सफल रहे। यह पूरी प्रक्रिया एक धार्मिक अनुष्ठान की तरह मानी जाती है।

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किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ - फोटो : adobe stock

रथ बनाने के लिए पेड़ों का चयन कैसे किया जाता है?
रथ बनाने के लिए खास प्रकार के पेड़ों का चुनाव किया जाता है, जिन पर भगवान जगन्नाथ से जुड़े चक्र, शंख, गदा, या पद्म जैसे धार्मिक चिन्ह अंकित होते हैं। इसके अलावा, जिन पेड़ों के पास सांप के बिल, पक्षियों के घोंसले या नदी, मंदिर आदि जैसे पवित्र स्थल होते हैं, उन पेड़ों को काटा नहीं जाता। यह चयन प्रकृति के प्रति सम्मान और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया जाता है, ताकि वन और जीवों की सुरक्षा बनी रहे।

Jagannath Rath Yatra 2025  Know the Chariot Construction Ritual and Their Fate Post Procession
किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ - फोटो : adobe stock

रथ बनाने में किन लकड़ियों का उपयोग होता है और किस हिस्से के लिए?
जगन्नाथ भगवान के रथ निर्माण में फासी, धौरा, सिमली, सहजा और मही लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, धौरा लकड़ी से रथ के भारी और मजबूत पहिए बनाए जाते हैं। फासी लकड़ी से पहिए का एक्सल तैयार होता है, जो पहिए को रथ से जोड़ता है और उसकी मजबूती सुनिश्चित करता है। सिमली लकड़ी से रथ के ऊपर के हिस्से को बनाया जाता है, जो अपेक्षाकृत हल्का होता है। हल्के पार्ट्स जैसे छत और सजावट के लिए सहजा लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। इस तरह विभिन्न लकड़ियों का चयन उनके गुणों के अनुसार किया जाता है ताकि रथ मजबूत, टिकाऊ और सुंदर बने।

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किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ - फोटो : Adobe Stock

रथ कितने पहियों पर चलते हैं?
पुरी रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ अलग-अलग पहियों पर चलते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ ‘नंदीघोष’ पर 16 पहिए होते हैं, बलभद्र के रथ ‘तालध्वज’ पर 14 पहिए और देवी सुभद्रा के रथ ‘दर्पदलन पद्म’ पर 12 पहिए लगे होते हैं। यह संख्या रथों की भव्यता और उनके आकार के अनुसार निर्धारित होती है।

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